पत्रकारों को अरेस्ट करने और गैंगस्टर लगाकर जेल भेजने के लिए पूरे देश में कुख्यात नोएडा की पुलिस ने एक नया कारनामा कर दिया है. पांच पत्रकारों पर गैंगस्टर लगा उनमें से चार को जेल भिजवाने वाले नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण के निर्देश पर नोएडा पुलिस की एक टीम सादी वर्दी में टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकार को अरेस्ट करने मेरठ पहुंच गई.
इस पत्रकार पर आरोप लगाया गया कि उसने नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण के अश्लील वीडियो को वायरल किया है. जबकि टाइम्स आफ इंडिया मेरठ के पत्रकार का कहना है कि उनके फोन पर ज्योंही नोएडा के एसएसपी का अश्लील वीडियो आया, उसे डाउनलोड कर फौरन एडीजी आलोक सिंह को फारवर्ड कर दिया और इस बारे में जानकारी दे दी.
एडीजी आलोक सिंह ने ये वीडियो वैभव कृष्ण को भेज दिया. बाद में वैभव कृष्ण का फोन टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकार के फोन पर आया. वैभव कृष्ण से सामान्य बातचीत हुई.
पर बाद में अचानक एक पुलिस टीम एसएसपी मेरठ के आफिस के बाहर पहुंच गई जहां पर पत्रकार कवरेज हेतु गए हुए थे. सादी वर्दी वाली नोएडा पुलिस की टीम ने टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकार को घेर लिया और गिरफ्तार करने की बाबत जानकारी दी.
इसी दरम्यान पत्रकार ने फोन कर एडीजी आलोक सिंह को खुद के पुलिस द्वारा अपहरण व गिरफ्तार किए जाने को लेकर अवगत करा दिया. एडीजी की फटकार पर पुलिस टीम मुंह लटकाए लौट गई.
इस प्रकरण को लेकर अमर उजाला अखबार के नोएडा एडिशन में खबर है कि नोएडा की पुलिस टीम को मेरठ में पत्रकार को गिरफ्तार करने की कोशिश करते वक्त पत्रकारों की एक टीम द्वारा बंधक बना लिया गया.
ये पूरा घटनाक्रम रोंगटे खड़े करने वाला है. ये घटनाक्रम बताता है कि नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण वर्दी के नशे में चूर हैं और किसी को भी गैरकानूनी तरीके से फंसाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार बैठे हैं. सोचिए, जब पत्रकार तक को ये शख्स बिना सबूत गिरफ्तार करने के लिए सादी वर्दी में पुलिस टीम भेज देता है तो आम लोगों के साथ क्या कुछ किया जाता होगा.
ऐसे वक्त जब सेक्स वीडियो सेक्स चैट लीक मामले की जांच हापुड़ के एसपी को दी जा चुकी है, पूरे प्रकरण का संज्ञान राज्य शासन ने ले लिया है, नोएडा पुलिस की निजी स्तर पर इसी कांड में एक सम्मानित पत्रकार को गुपचुप ढंग से गिरफ्तार करने मेरठ पहुंच जाना यह बताता है कि अगर नोएडा के कप्तान पद पर वैभव कृष्ण बने रहे तो आगे भी अपने तरीके से पूरे जांच को प्रभावित करने की कोशिश करते रहेंगे. हालांकि माना जा रहा है कि वैभव कृष्ण के सिर पर राज्य सरकार का सीधा हाथ है, डीजीपी आफिस से लेकर गृह विभाग और सीएम आफिस तक में उनके खास लोग हैं, इसलिए उनका बाल भी बांका न होगा.
ये भी कहा जा रहा है कि वैभव कृष्ण यूपी की सत्ताधारी ठाकुर लॉबी के खास पसंद हैं, इसलिए उन्हें चाहें जो हो, नोएडा से नहीं हटाया जाएगा. चर्चा है कि वैभव कृष्ण की कुर्सी हिलाने के पीछे ब्राह्मण लॉबी जोरशोर से लगी है. इसी के तहत साजिशन वैभव कृष्ण का स्टिंग कराया गया, उन्हें ट्रैप में लिया गया.
पर लोगों का कहना है कि वैभव कृष्ण दूध पीते बच्चे तो नहीं हैं. उन्हें अपने पद और अपने कद को देखते हुए कोई भी ऐसा काम अनजान महिला के साथ करने से बचना चाहिए था जिससे उनकी छवि भविष्य में खराब हो. वहीं कुछ अन्य का कहना है कि जब तक जांच न हो जाए, तब तक वायरल वीडियो को लेकर कुछ भी आथेंटिक नहीं कहा जा सकता है.
फिलहाल इस प्रकरण को लेकर जितने लोग हैं, उतने किस्म की बातें कर रहे हैं. वैभव कृष्ण अपने तानाशाही रवैये, गैर-कानूनी आचरण और भयंकर अहंकार के चलते आज अचानक चौतरफा हमलों से घिर चुके हैं. इस पूरे प्रकरण में पत्रकारों को गैंगस्टर लगाकर जेल भेजने के प्रकरण ने मीडिया इंडस्ट्री के लोगों को पहले से ही नाराज कर रखा है. पांच आईपीएस अफसरों पर कींचड़ उछालने की कोशिशों के चलते नौकरशाही के लोग भारी नाराज हैं. पर इन सबसे वैभव कृष्ण बेपरवाह हैं क्योंकि उन्हें सीधे लखनऊ का संरक्षण प्राप्त है. तभी तो टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकार को अपहृत करने, गिरफ्तार करने की नोएडा पुलिस की गैरकानूनी साजिशों के बावजूद अभी तक किसी का बाल बांका नहीं हुआ है.
नीचे अमर उजाल नोएडा और अमर उजाला मेरठ में इस संबंध में प्रकाशित खबरों की कटिंग है….
ये वो अप्लीकेशन है जिसे टाइम्स आफ इंडिया मेरठ के पत्रकार ने पूरे घटनाक्रम के बाद पुलिस को दिया है….
इस प्रकरण पर नोएडा के एसएसपी वैभव कृष्ण का पक्ष जानने के लिए उनके वाट्सअप नंबर पर भड़ास की तरफ से मैसेज डाला गया. वैभव कृष्ण का कहना है कि टाइम्स आफ इंडिया के पत्रकार को अरेस्ट करने के लिए नोएडा पुलिस की टीम भेजने की खबर झूठी है. ऐसा कोई आदेश पुलिस को नहीं दिया गया था.
भड़ास के फाउंडर और एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट. संपर्क- वाट्सअप 9999330099
मूल खबर-