कपिल शर्मा-
आकाश सक्सेना पेशे से पत्रकार। 25 दिनों से अस्पताल में लड़ते लड़ते आज हमारा साथी कोरोना से जंग हार गया। बहुत गहरी क्षति है ये। हमेशा चेहरे पर मुस्कान और भगत सिंह जैसी मूंछे…वास्तविक किरदार भी गौमाता के लिए पूरी तरह समर्पित। यकीन नही होता कि अब तुम नहीं हो।
ईश्वर अपने चरणों मे स्थान दे।
अर्पण राउत-
कोरोना से नहीं, इस बार भी “भगतसिंह” की सिस्टम ने जान ले ली… एक पत्रकार जीवन भर दुनिया भर के ग़ैर लोगों के लिये सिस्टम से लड़ता है और मरता वो अकेला है। जैसे “भगतसिंह” इस देश के लिये फाँसी पर चढा दिये थे। ऐसे में हर कोई भगत सिंह दूसरे के घर में चाहता है, अपने घर में बिल्कुल नही।ठीक वैसे ही हमारे पत्रकारिता का भगत सिंह लचर सिस्टम से हार कर चला गया।
कॉलेज में सहपाठी रहे और फिर पत्रकारिता में मेरे बाद आये आकाश सक्सैना की आज कोरोना से दर्दनाक मौत हो गई। एक पखवाड़े से ज़्यादा वह कोरोना से संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती था। कॉलेज लाइफ़ से वह भगत
सिंह के गेट-अप में रहता था। तिरछी हैट और तलवार कट नुक्कीदार मूँछें। उसको सब भगत सिंह ही कहते थे।
पत्रकारिता के साथ वह गौ सेवा के अभियान से जुड़ा था। उसने अपने “गौसेवा” वॉट्स ऐप ग्रुप में कुछ दिन पहले अस्पताल से लेट लेटे लिखा था कि “मेरा कोरोना ठीक हो चुका है, यहाँ दिन में २० बार ऑक्सीजन जाने से बार बार मरने की नौबत आ गई है”।
आकाश कोरोना से जूझकर ठीक हो चुका था। ऑक्सीजन की कमी ही उसकी जान जाने की वजह रही। ये सिस्टम भगत सिंह तुम सुधार नहीं पाये।आज इसी लचर सिस्टम ने तुम्हारी जान ले ली। तुम्हारा गुरु-गुरु कहकर हंसते हुए बात करने का अंदाज सदैव स्मृति में रहेगा। ईश्वर पुण्य आत्मा को शांति दें।