-अपूर्व भारद्वाज-
अजय देवगन और अक्षय कुमार अब साहब के भक्तों की नजरों में राष्ट्रविरोधी हो गए हैं।
बॉलीवुड के मीडिया ट्रायल के खिलाफ खड़े होने पर अजय औऱ अक्षय राष्ट्रविरोधी हो जाते हैं। जब वह तानाजी और केसरी जैसी फिल्म बनाते हैं तो वे राष्ट्रवादी हो जाते हैं।
अंध भक्ति औऱ गोदी मीडिया के रचे गए नकली राष्ट्रवाद ने लाखो लोगों के लिए असली राष्ट्रवाद की परिभाषा को इतना हल्का कर दिया है कि अगर आज भगतसिंह भी जिंदा होते तो उन्हें लेनिनवादी अर्बन नक्सली कह कर ट्रोल किया जाता औऱ भक्तों का भगवान मंद मंद मुस्कराता।
-शीतल पी सिंह-
वे जो पिछले तीन महीने से फ़िल्म इंडस्ट्री को हर क़िस्म के ग़लीज़ विशेषणों से नवाज़ रहे थे, माफ़िया / कातिल साबित कर चुके थे…
अब हाईकोर्ट में तलब होने को हैं…
तो..
कह रहे हैं कि हम पत्रकार हैं हमको गाली देने/ टीआरपी के लिये कुछ भी करने/ समानांतर कोर्ट सजाकर सजाएं सुनाने/ क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन करने / फ़ोरेंसिक एक्सपर्ट होने आदि की आज़ादी है?
हाईकोर्ट ने गर पूछा /नोटिस किया तो एफीडेविट पर लिख कर साबित करना पड़ेगा कि तुम्हें यह सब करने की आज़ादी है!
बस इतने से ही सूरमाओं और उनकी हिमायती सरकार की आँख में तारे छिटक गए हैं!
हे हाईकोर्ट हे सुप्रीम कोर्ट बीच बीच में सुओमोटो ये कर दिया करें तो हम शायद शोर से मरने से बच जायें…
मीडिया विश्लेषक अपूर्व भारद्वाज और वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह की एफबी वॉल से.
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