वाजपेयी के मास्टर स्ट्रोक्स से बिफरी हुई थी सत्ता…? एक समय देश का सबसे ज्यादा बिकने वाले दैनिक हुआ करता था बंगला अखबार आनंद बाजार पत्रिका और खासी प्रतिष्ठा थी इसके अंगरेजी दैनिक टेलीग्राफ की. अंगरेजी का साप्ताहिक संडे और हिंदी का धारदार साप्ताहिक रविवार इसी के प्रकाशन थे. जब न्यूज़ चैनलों का ज़माना आया तो विदेशी स्टार नेटवर्क ने इसके सहयोग से हिंदी चैनल स्टार न्यूज़ शुरू किया. स्टार के पलायन के बाद, आपको रक्खे आगे के नारे के साथ एबीपी न्यूज़ जोर शोर से अस्तित्व में आया.
अभी मुश्किल से एक महीना हुआ होगा जब पुण्य प्रसून वाजपेयी ने आज तक से बिदा लेकर एबीपी न्यूज़ में पदार्पण किया. रात नौ बजे के प्राइम टाइम पर उनका बेहद आक्रामक कार्यक्रम मास्टर स्ट्रोक शुरू हुआ और छा गया.बरसात से नागपुर की दुर्दशा पर उन्होंने मुख्यमंत्री फणनवीस, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घेरा था. नागपुर फणनवीस और गडकरी का गृह जिला है और संघ का मुख्यालय भी.तब वहां विधानसभा भवन मे पानी भर गया था. जून में मोदीजी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसानों से बात की जिसमे बस्तर की चन्द्रमणि ने खेती से आमदनी दुगुनी होने की बात कही थी. इस पर उनके संवाददाता ने चन्द्रमणि से बात की जिससे सच सामने आया की उसे जवाब रटवाया गया जो झूठ था.
इन स्ट्रोक्स के बाद ही इस कार्यक्रम के समय तकनीकी गड़बड़ी से चैनल अवरुद्ध होने लगा..! इसी बीच देश के सबसे ज्यादा बिकने वाले अख़बार दैनिक भास्कर में छपे उनके लेख-ना अच्छे दिन आए, ना अच्छे दिन आएंगे-ने आग में घी का काम किया होगा. नतीजतन सत्ता असहज हुई और एक महीने के भीतर पुण्य प्रसून वायपेयी की चैनल से बिदाई हो गई. उनके साथ एंकर अभिसार शर्मा और संपादकीय प्रभारी मिलिंद खांडेकर की बिदाई की बभी खबर है.
लेखक श्रीप्रकाश दीक्षित भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार हैं.