अमर उजाला देश का बड़ा अखबार है. बाकी अखबारों के मुकाबले इस अखबार पर सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है. अमर उजाला की सफलता और इस पर पाठकों के भरोसे के पीछे लंबी कहानी है। अतुल माहेश्वरी जी की दूरदर्शी सोच और संपादकीय मूल्यों ने आज अमर उजाला को इस मुकाम पर खड़ा किया है। उनके जाने के बाद यहां भी चाटुकारों और चमचों की फौज ख़ड़ी हो गई है। ये लोग जैसे तैसे इस संस्थान को भी भीड़ का हिस्सा बना देना चाहते हैं। सुगबुगाहट है कि संस्थान अपने संपादकीय मूल्यों से समझौता करता जा रहा है। निश्चित तौर पर अभी तो नहीं, लेकिन लंबे वक्त में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अब अमर उजाला को भी प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी जी से डर लगने लगा है। वह भी गोदी मीडिया का हिस्सा बनने की होड़ में नजर आ रहा है। डॉट कॉम तो इस मायने में एक कदम आगे बढ़ता जा रहा है। यहां मोदी की वो ख़बर पेज से हटा दी गई जिसमें उनकी जीभ फिसल जाने से छह सौ करोड़ मतदाता बोल दिए थे। जाने क्या हुआ कि यह खबर छापे जाने के कुछ दिन बाद इसे हटा दिया गया. यह ऐसी ख़बर थी जिसे पूरी दुनिया ने लाइव देखा था और हर अखबार में पढ़ा था.
आपको याद होगा, मोदी जी दावोस गए और वहां भाषण पढ़ते वक्त गलती से 600 करोड़ मतदाता गिनवा दिए. हालांकि भाषण के दौरान उन्होंने एक दो नहीं कई बार गलत सूचना पढ़ी. लेकिन यह वाली ज्यादा चर्चा में आई. अगले दिन अमर उजाला ने मीडिया का दायित्व निभाते हुए इसे 15वें पेज पर स्थान दिया. उसी दिन यह ख़बर डॉट कॉम में भी छपी. बाद में डॉट कॉम से यह ख़बर हटा ली गई. अमर उजाला को गोदी मीडिया का दौर मुबारक हो. साथ ही ऐसे संपादक को भी बारंबार बधाई जो खबर हटाने के खेल में उस्ताद नजर आते हैं.