हरियाणा के भगाना नामक गांव में एक अजीबो-गरीब घटना घटी। इस गांव के लगभग डेढ़ सौ दलितों ने अपना धर्म-परिवर्तन कर लिया। वे हिंदू से मुसलमान बन गए। उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि पिछले तीन साल से वे बहुत दुखी थे। उनके गांव की ऊंची जातियों के लोगों ने उनकी ज़मीनों पर कब्ज कर लिया था। उनकी बहू-बेटियों के साथ बलात्कार करते थे। उन्हें कुएं से पानी नहीं भरने देते थे और लगभग ढाई-सौ दलितों को गांव-निकाला दे दिया था।
ये दलित लोग चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री से मिल चुके थे। इन्होंने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई लेकिन इनको न्याय मिलने की बजाय गिरफ्तारी और पिटाई मिली। जबब ये जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे, केंद्र सरकार और अन्य राजनेताओं ने भी इनकी उपेक्षा की तो इन्होंने मजबूर होकर इस्लाम कबूल कर लिया। एक मौलाना ने इन्हें कलमा पढ़ा दिया।
यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं है और सिर्फ आज की नहीं है। यह पूरे हिंदुस्तान की है और सदियों से चली आ रही है। हिंदुत्व की ध्वजा फहरानेवाले लोगों के पास इस रोग का कोई इलाज नहीं है। वे हिंदुओं को संगठित करने पर जोर देते हैं, जो ठीक है लेकिन उनके पास कोई तरकीब नहीं है कि वे हिंदुओं को सुधारें। उनमें समता और बंधुता पैदा करें। छुआछूत खत्म करें। जातिवाद के विरुद्ध युद्ध छेड़ें। रोटी और बेटी का रिश्ता सब लोगों के बीच खुला हो। जब तक इस तरह की सामाजिक और सांस्कृतिक क्रांति का कोई तेजस्वी आंदोलन शुरु नहीं होगा, धर्म-परिवर्तन होता रहेगा। उसे कोई भी रोक नहीं पाएगा।
लेकिन जिन्होंने अपना धर्म-परिवर्तन किया है और जिन्होंने वह करवाया है, उनसे भी मुझे कुछ कहना है। गुस्से में आकर आपने अचानक धर्म-परिवर्तन कर लिया तो उससे क्या फर्क पड़ गया? क्या अब आपको भगाना गांव की ऊंची जातियां वहां वापस रहने देंगी? अब आप दुगुने अछूत हो जाएंगे। क्या भारत के मुसलमान आपके साथ रोटी और बेटी का व्यवहार खुलकर करेंगे? बिल्कुल नहीं करेंगे! जातिवाद के जहर ने भारत के इस्लाम को भी डस रखा है। जिस मौलवी ने इन दलितों को कलमा पढ़ाया है, उसने क्या नकली मुसलमानों की संख्या नहीं बढ़ाई है? यह इस्लाम का सम्मान हुआ है या अपमान? अच्छा तो यह होता कि राज्य और केंद्र की सरकारें भगाना के इन दलितों को तुरंत न्याय दिलाती और ये दलित लोग इस्लाम की ओट में छिपने की बजाय अपने अधिकार और सम्मान के लिए जी-जान से लड़ते।
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक डॉ. वेदप्रताप वैदिक से संपर्क : [email protected]