Yashwant Singh : ग़ाज़ीपुर में एक ‘सम्मोहन गिरोह’ सक्रिय है. इसका शिकार मूर्ख महिलाएं हो जाती हैं जो बड़े-बड़े घरों की होती हैं और पढ़ी-लिखी भी! ये ठग पहले पूरी रेकी करते हैं, घर की कुंडली पता करते हैं. फिर अकेली जा रही महिला को अचानक सारी जानकारी देकर परिवार पर आ रहे संकट का भय दिखाकर सम्मोहित करने लगते हैं और धीरे धीरे मोबाइल गहना रुपया लेकर भाग जाते हैं.
पुलिस के सीओ साहिब की पत्नी से इस सम्मोहन गिरोह ने रुपये मोबाइल गहने लूटे तो पुलिस वालों ने फौरन ठगों को गिरफ्तार कर सब बरामद कर दिखाया. पर यही कांड जब जिला अस्पताल में कार्यरत एक अधिकारी की पत्नी के साथ हुआ तो पुलिस वाले तीन महीने से एफआईआर ही नहीं लिख रहे, ठगों को पकड़ना तो दूर की बात है.
जिला अस्पताल में कार्यरत जिस शख्स की पत्नी के साथ सम्मोहन गिरोह ने लूटपाट की, वह ब्लड टेस्ट डिपार्टमेंट में हैं. उन्हें कप्तान साहब ने जब एक रोज ब्लड डेस्ट के लिए बुलाया तो उन्होंने अपनी पत्नी के साथ हुए घटनाक्रम का जिक्र किया और एफआईआर लिखने का अनुरोध किया.
यह शख्स अलग से भी पुलिस अधीक्षक डा. अरविंद चतुर्वेदी से दो तीन बार जाकर मिला. पर आजकल पुलिस अधीक्षक की भी हैसियत शायद इतनी नहीं कि वह एफआईआर करवा सके. या ये भी हो सकता है कि पुलिस अधीक्षक डा. अरविंद चतुर्वेदी अपराध कम होता दिखाने के चक्कर में जो घटनाएं वाकई हो रही हैं, उसे दर्ज ही नहीं होने दे रहे हैं. कुछ भी हो सकता है क्योंकि पुलिस महकमे की माया हर कोई नहीं समझ सकता.
मेरे एक मित्र सोशल एक्टिविस्ट उमेश श्रीवास्तव जी ने इस एफआईआर न लिखे जाने की कहानी के बारे में मुझे बताया तो सबसे पहले पीड़ित महिला के पति को बुलाकर इंटरव्यू किया. फिर ट्विटर पर यूपी पुलिस, डीजीपी, सीएम आफिस, सीएम के मीडिया सलाहकार समेत कई लोगों को टैग कर ट्वीट किया. दिल्ली के कुछ ऐसे संपादक मित्रों को भी अवगत कराया जिनके कुछ रिलेटिव गाजीपुर पुलिस में पदस्थ हैं.
ट्वीट का गाजीपुर पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया.
लखनऊ से निर्देश के बावजूद पुलिस अधीक्षक डा. अरिवंद चतुर्वेदी अपन लोग से मिलने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए.
कप्तान ने ब्लड टेस्ट के लिए दुबारा उसी शख्स (पीड़िता महिला के पति) को बुलाया तो उसने भी एफआईआर तक न करवा सकने की हैसियत रखने वाले निरीह कप्तान को सीधे सीधे बोल दिया कि यहां बहुत काम है, आप खुद आ जाओ खून देने. बेचारे कप्तान साहब क्या करते, गए जिला अस्पताल और ब्लड टेस्ट के लिए खून दिया.
पूरे किस्सा-कोताह में ताजी सूचना ये है कि अथक प्रयासों से एफआईआर हो गया है मितरों.
बोलो जय श्रीराम.
बोलो बाबा की जय.
फूंको शंख.
बजाओ ताली.
गाओ गान- एफआईआर हो गया नादान…
योगीराज में महीनों बाद अंतत: एफआईआर कर दिए जाने के इस महती घटनाक्रम को विज्ञापित करने के लिए यह महान पोस्ट लिखने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा हूं.
बाकी विवेचना, बदमाश, गहने, मोबाइल…. छोड़िए महाराज… कहां पड़े चक्कर में… कोई नहीं टक्कर में…. बस राम नाम गाइए… उम्मीद में ताली बजाइए… क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जाओगे…. इसलिए दीया बाती जलाइए…. मंद मंद मुस्कराइए…. गर्व करिए कि आप योगीराज में हैं… 🙂
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उपरोक्त मनोरंजक कहानी के प्रमाण में पीड़ित महिला के महा पीड़ित पति का इंटरव्यू जरूर देखें-सुनें जिसका लिंक नीचे कमेंट बाक्स में डाल रहा हूं. किसी को इससे ज्यादा प्रमाण चाहिए तो मुझसे संपर्क करे.
जैजै
यशवंत
भड़ास के फाउंडर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.