Apoorva Pratap Singh : मेरी एक ख़ास दोस्त है, जब वो कुछ 13-14 साल की रही होगी तब उसके अपने ही एक पुराने दोस्त से ‘प्रेम’ हो गया । अफेयर को एक दो ही महीने हुए कि उसे एहसास हुआ कि वो प्रेम में नहीं है, आकर्षण है । उसने अपने बॉयफ्रेंड को यह बात कही, पर वो खुद ही कौन सा समझदार था, उसने उसे फिर से कन्वेंस किया कि नहीं ये प्यार ही है! उन दोनों के बीच शारीरिक तौर से किसिंग और इसी के समकक्ष (सम्बन्ध नहीं) जैसा कुछ हो गया।
लड़की घर गई, उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्यों हुआ। उसके दिमाग में दो बातें चल रही थीं-
1 – उसने किस इसीलिये करने दिया लड़के को क्योंकि वो भी उसे प्यार करती है.
2 – यह किसिंग इसलिए हुई क्योंकि उसका खुद का कैरेक्टर खराब है !
उसके लिए यह मानना नामुमकिन था कि वो उसका ‘कैरेक्टर’ खराब है । इसलिए उसने पहले वाला ऑप्शन चुन लिया कि उसे प्रेम है उस लड़के से । उस बचपने की उम्र में उसने तीसरा ऑप्शन सोचा ही नहीं कि यह बस एक गलती है जिसे भूल जाना चाहिए । उसने उस छोटी सी उम्र में एक कमिटेड प्रेमिका होना चुन लिया । उसका मन उस रिश्ते को ले कर डांवाडोल ही रहा लेकिन चूंकि समय के साथ ही दोनों में शारीरिक नज़दीकी बढ़ रही थी वो अपने पाँव पीछे नहीं ले पाई ।
आप समझने की कोशिश कीजियेगा कि 14 साल के दो बच्चे अपनी शादी और अपने बच्चों के सपने देख रहे थे । लोगों को यह बहुत क्यूट लग सकता है! पर यह कत्तई क्यूट नहीं है! सबसे पहले तो यह कि उन बच्चों के दिमाग में यह कैसे आ गया कि जिससे पहला किस होगा उसी से शादी करनी होगी। वो उस किस के कारण अपने आकर्षण को प्रेम मानती रही । और अगले 8 साल तक इस रिश्ते को चलाती रही । इस बीच उस लड़के की पेट्रियॉर्कल पजेसिवनेस बढ़ती चली गई। लड़के ने कभी माना ही नहीं कि वो सब एक बचपना था या लड़की प्रेम में नहीं है । जब लड़की ने हिम्मत कर के पीछे हटना शुरू कर दिया, दिक्कतें बढ़ती चलीं गईं। और आज वो 4 साल से डिप्रेशन में है ।
यह कैरेक्टर, यौन शुचिता को ले कर इतना भय, बेवफ़ाई वगैरह यह सब कहाँ से आ गया बच्चों के मन में! क्योंकि स्लट शेमिंग का चलन है सोसाइटी में ! फिल्मों से ले कर घर तक में फलां ने उसको छोड़ा इसको पकड़ा, बेवफाई दिखाने के लिए सेक्स दिखाना बहुत ज़रूरी है, बदमाश लड़कियां (जो शराब पीती हैं, छोटे कपड़े पहनती हैं) किसी के भी संग सो जाती हैं।
आपको पता नहीं चलता कि इसका प्रभाव बच्चों के मन पर कितना गहरा पड़ता है, उनसे गलतियां हो जाती हैं और फिर वो उनको अपने सर पर ले कर घूमने लगते हैं क्योंकि उन्हें बेवफाई का तमगा नहीं चाजिये, उन्हें अपना वो आकर्षण, सच्चा प्यार साबित करना होता है।
अच्छा लड़का वो ही है जो लड़की अगर दारु पिए तो डांटते हुए घर ले जाए, अच्छी लड़की वो है जो अफेयर में भी छिप के करवा चौथ का व्रत रख ले! और जाने अनजाने सभी लोग इन चलनों को क्यूट या संस्कारों का नाम दे कर बढ़ावा देते हैं। पर कभी नहीं सोचते कि बच्चे गलतियां करते हैं, उन में यौन शुचिता का इतना भय न बनाइये कि जब उनसे ऐसी गलती हो जाये (जो कि होनी ही है) तो वो उस गलती को सर पे लाद लें क्योंकि वो लड़का तो छोडो उनकी अपनी माँ ही ऐसे शादी से पहले किस कर चुकी लड़कियों को बुरा बोलती रहतीं हैं।
मेरी दोस्त की कहानी का बस यह एक पहलू है, इसी के अंदर कई और भी पहलू हैं जिन्हें सोच कर मुझे कोफ़्त होती है, लगता है कि इन सब को यो हमने कैसे इग्नोर किया हुआ है । दो मासूम बच्चे जो अब बड़े हो गए हैं किस स्थिति में पहुँच गये हैं सिर्फ इसलिए क्योंकि उनको पहले से सेट पैरामीटर दे दिए गए जाने अनजाने में ही । एक भरम से निकल गई है तो दूसरा भ्रम में ही जी रहा है।
टीनएज बच्चों को idealism नहीं होता कोई, इसको समझने की ज़रूरत है, गलत रास्ते पर न निकल जाएं, यह भय बच्चों के साथ ही ज़्यादती करा देता है।
…जारी…
अपूर्वा प्रताप सिंह आगरा की रहने वाली हैं और फेसबुक की चर्चित लेखिका है. उनका यह लिखा उनके एफबी वॉल से लिया गया है.
https://www.youtube.com/watch?v=iu54DFqL4yI