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अर्णव ने सोनिया के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया वो पत्रकारिता नहीं हो सकती

Brahmaveer Singh : अर्णव और खतरे में पत्रकारिता… पत्रकारिता का सूत्र वाक्य कबीर साहब ने कहा है- ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया। पत्रकार वही है जो तथ्य को ज्यों की त्यों रख दे, बिना अपनी ओर से विचारों की मिलावट किए। जो अपने विचार थोपने की कोशिश करे वो पत्रकार नहीं है। वो एजेंट है। किसका? यह अब चेहरे देखकर पहचाना जाने लगा है।

बहुत कम टीवी डिबेट अब देखने लायक होते हैं। लोग भी कम देखते हैं वही देखते हैं जिनके पास खुद का दिमाग और विचार नहीं है।

मैंने अर्णव को अब तक कुल मिलाकर आधा घंटा भी नहीं देखा होगा। बीती रात छत्तीसगढ़ में दर्जनों एफआईआर उसके खिलाफ हुई तो देखा कि उसने ऐसा क्या कहा जो एक वरिष्ठ मंत्री और पीसीसी अध्यक्ष खुद थाने पहुंच गए अर्णव के खिलाफ।

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पहली नजर में ही अर्णव गलत लगे। उन्होंने श्रीमती सोनिया गांधी के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया वो पत्रकारिता नहीं हो सकती। आप खुद के विचारों को पत्रकारिता का कवर चढ़ा कर पेश कर रहे हैं। हमारे जैसे हजारों पत्रकारों का नुकसान कर रहे हैं। जिन्होंने पूरी जिंदगी केवल वहीं किया को पत्रकारिता ने सिखाया। ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया।

मुझे लगता है कि देश की निष्पक्ष जनता अर्णव को गलत ही समझेगी। लेकिन उसके शब्दों से श्रीमती सोनिया गांधी का कद और सम्मान कम नहीं होगा। विदेशी होने के बाद भी श्रीमती सोनिया गांधी ने जिस तरह से भारतीय संस्कृति को अपनाया वो सराहनीय है। देश में जन्मी कई नेत्रियों को पश्चिमी पहनावे में देखा होगा। पर सोनिया हमेशा साड़ी में दिखीं। हमने जबसे होश संभाला कभी उन्हें इस देश की मर्यादा तोड़ते नहीं देखा। यह कम बड़ी बात नहीं है। केवल उनके इटली में जन्म लेने से उन पर सवाल उठाए जाएं यह गलत है।

पर कांग्रेस जिस तरह से इसे आक्रामक अंदाज में , बदला लेने की नीयत से हैंडल करना चाहती है उससे अर्णव को ही फायदा होने वाला है। विरोध एक एफ आई आर से भी जताया जा सकता है। कानून में उसके लिए भी उतनी ही सजा है। लेकिन सैकड़ों एफ आई आर बदले की भावना का अहसास करा रही हैं जो गांधी का रास्ता नहीं है। उस पर अर्णव पर हमला , अगर सही है तो कांग्रेस अपना पक्ष कमजोर कर रही है। इससे जनता दो हिस्से में बंटेगी, अर्णव शायद यही चाहता था। और पत्रकारिता.. उसका नुकसान अर्णव जैसे लोग रोज कर रहे हैं।

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पत्रकार ब्रह्मवीर सिंह की एफबी वॉल से.


मूल खबर-

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अर्णब गोस्वामी के बुरे दिन शुरू, छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ एफआईआर के बाद मुंबई में हमला

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हमला निंदनीय है लेकिन पत्रकारिता के नाम पर अरनब जो कुछ कर रहे वह बहुत शर्मनाक है!

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