अजय कुमार, लखनऊ
अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी उत्तर प्रदेश केे मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में लुभाने के लिए अपने गठबंधन के सहयोगी ‘अपना दल’ पर बड़ा दांव लगाने जा रही है.बीजेपी आलाकमान को समझ में आ गया है कि जब सीधी उंगली से घी नहीं निकले तो उंगली टेढ़ी करने में कोई बुराई नहीं है.इसके लिए वह अपना दल का सहारा लेगी,बीजेपी के थिंक टैंक के दिमाग में मुसलमानों का वोट हासिल करने के लिए अपना दल का सहारा लेने का हाल ही में सपा के दिग्गज फायर ब्रांड नेता आजम खान के गण में सम्पन्न हुए स्वार(रामपुर) विधान सभा उप चुनाव के बाद आया है.
हाल ही में हुए रामपुर जिले की स्वार विधानसभा सीट पर उपचुनाव में अपना दल(एस) के मुस्लिम प्रत्याशी को मिली जीत से उत्साहित भाजपा गठबंधन लोकसभा चुनाव में यह प्रयोग कई सीटों पर आजमा सकता है। भाजपा आलाकमान की सोच यह है कि मुस्लिम बाहुल्य जिन कुछ सीटों पर उसकी जीत की संभावना नहीं के बराबर हैं वहां की सीट विपक्ष के लिए छोड़ देने की बजाए अपने सहयोगी अपना दल को दे दी जाए जिसके पक्ष में मुसलमानों को वोटिंग करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है. यह दांव सही बैठ गया तो अपना दल कुछ सीटें निकालने में सफल हो जाएगी, जो उसके लिए घाटे का सौदा नहीं रहेगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बाहुल्य संभल, मुरादाबाद, अमरोहा,नगीना, सहारनपुर और पूर्वी यूपी की गाजीपुर, घोसी, अम्बेडकरनगर, जौनपुर आदि कुछ लोकसभा सीटों पर बीजेपी को सपा-बसपा गठबंधनक के प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा था. यहां मुस्लिम वोटरों की संख्या अच्छी खासी थी.
कहा जा रहा है कि 2024 में खासतौर से उन मुस्लिम बहुल सीटों पर दांव लगाने की तैयारी है, जिन पर 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी या उसके सहयोगी दल जीत नहीं हासिल कर सके थे। इस वक्त भाजपा का प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 64 पर कब्जा है। पार्टी के सहयोगी दल अपना दल(एस) के पास भी दो लोकसभा सीटे हैं। वहीं इस वक्त समाजवादी पार्टी के पास तीन सीटें है। 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी पांच सीटों पर चुनाव जीती थी। लेकिन 2022 में हुए उपचुनावों में सपा को आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा बीएसपी 2019 के चुनावों में 10 सीटें जीती थी। लेकिन हाल ही में गाजीपुर के पूर्व सांसद अफजाल अंसारी को चार साल से अधिक की सजा सुनाए जाने के बाद उनकी सदस्यता को भी खत्म कर दिया गया है। अब बसपा के पास सिर्फ नौ सीटें ही बची हैं।
रामपुर की स्वार विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल सीट है। इस सीट पर 65 फीसदी से अधिक मुस्लिम वोटर हैं।कई वर्षो से इस सीट पर सपा नेता आजम खां के परिवार का वर्चस्व रहा है। 2017 और 2022 विधानसभा चुनावों में आजम खां के बेटे अब्दुल्लाह आजम ने यहां से जीत दर्ज की थी। उपचुनावों में भाजपा ने अपने सहयोगी अपना दल (एस) को यह सीट दे दी थी, अपना दल(एस) ने इस सीट से मुस्लिम प्रत्याशी शफीक अंसारी को टिकट दिया,जो जीतने मेें सफल रहा। इससे पार्टी को लगता है कि लोकसभा चुनावों में भी अगर इस तरह का प्रयोग किया जाए तो मुस्लिम बहुल सीटों पर जीत हासिल की जा सकती है। ऐसे मुस्लिम मुस्लिम मतदाता जो सपा-बसपा से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं, वह अपना दल के नाम पर बीजेपी के साथ आ सकते हैं क्योंकि उनके लिए भाजपा के कमल के फूल के निशान की जगह अपना दल (एस) को वोट देने से गुरेज नहीं रहता है।
अजय कुमार,लखनऊ
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लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और माया पत्रिका के ब्यूरो प्रमुख रह चुके हैं