राकेश उपाध्याय-
प्रिय मित्र जितेंद्र तिवारी जी को हिन्दुस्थान समाचार सहकारी समिति लि. का सचिव नियुक्ति किए जाने पर कोटि कोटि बधाई। पिछले साल 2021 में जितेंद्र जी देश की सबसे पुरानी बहुभाषी न्यूज एजेंसी के संपादक और महाप्रबंधक नियुक्त हुए थे। और अब हिन्दुस्थान समाचार की केंद्रीय टीम ने उन्हें और बड़े दायित्व बोध से भर दिया है।
हिंदुस्थान समाचार के अध्यक्ष श्री अरविन्द मार्डीकर जी ने उनके मनोनयन की घोषणा की है। देश के वरिष्ठ पत्रकार आदरणीय राम बहादुर राय जी, श्री अच्युतानंद मिश्र जी और श्री बलबीर दत्त जी का उन्हें आशीर्वाद और सान्निध्य प्राप्त है।
जितेंद्र तिवारी जी की लगातार पदोन्नति उनके अनथक समर्पण का ही परिणाम है। उनसे मेरा प्रत्यक्ष संबंध साल 2004 के अंतिम चरण में उस दौर में आया जबकि मैं दिल्ली में पत्रकारिता में जगह हासिल करने के लिए इधर-उधर घूम रहा था। तब तिवारी जी राष्ट्रीय साप्ताहिक पांचजन्य में संवाददाता के रूप में अनेक बहुचर्चित रिपोर्टिंग के नाते प्रतिष्ठित हो चुके थे। कालांतर में मुझे उनके साथ पांचजन्य में काम करने का अवसर मिला।
परिचय कुछ ही समय में मित्रता और पारिवारिक निकटता के रूप में बढ़ता चला गया। कह सकता हूं कि तिवारी जी से मैंने काफी कुछ सीखा, उनकी सह्रदयता ने सदैव उनके भीतर एक विराट मनुष्य के दर्शन कराए हैं, ऐसे कितने ही अनुभव हैं जिन्हें फिर कभी साझा करुंगा। उनके भीतर सहकार का, समन्वय का, समदर्शिता का, संवाद का, सुयोग्य नेतृत्व का और सबसे बढ़कर एक कुशल संपादक, लेखक और संवाददाता का अद्भुत संयोग विद्यमान है, और यह समय के साथ निरंतर बढ़ता ही गया है।
हम लोग जिंदगी के इंटरवल से गुजर रहे हैं। तिवारी जी ने अपने इंटरवल को शीर्ष पर पहुंचकर सार्थक कर लिया है। वह एक कुशल टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। संपादन और संसाधन दोनों से जुड़ा गंभीर दायित्व उनके ऊपर है। आज की पत्रकारिता में यह परम आवश्यक है। विशेष रूप से जिन्हें शीर्ष की यात्रा करनी है, उन्हें संपादन के साथ साथ संसाधन जुटाने की कसौटी पर भी अपनी प्रतिभा को कसना पड़ता है।
हिन्दुस्थान समाचार की लॉन्चिंग टीम का हिस्सा बनने का सौभाग्य मुझे भी साल 2002-03 में प्राप्त हुआ था जबकि आदरणीय श्रीकांत जोशी जी ने मुझे भी वाराणसी में हिन्दुस्तान समाचार के लिए समाचार जुटाने और भेजने का कार्य सौंपा था। तब दिल्ली में रविन्द्र अग्रवाल जी, आशुतोष जी भटनागर ने इस कार्य का अच्छे से नेतृत्व किया था। बाद में दिल्ली में मुझे भी सुअवसर मिला। करीब 8 महीने डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में मैंने हिन्दुस्तान समाचार में अपना रोल निभाया।
दिन में तब पांचजन्य का काम करता था और शाम को हिन्दुस्तान समाचार में होता था। कुछ अतिरिक्त पैसे भी मिल जाते थे। किन्तु असल मुद्दा श्रीकांत जोशी जी का प्रेम और आग्रह था। उन्होंने हमें जीवन में सार्थक पत्रकारिता करने की प्रेरणा दी। आज हमारे बीच नहीं है किन्तु उनकी यादें इस जीवन भर के लिए ह्रदय में अंकित है।
हिन्दुस्तान समाचार सोसायटी के साठ साल पूरे होने पर जब सीईओ और संपादक के दायित्व में श्रीराम जोशी जी नियुक्त हुए तो मुझे भी इसके वार्षिक विशेषांक के मानद संपादक का दायित्व दिया गया। मेरी श्रीमती जी भी अंतरराष्ट्रीय खबरों का अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद करती थीं। उन्हें पीआईबी में भी तब अनुवाद के पैनल में जगह मिली थी। ये बात साल 2007-08 की होगी। श्रीकांत जी घूमघूमकर पाई पाई जोड़ते थे।
मुझे उन्होंने एक बार बताया था कि जब दोबारा हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी शुरु करने की ओर उन्होंने कदम आगे बढ़ाए तो काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने इसके लिए आरएसएस के तंत्र से कोई मदद नहीं मांगी। वह खुद ही इस फैसले पर आगे बढ़े क्योंकि वो दादा साहेब आप्टे की खड़ी की हुई विरासत को, उनके जलाए दीपक को बुझने नहीं देना चाहते थे।
श्रीकांत जी तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख थे। साल 2002 की बात है। केंद्र में एनडीए की सरकार थी। कम लोग जानते हैं कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय सरसंघचालक पू. बालासाहेब देवरस के निजी सचिव भी रहे थे। उन्होंने हिन्दुस्तान समाचार शुरु करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय दायित्व से स्वतः मुक्त होने का आग्रह किया। या कहिए कि संघ ने उन्हें दोबारा हिन्दुस्तान समाचार शुरु करने लिए दायित्व मुक्त किया।
इस तरह से एक बुझ चुके दीपक को फिर से जलाने के लिए श्रीकांत जोशी जी ने दिल्ली में डेरा डाला। उसके सभी पुराने कार्मिकों, अंशदाताओँ, सोसायटी के पदधारकों को एक एक करके मिले। पूरे देश में सभी पुराने और नए को जोड़ना शुरु किया। तब जाकर कहीं हिन्दुस्थान समाचार का पौधा फिर से जड़ पकड़ पाया।
आज जहां तक मैं समझता हूं कि 8-10 करोड़ रुपये सालाना बजट के साथ, देश के सभी प्रमुख बड़े शहरों, राज्य की राजधानियों में कार्यालय के साथ हिन्दुस्थान समाचार फिर से समाचार जगत में, विशेष रूप से देश की अनेक मातृभाषाओं में छोटे अखबारों के लिए, साप्ताहिक पत्रों के लिए बड़ी सहायता और सेवा कर रहा है।
अब इस महान कार्य को गति देने के लिए, जितेंद्र तिवारी जी के कंधों पर बड़ा दायित्व आया है। मनुष्य की प्रतिभा को पंख तभी लगते हैं जबकि उसके कंधों पर दायित्व रखा जाए और उस पर भरोसा किया जाए, उसे समय दिया जाए। तिवारी जी अपने इस नवीन दायित्व में सफल हों, यही काशी विश्वनाथ जी से प्रार्थना करता हूं। पुनः शुभकामनाएं।”