पत्रकार की तरफ से वकील ने भारत सरकार के इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय व गूगल को नोटिस भेजा, सुप्रीम कोर्ट ऐडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने भेजा नोटिस, बोले-चैनल को बंद करके पत्रकारों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता, ‘सबका मंगल हो’ संस्था की यूनिट ‘सेंटर फॉर मीडिया राइट्स’ के आगे मोहित गुलाटी ने न्याय दिलाने की माँग!
चंडीगढ़ : आप बड़े जतन से अपने यूट्यूब चैनल के सब्सक्राइबर की संख्या लाखों में पहुंचा पाते हैं. अचानक बिना किसी वाजिब कारण आपको चैनल के बंद किए जाने का फरमान मिल जाए तो कैसा लगेगा? ऐसा ही कुछ हुआ कैथल निवासी मोहित गुलाटी के साथ. मोहित पिछले 6 साल से ‘हरियाणा तेज’ यूट्यूब चैनल चला रहे हैं. 16 मई को चैनल पर वीडियो चलाई कि ‘हिसार कांड, किसानों का फूटा कैथल में गुस्सा’ तो यूट्यूब ने बिना किसी चेतावनी के यूट्यूब से उनके चैनल को हटा दिया. यूट्यूब ने कहा कि उन्होंने नियमों का पालन नहीं किया. उस वीडियो में कुछ भी विवादित नहीं था।
18 मई को यूट्यूब से ई-मेल प्राप्त होता है जिसमें बताया गया कि वीडियो ने यूट्यूब की ‘मेडिकल मिसइंफोर्मेशन पॉलिसी’ का उल्लंघन किया है जिस कारण चैनल को बंद कर दिया गया है।
मोहित गुलाटी ने चैनल बंद करने के फैसले के खिलाफ बार बार अपील दायर करते हुए लिखा कि चैनल पर चली खबर किसी भी प्रकार से ‘मेडिकल इनफार्मेशन’ से सम्बंधित नहीं है। मोहित की अपीलों-जवाबों की कोई सुनवाई नहीं हुई। सब व्यर्थ रहा। ऐसे में मोहित ने वकीलों की सामाजिक संस्था ‘सबका मंगल हो’ की यूनिट ‘सेंटर फॉर मीडिया राइट्स’ के सामने अपनी व्यथा रखी है। संस्था ने ये केस सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट प्रदीप रापड़िया को सौंप दिया। एडवोकेट प्रदीप साइबर एक्सपर्ट भी हैं और पत्रकारिता में भी स्नातकोतर हैं ।
अधिवक्ता प्रदीप रापड़िया ने इलैक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार के मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद, उक्त मंत्रालय के सचिव एवं गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कार्यालय बंगलौर को सुप्रीम कोर्ट के अलग अलग फैसलों का हवाला देते हुए लीगल नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा है कि हालांकि गूगल का यूट्यूब प्राइवेट प्लेटफॉर्म है लेकिन ये लोगों के बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को डील करता है। ऐसे में किसी भी प्राइवेट प्लेयर को लोगों के मौलिक अधिकार से खिलवाड़ करने की इज़ाज़त नहीं दी जा सकती!
नोटिस में बताया गया है कि पत्रकार मोहित गुलाटी प्रिंट मीडिया से जुड़े हुए हैं जिन्होंने लोगों को खबरों की जानकारी देने के लिए सोशल चैनल भी चलाया हुआ है। यूट्यूब पर यह चैनल ‘हरियाणा तेज’ के नाम से चलता था कि जिसे खबर ‘हिसार कांड, किसानों का फूटा कैथल में गुस्सा’ दिखाने पर बंद कर दिया गया है, जिसका दूर दूर तक भी यूट्यूब की ‘मेडिकल मिसइंफोर्मेशन पॉलिसी’ से लेना देना नहीं है। प्रदीप रापड़िया ने जानकारी दी कि गूगल से जुड़े यूट्यूब को लोकतंत्र में स्वतंत्रता से बोलने की आजादी को किसी कीमत पर छीनने की छूट नहीं दी जा सकती। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी और हाल ही में विनोद दुआ के केस में कह चुका है कि लोकतंत्र में बोलने की स्वतंत्रता को नहीं छीना जा सकता।
एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने जानकारी दी कि आज के दौर में डिजिटल मीडिया व सोशल मीडिया बोलने व अभिव्यक्ति के अधिकार के प्रयोग में परंपरागत मीडिया से भी अहम भूमिका निभा रहा है। डिजिटल चैनल बंद किए जाने से सम्बंधित सरकार के कोई साफ़ दिशा-निर्देश या नियम नहीं हैं। ऐसे में इलेक्ट्रानिक और इंफोर्मेशन टेक्रालिजी मंत्रालय जो साइबर लॉक, आईटी एक्ट से संबंधित लोगों के अधिकारों को संरक्षित करता है; को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।
नोटिस में जानकारी दी कि इसके लिए यूट्यूब के साथ मंत्रालय भी जिम्मेदार है जो बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगा रहा है। यूटयूब जैसे संचार साधन अभिव्यक्ति और लोगों को जानकारी का माध्यम हैं, ऐसे में सरकार को लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। लीगल नोटिस में कहा गया है कि अगर 15 दिनों के अन्दर ‘हरियाणा तेज’ चैनल पुन: शुरू नहीं किया गया तो मजबूरीवश याचिकर्ता को अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए इलेक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय व गूगल के खिलाफ न्यायलय की शरण लेनी पड़ेगी।