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अर्णब गोस्वामी के बुरे दिन शुरू, छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ एफआईआर के बाद मुंबई में हमला

NUJ(I) condemns the attack on Editor-in-Chief of Republic TV Arnab Goswami and his journalist wife Samia Goswami

New Delhi, April 23, 2020:- In a statement National Union of Journalists (India) reacts that violence has no room in Democracy and Media should be respected and properly protected in a democratic system. If anybody is aggrieved of anything they should chose appropriate path to show their protest instead of violence, said Ras Bihari President, NUJ(I) and Prasanna Mohanty, Secretary General. Both of them further mentioned that when the whole country is fighting against Corona Epidemic our all focus should be concentrated on that point and it should not be diverted. On the other hand NUJ(I) observed that journalists and Media houses also should never cross their limit at any cost and should strictly stick to the professional ethics.

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‘These incidents re-establishes the justification of promulgation of enactment of Journalists Protection Act as demanded by NUJ(I)’s.’ The statement added.

Office Secretary

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National Union of Journalists (India)


Ashwini Kumar Srivastava : मीडिया और इंटरनेट के नफरती शेर होने लगे ढेर !!! विपक्षी दलों और आम लोगों ने छेड़ी देशभर में कानूनी मुहिम… अभद्र/ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने अथवा अपनी इकतरफा या अपूर्ण खबरों के जरिए देश में सांप्रदायिक तनाव / नफ़रत फैलाने के लिए मीडिया पर कसा कानूनी शिकंजा… सोशल मीडिया पर भी सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए नफ़रत और झूठ/ अफवाह का प्रसार करने व अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने या धमकी देने वाले लोगों पर हो रहे चौतरफा मुकदमे देर आए , दुरुस्त आए….

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जो काम बरसों पहले हो जाना था, वह अब हो रहा है यानी मीडिया और सोशल मीडिया का दुरुपयोग करके देश और समाज को नुक्सान पहुंचा रहे लोगों पर कानूनी कार्यवाही…. इस मुहिम का ताजातरीन शिकार बने हैं रिपब्लिक टीवी के संपादक अरनब गोस्वामी.

गोस्वामी पर एक साथ कई राज्यों में FIR दर्ज करवाई गई हैं. हालांकि उनसे पहले महाराष्ट्र में एबीपी के एक पत्रकार की गिरफ्तारी भी इसी तरह के आरोपों में हो चुकी है. जाहिर है, मीडिया को भी गैर भाजपा शासित राज्यों समेत पूरे देश में विपक्षी दलों ने अपने निशाने पर ले लिया है. जबकि सोशल मीडिया और वॉट्सएप पर भी इसी तरह अभद्र भाषा इस्तेमाल करने, धमकी देने , झूठ/ अफवाह या फर्जी खबरों से नफ़रत फैलाने वाले इंटरनेट रणबांकुरों के खिलाफ भी गैर भाजपा शासित राज्यों समेत लगभग पूरे देश में मुकदमे दर्ज करवा कर उनकी भी गिरफ्तारियां की जा रही हैं.

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उधर, अरनब पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने और सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेताओं ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में एफआईआर दर्ज करायी गई है. छत्तीसगढ़ में तो राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने खुद अर्णब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. हालांकि इसी एफआईआर के आधार पर उनकी गिरफ्तारी की मांग होना शुरू ही हुई थी कि इस बीच बुधवार रात अर्णब ने एक वीडियो रिलीज़ कर, कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर अपने ऊपर हमले का आरोप लगा दिया है.


Mukesh Kumar : मीडिया का राजनीतिकरण नहीं अपराधीकरण हुआ है। मीडिया इंडस्ट्री में कई गैंग और डॉन सक्रिय हैं। मीडिया अब माफिया में तब्दील हो चुका है। उसका एक अंडरवर्ल्ड है जिसके कनेक्शन सत्ता और व्यवस्था से जुड़े हैं। सत्ता का उनके सिर पर हाथ है। सत्ता के इशारों पर वे चरित्र हत्याएं करते हैं, मॉब लिंचिंग करते हैं। सत्ता के इशारे पर वे ख़बरों में मिलावट करते हैं और तरह-तरह की सामाजिक बीमारियाँ (भेदभाव, तनाव, घृणा, हिंसा) फैलाते हैं। इन्हें पत्रकारों या मीडियाकर्मियों की तरह नहीं अपराधियों की तरह देखा जाना चाहिए और इनसे इसी रूप में व्यवहार किया जाना चाहिए। पिछले छह सालों का मीडिया इतिहास ख़ास तौर पर यही बताता है।


Anurag Dwary : ना मैं अर्णब का पक्षधर रहा, ना गौरी लंकेश का … मेरा मानना है कि पत्रकारिता की आड़ में ये धुरी हैं … लेकिन मैं अभिव्यक्ति की आज़ादी का पक्षधर रहा हूं … कलम स्वतंत्र होनी ही चाहिये … आपके आराध्य इतने कमज़ोर ना हों कि किसी के लिखने से बोलने से मूर्ति भंजित हो जाए …

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मैंने गौरी लंकेश को अनुवादित ही पढ़ा जैसे “हमारा अपना महिषासुर”

जो मुझे ठीक नहीं लगा, और भी लेख हैं …

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मैंने अर्णब को सुना … कोई पत्रकार जिसके सिर पर कोई सवार हो जाए वैसे आचरण था

मुझे अच्छा नहीं लगा …

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लेकिन क्या आपको अच्छा लगा कि अपनी मान्यताओं के लिये आप किसी की हत्या कर दें?? मामला दर्ज करा दें ???

सोचिएगा … सवाल अपनी अपनी मान्यताओं, अपनी अपनी मूर्तियों का है…

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वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी कुमार श्रीवास्तव, मुकेश कुमार और अनुराग द्वारी की एफबी वॉल से.

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हमला निंदनीय है लेकिन पत्रकारिता के नाम पर अरनब जो कुछ कर रहे वह बहुत शर्मनाक है!

अर्णव ने सोनिया के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया वो पत्रकारिता नहीं हो सकती

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