रवीश कुमार-
उत्तराखंड की अंकिता के मामले में वो कथित VIP कौन है ?
झारखंड की अंकिता के घर प्राइवेट जेट से सांसद निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और अन्य नेता गए थे। पचीस लाख का चेक लेकर। प्राइवेट जेट पर भी कई लाख खर्च हुए ही होंगे। वो पैसा किसने दिया?
ज़रूरी नहीं कि बीजेपी के दो सांसद हर घटना के बाद चेक लेकर जाएँ लेकिन उत्तराखंड की अंकिता की हत्या में उनकी पार्टी के नेता के बेटे का नाम आया तो कोई दूसरा नेता जा सकता था। गिरफ़्तारी तो झारखंड में भी हुई थी लेकिन वहाँ धार्मिक रूप से भड़काऊ बयान दिए गए। यहाँ भी जाते तो पता चलता कि समाज और राजनीति में किस तरह की बीमारी घुसी हुई है। कम से कम दोनों सांसद इस खबर को ट्विट कर कार्रवाई करने की माँग कर देते जिसे ट्विटर पर शेयर किया जा रहा है। इसके लिए तो प्राइवेट जेट की ज़रूरत नहीं होगी।
वैसे देवघर एयरपोर्ट पर जो प्राइवेट जेट उतरा था, उसका पैसा किसने दिया था? क्या इन दो सांसदों के पास इतनी संपत्ति है अगर है तो जवाब आसानी से दिया जा सकता था कि अपने पैसे से गए थे और इतना लाख लगा है।
यशवंत सिंह-
अंकिता को किस vip को खुश करने से इनकार करने पर मारा गया…
बहुत बड़ा कांड है ये… गोदी मीडिया के चैनल इस मुद्दे पर जान बूझ कर कुछ नहीं दिखा रहे, कोई खोजपरक शोधपरक पत्रक़ारिता नहीं कर रहे क्योंकि सच्चाई सामने आ जाएगी तो उत्तराखंड में सरकार तो जाएगी ही, भाजपा वाले दौड़ाए जाएँगे। आका ने कह दिया है कि राजस्थान की राजनीति दिखाओ, ईरान दिखाओ, पाकिस्तान दिखाओ, मुल्लों का कोई भी मुद्दा सामने ले आओ… लेकिन अंकिता मर्डर केस की तरफ़ भूल कर भी न जाओ वरना सीबीआई ईडी द्वारा देख लिए जाओगे!
किसकी मजाल जो रंगा बिल्ला का कहा न माने!
बहरहाल पत्रकार मनमीत को इस रिपोर्ट के लिए बधाई।
इनके पास ईडी है सीबीआई है पुलिस है Stf है एसआईटी है… केंद्र व राज्य का पूरा फ़ौज फ़ाटा अमला झमला है… लेकिन उस वीआईपी का नाम नहीं पता लगा पा रहे जिसके सामने परोसे जाने से इनकार करने पर अंकिता को टार्चर करते हुए वीभत्स तरीक़े से मार डाला गया… देश के सारे गोदी प्रबंधित तेजतर्रार खोजी पत्रकार भी मौन हैं!
श्री कृष्ण
September 28, 2022 at 8:41 am
सम्माननीय सदस्यों।
नमस्कार।
मेरा अब तक का डिजिटल अनुभव रहा है कि –
डिजिटलाइजेशन पूरे विश्व के लिए खतरनाक है।
सीधे शब्दों में कहें तो यह है डिजिटलाइजेसन सभी
माध्यमों, स्रोतों व सूचनाओं का केंद्रीकरण है जबकि लोकतंत्र में विकेंद्रीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
डिजिटल डेटा को कंप्यूटर नेटवर्किंग और प्रोग्राम कोडिंग से जितना चाहें उतनी बार, देखा, कॉपी किया, बदला, व संशोधित किया जा सकता है। जबकि वास्तविक प्रतिलिपित को नही। और तो और डेटा को encrypted, Decrypted करके विशेष कूटभाषा में परिवर्तित भी किया जाता है।