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सियासत

बाबा रामदेव को अगर हरियाणा सरकार ने कैबिनेट रैंक दे दिया है तो इस पर हंगामा क्यों है बरपा?

Mukesh Yadav : बाबा रामदेव को अगर हरियाणा सरकार ने कैबिनेट रैंक दे दिया है तो इस पर हंगामा क्यों है बरपा? रामदेव ने शायद ही कभी कोई साम्प्रदायिक बयान दिया हो? जबकि टुच्चे टुच्चे राजनेता हर रोज जहर उगल रहे हैं! रामदेव की तुलना दूसरे बाबाओ से नहीं की जा सकती ! रामदेव एक उद्यमी बाबा है। उन्होंने सिर्फ दान से इतना बड़ा विकल्प खड़ा नहीं किया बल्कि उद्यम किया है। योग को तो वर्ल्ड फेम किया ही।

<p>Mukesh Yadav : बाबा रामदेव को अगर हरियाणा सरकार ने कैबिनेट रैंक दे दिया है तो इस पर हंगामा क्यों है बरपा? रामदेव ने शायद ही कभी कोई साम्प्रदायिक बयान दिया हो? जबकि टुच्चे टुच्चे राजनेता हर रोज जहर उगल रहे हैं! रामदेव की तुलना दूसरे बाबाओ से नहीं की जा सकती ! रामदेव एक उद्यमी बाबा है। उन्होंने सिर्फ दान से इतना बड़ा विकल्प खड़ा नहीं किया बल्कि उद्यम किया है। योग को तो वर्ल्ड फेम किया ही।</p>

Mukesh Yadav : बाबा रामदेव को अगर हरियाणा सरकार ने कैबिनेट रैंक दे दिया है तो इस पर हंगामा क्यों है बरपा? रामदेव ने शायद ही कभी कोई साम्प्रदायिक बयान दिया हो? जबकि टुच्चे टुच्चे राजनेता हर रोज जहर उगल रहे हैं! रामदेव की तुलना दूसरे बाबाओ से नहीं की जा सकती ! रामदेव एक उद्यमी बाबा है। उन्होंने सिर्फ दान से इतना बड़ा विकल्प खड़ा नहीं किया बल्कि उद्यम किया है। योग को तो वर्ल्ड फेम किया ही।

भारी पूंजी के सहारे उपभोक्ता बाजार में गुणवत्ता रहित उत्पाद बेचने वाली कंज्यूमर गुड्स कंपनियों को एक स्वस्थ चुनौती दी है! फिर आयुर्वेद! हालात यह है कि आयुर्वेदिक दवाओं को तैयार करने के लिए जो तत्वगत जानकारी, धीरता, तैयारी चाहिए, उसका अभी इस देश में घोर अभाव है। बाबा रामदेव ने इस तरफ जो प्रयास किया है वह अभी अप टू दी मार्क भले ही न हो लेकिन सराहनीय प्रयास है क्योंकि यह काम बेहद मुश्किल है।

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जरुरत इस बात की है कि हम एक खास चश्मा लगाकर. पूर्वाग्रह से चीजों को न देखें बल्कि चीजें जैसी हैं वैसी देखने का प्रयास करें। दरअसल सिस्टम से बाहर रहकर आप जितना चाहें हल्ला मचा सकते हैं। लेकिन सिस्टम में रहकर गैरजरूरी चीजों का विरोध करना और जरूरी मुद्दों के लिए लड़ना अपरिहार्य है। रामदेव साम्प्रदायिक सोच के व्यक्ति नहीं हैं। राम देव से आप ये उम्मीद कर सकते हैं कि जरुरत पड़ने पर वह अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं। फिर रामदेव को खट्टर की कृपा की जरुरत भी नहीं है। इसलिए विचारपूर्वक सोचें। बाकि सब अपनी धारणाए–अवधारणाएं बनाने के लिए स्वतंत्र हैं।

स्प्रिचुवल जर्नलिस्ट मुकेश यादव के फेसबुक वॉल से.

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