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सियासत

भारत रत्न अटलबिहारी बाजपेयी का ‘वो’ इकबालिया बयान

अटलबिहारी बाजपेयी ने पहली सितम्बर 1942 को द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट एस हसन के सामने उर्दू में लिए गये निम्नलिखित इकबालिया बयान पर हस्ताक्षर किये (उनके बड़े भाई प्रेम बाजपेयी ने भी ठीक ऐसा ही बयान दिया था।)  

<p>अटलबिहारी बाजपेयी ने पहली सितम्बर 1942 को द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट एस हसन के सामने उर्दू में लिए गये निम्नलिखित इकबालिया बयान पर हस्ताक्षर किये (उनके बड़े भाई प्रेम बाजपेयी ने भी ठीक ऐसा ही बयान दिया था।)  </p>

अटलबिहारी बाजपेयी ने पहली सितम्बर 1942 को द्वितीय श्रेणी मजिस्ट्रेट एस हसन के सामने उर्दू में लिए गये निम्नलिखित इकबालिया बयान पर हस्ताक्षर किये (उनके बड़े भाई प्रेम बाजपेयी ने भी ठीक ऐसा ही बयान दिया था।)  

 मेरा नाम : अटल बिहारी 

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पिता का नाम : गौरी शंकर 

मेरी जाति : ब्राह्मण 

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उम्र : 20 

पेशा : छात्र , ग्वालियर कॉलेज 

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मेरा पता : बटेश्वर 

थाना : बाह जिला आगरा 

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अदालत द्वारा यह पूछे जाने पर ” क्या तुमने आगजनी करके नुकसान पहुंचाया ?” 

श्री अटल बिहारी जी ने निम्लिखित बयान दिया : 

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“27 अगस्त 1942 को बटेश्वर बाजार में आल्हा गया जा रहा था दोपहर करीब 2 बजे ककुंआ उर्फ़ लीलाधर और महुआ आल्हा स्थल पर आये और एक भाषण दिया और लोगो को जंगलात के कानून तोड़ने के लिए उकसाया । दो सौ लोग जंगलात चौकी गए और मैं अपने भाई के साथ उस भीड़ के पीछे गया और बटेश्वर जंगलात चौकी पहुंचा । मैं और मेरा भाई नीचे रह गए और बाकी सभी लोग ऊपर चले गए । मैं कंकुआ और महुआ को छोड़कर जो वहां थे किसी और आदमी का नाम नहीं जानता ।”

” मुझे ऐसा लगा कि ईंटे गिर रही हैं । मैं यह नहीं जान सका की दीवार को जमीन पर कौन गिरा रहा है लेकिन दीवार की ईंटे जरूर गिर रही थी ।” 

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” अपने भाई के साथ मैं माईपुरा जाने के लिए चल पड़ा और भीड़ हमारे पीछे थी । ऊपर बताये गए लोगों ने कांजी हॉउस से जबरदस्ती बकरियों को निकाल दिया और भीड़ बिचकोली की तरफ चल दी । जंगलात चौकी पर दस या बारह लोग थे । मैं 100 गज की दूरी पर था । सरकारी इमारत को गिराने में मैंने कोई मदद नहीं दी । इसके बाद हम अपने – अपने घर चले गए ।”

हस्ताक्षर : एस हसन 1/09/42

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हस्ताक्षर : अटलबिहारी बाजपेयी 

यह बयान जाब्ता फौजदारी कानून की धारा 164 के तहत दर्ज किया गया । मजिस्ट्रेट ने बयान के साथ अंग्रेजी में निम्नलिखित नोट जोड़ा : मैंने अटल बिहारी पुत्र गौरी शंकर को यह बता दिया है कि इक़बाल करने को वह बाध्य नहीं है और अगर वह ऐसा करता है तो जो भी इकबाल करेगा उसे उसके खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है । मुझे यकीन है कि यह इकबालिया बयान स्वेच्छा से दिया गया । यह मेरी मौजूदगी में और सुनवाई में लिया गया और अटलबिहारी को पढ़कर सुनाया गया , जिसने यह बयान दिया है उसने इसका सही होना स्वीकार किया और जो बयान उसने दिया इसमें उसका पूरा और सही ब्यौरा दर्ज है । 

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हस्ताक्षर : एस हसन 

मजिस्ट्रेट द्वितीय श्रेणी 

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01/09/1942

(एस टी न.03/1943 जिला जजी आगरा)

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मधुवनदत्त चतुर्वेदी के फेसबुक वॉल से

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