जी ग्रुप से बड़ी खबर आ रही है. जवाहर गोयल के कमान संभालते ही छंटनी का एक बड़ा अभियान शुरू कर दिया गया है. पूरे जी नेटवर्क से पंद्रह फीसदी लोगों को हटाया जा रहा है. यह संख्या तीन सौ से उपर बैठती है. इसी कड़ी में सुशील जोशी, गौरव भटनागर और मेहराज दुबे हटाए गए हैं. सुशील जोशी एचआर हेड थे. गौरव भटनागर आईटी हेड. मेहराज दुबे मार्केटिंग हेड.
बताया जा रहा है कि जी ग्रुप के अखबार डीएनए के मुंबई आफिस से करीब 34 लोगों को हटा दिया गया है. इनमें ज्यादातर मार्केटिंग के हैं. इस छंटनी से पूरे जी ग्रुप में हड़कंप है. हर कोई अपनी जॉब को लेकर आशंकित है.
दर्शकों को दिन भर नैतिकता, नियम, कानून और राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने वाले जी ग्रुप ने अपने न्यूज चैनलों पर अपने यहां की जा रही छंटनी को लेकर एक लाइन भी खबर नहीं दिखाई. कायदे से दूसरों को आइना दिखाने वालों को बीच बीच में खुद भी आइना देखते रहना चाहिए लेकिन मीडिया वाले खुद के मामले में ऐसी चु्प्पी ओढ़ लेते हैं जैसे कुछ हुआ ही न हो.
सूत्रों का कहना है कि जी ग्रुप की पैरेंट कंपनी एस्सेल समूह काफी आर्थिक संकट में है. ढेर सारी देनदारियों के चलते जी ग्रुप का दिवाला निकल रहा है. ऐसे में पैसे बचाने के मकसद से छंटनी की जा रही है ताकि व्यय कम कर के आय में वृद्धि की जा सके.
पर सवाल उठता है कि क्या बचत के लिए सबसे पहला और आखिरी उपाय किसी के पेट पर लात मारना ही होता है? ढेरों अन्य तरीके हैं जिसके जरिए कंपनियां बहुत ज्यादा पैसे बचा सकती हैं. पर प्रबंधन सबसे आसान रास्ता छंटनी करना ही मान लेता है. मीडिया में छंटनी के मामलों को वैसे भी कोई विभाग या कोई सरकार सीरियसली नहीं लेती. इसलिए मनबढ़ मीडिया मालिक कभी भी किसी को निकाल बाहर कर देते हैं.