अमिताभ श्रीवास्तव-
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी संस्थाओं, तमाम बड़े निर्माताओं और बड़े सितारों की कंपनियों ने आख़िरकार अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है कि मीडिया को फिल्म वालों पर कीचड़ उछालने से रोका जाए।
शिकायत रिपब्लिक चैनल के प्रधान संपादक अर्णव गोस्वामी , उछलकूद मचाकर रिपोर्टिंग करने वाले उनके सहयोगी प्रदीप भंडारी, टाइम्स नाऊ के प्रधान संपादक राहुल शिवशंकर और समूह संपादक नविका कुमार के खिलाफ है।
ऐसा लगता है हिंदी सिनेमा के लोगों को हिंदी चैनलों से कोई शिकायत नहीं है, सिर्फ अंग्रेज़ी वालों से है। यह एक दिलचस्प एंगल है।
मुमकिन है ऐसा इसलिए हो कि फिल्म वाले आखिरकार ज़्यादातर खुद भी अंग्रेज़ी में ही बोलते-बतियाते हैं। वर्ना आजतक समेत तमाम प्रमुख हिंदी चैनलों ने भी सुशांत केस, रिया चक्रवर्ती, ड्रग्स के बहाने समूचे फिल्म उद्योग को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
अपूर्व भारद्वाज-
खबर है कि बॉलीवुड के 34 बड़े निर्माताओं द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय में इंग्लिश के दो बड़े चैनल के मशहूर पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है। उनके नाम हैं-
रिपब्लिक टीवी
अर्नब गोस्वामी
प्रदीप भंडारी
टाइम्स नाउ
राहुल शिवशंकर
नविका कुमार
यह केस इन पत्रकारों को बॉलीवुड के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना, अपमानजनक और अपमानजनक टिप्पणी न करने देने और बॉलीवुड हस्तियों के मीडिया ट्रायल रोकने के लिए किया गया है।
इन निर्माताओं का मानना है कि ये समाचार चैनल अत्यधिक अपमानजनक शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। जैसे- “गंदगी”, “दोगला”, “माफिया”, “नशेड़ी “। ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरूपयोग कर रहे हैं।
इस प्रकार के मामलों में पहले भी कोर्ट द्वारा मानहानि के मुकदमे दर्ज किए गए हैं औऱ भारी जुर्माना लगाया गया है। साथ ही कोर्ट ने गैर जिम्मेदार रिपोर्टिग करने से रोका है।
इन हस्तियों ने इन चैनलों का बहिष्कार का भी निर्णय लिया है। राहुल बजाज की तरह बहुत से कारपोरेट भी इनका आर्थिक बहिष्कार कर रहे हैं। अब इस गोदी मीडिया के खिलाफ पूरा बॉलीवुड जिस तरह की एकता दिखा रहा है वो निश्चित रूप से एक सबक सिखाएगा।
वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ श्रीवास्तव और मीडिया विश्लेषक अपूर्व भारद्वाज की एफबी वॉल से.
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