Yashwant Singh : अखिलेश यादव अदूरदर्शी और बकलोल नेता हैं. उन्हें जमीनी हालत की समझ ही नहीं है. पूर्वांचल में कौमी एकता दल के पास ठीकठाक जनाधार है. मुसहर, जुलाहा टाइप हिंदू मुस्लिम्स की बेहद पिछड़ी या यूं कहिए अति दलित जातियों का माई बाप कौमी एकता दल ही है. सपा में इस पार्टी के विलय से सपा को जबरदस्त फायदा होता. लेकिन मीडिया और दूसरी पार्टियों के नेताओं के ‘अपराधीकरण अपराधीकरण’ के हो हल्ले के जाल झांसे में फंसकर अखिलेश न सिर्फ इस विलय को रद करा बैठे बल्कि जमीनी स्तर पर सपा संगठन को मजबूती देने वाले शिवपाल को भी नाराज कर दिया.
फिलहाल तो शिवपाल और अखिलेश में जबरदस्त वाली खींचतान चल रही है और सपा में दोनों का दो गुट बन चुका है. हर गुट नजर रखता है कि दूसरे गुट से कौन लोग जुड़े हैं और चल क्या रहा है. पिछले दिनों लखनऊ एक प्रोग्राम में जाना हुआ तो मंच से मैंने सपा में कौएद के विलय की जमीनी हकीकत ग्रासरूट असर की बात बता दी. इसका जिक्र आप इस रिपोर्ट में भी देख सकते हैं. http://www.bhadas4media.com/sabha-sangat/10460-sadhna-plus-samman-samaroh
मैं तो दिल से मना रहूं कि सपा हार जाए अगले चुनाव में ताकि ये दोनों गुट अपनी अपनी साइकिल लेकर अलग-अलग दिशा में दौड़ लगाएं, इस तरह दो अलग पार्टियां बना लें, एक तो मूल समाजवादी पार्टी रहेगी ही, अखिलेश के नेतृत्व में, दूसरी पार्टी बनेगी- समाजवादी पार्टी (मुलायम). प्रोफेसर रामगोपाल सनक गए किसी दिन तो तीसरी पार्टी बन जाएगी- समाजवादी पार्टी (लोहिया). पहली के नेता अखिलेश. दूसरी के शिवपाल. तीसरी के प्रोफेसर रामगोपाल. इस तरह यूपी में कुछ नए नेता पैदा होंगे. कुछ नए राजनीतिक समीकरण बनेंगे और मुर्दाहाल उत्तर प्रदेश में थोड़ी जान आ सकेगी. फिलहाल तो सब एकजुट होकर लूट रहे हैं, आपस में कम लड़ रहे हैं.
कार्यक्रम का सबसे मजेदार पार्ट रहा अल्का याज्ञनिक का गाना. ताज होटल के बाहर झूमकर बारिश हो रही थी और अंदर अल्का याज्ञनिक टिप टिप बरसा पानी गाकर माहौल मादक कर रहीं थीं.
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से. संपर्क: [email protected]
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