तो क्या सीबीआई के डीआईजी के याचिका को हिन्दी अख़बारों ने प्रमुखता से छापा ? कुछ अख़बारों के पहले पन्ने को पढ़ रहा हूँ। यह देखने के लिए कि सीबीआई के DIG ने प्रधानमंत्री के राज्य मंत्री पर रिश्वत लेने और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल पर किसी को बचाने के लिए केस में दखल देने की जो हिम्मत दिखाई है, क्या उसे अख़बारों ने हिम्मत से छापा है?
इन्हीं अख़बारों में किसी के IAS, IPS बनने पर जश्न मनाते हैं मगर जब एक IPS सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय पर सवाल उठा देता है तो हिन्दी के अख़बार उसे सीबीआई बनाम सीबीआई का शीर्षक लगाकर छापते है। पत्रिका ने भी इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है। दैनिक भास्कर और दिव्य भास्कर ने डोभाल वाली ख़बर को प्रमुखता से छापा है। गुजराती अख़बार संदेश ने भी छापा है। गुजरात समाचार ने भी बैनर हेडलाइन लगाया है।
अमर उजाला में पेज नंबर 9 पर ख़बर छपी है। अमर उजाला ने पहले पन्ने पर जगह नहीं दी है। झारखंड दैनिक जागरण के पहले पन्ने पर रघुवर दास के बयान को बैनर हेडलाइन बनाया है। पहले पन्ने पर सीबीआई की ख़बर है मगर कीचड़ बता दिया है। डोभाल या राज्य मंत्री पर रिश्वत के आरोप को लेकर हेडलाइन नहीं है। झारखंड से ही एक अख़बार प्रभात ख़बर में मुख्यमंत्री के एक बोगस बयान को पहली लीड बनाया गया है।
हिन्दुस्तान ने भी विकास की ख़बर के बहाने किनारा कर लिया है। पहले पन्ने पर छापने की औपचारिकता पूरी की है। नवोदय टाइम्स ने पहली ख़बर हाइवे की बनाई है मगर उसके नीचे प्रमुखता से जगह दी है। आप चाहें तो ज़िला संस्करणों के स्क्रीन शाट कमेंट बाक्स में लगा सकते हैं ताकि सब देख सकें कि इस ख़बर के साथ क्या हुआ।
न्यूज़ चैनलों का हाल बुरा है। उन्होंने इसे न दिखाने का ‘वही वाला’ बहाना ढूँढ लिया है। चैनलों ने हद दर्जे की बेशर्मी दिखाई है।
वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार की एफबी वॉल से.
मूल खबर…
सीबीआई अफसर के नए खुलासे से भूकंप, कैबिनेट मंत्री से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तक फंसे!