देहरादून से खबर है कि न्यूज18 डिजिटल से मुकेश यादव ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने नई पारी की शुरुआत दिल्ली में आउटलुक डिजिटल के साथ की है. इस बाबत मुकेश यादव ने फेसबुक पर जो सूचना अपने परिचितों के लिए पोस्ट की है, वह इस प्रकार है :
देहरादून से खबर है कि न्यूज18 डिजिटल से मुकेश यादव ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने नई पारी की शुरुआत दिल्ली में आउटलुक डिजिटल के साथ की है. इस बाबत मुकेश यादव ने फेसबुक पर जो सूचना अपने परिचितों के लिए पोस्ट की है, वह इस प्रकार है :
राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला समेत कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके मुकेश यादव ने लंबे गैप के बाद नई पारी की शुरुआत डिजिटल मीडिया के साथ की है. उन्होंने देहरादून में न्यूज18 डाट काम ज्वाइन किया है. न्यूज18 डॉट कॉम इटीवी नेटवर्क का डिजिटल विंग है. मुकेश यादव पत्रकारीयर करियर से मुक्ति पाकर आंतरिक समझ व शांति हेतु लंबी पद यात्रा पर निकले थे. उन्होंने अपनी नई पारी के बारे में फेसबुक पर कुछ यूं लिखा है:
Mukesh Yadav : जंतर मंतर पर प्रदर्शन के साथ साथ यह निर्णय भी हो ही जाना चाहिए कि जब तक जगेंद्र का हत्यारोपित यूपी सरकार का मंत्री हटा नहीं दिया जाता, कोई भी मीडिया माध्यम अखिलेश यादव सरकार की कवरेज नहीं करेगा। इसके लिए तमाम मीडिया संगठनों पर दबाव बनाया जाए। साथ ही वेस्टेड इंटरेस्ट वाले एडिटर्स गिल्ड और एनबीए को बाध्य किया जाए कि वे जगेंद्र प्रकरण में शामिल उक्त मंत्री के हटने तक यूपी सरकार की कवरेज रोकने के लिए गाइडलाइंस जारी करें। क्योंकि ध्यान रहे अखिलेश सरकार तो हर रोज अपनी विदाई की पटकथा खुद ही लिख रही है। इस पटकथा को सूबे की पीड़ित जनता जल्दी ही साकार कर देगी। लेकिन ये लालची मीडिया संगठन, जिनके लिए पत्रकारों की सुरक्षा कोई मुद्दा ही नहीं है, कहीं नहीं जाने वाले। इसलिए इन्हें एक्सपोज करने का भी यह एक उचित अवसर है। इस क्रूर व्यवस्था में, जहाँ सच के लिए कोई जगह ही नहीं है, अगर आज इतना भी हो जाए तो एक उम्मीद बंधती है! बाकि इस भ्रष्ट सिस्टम में सत्य के दीवानों के लिए जगेंद्र होना ही नियति है।
वक्त के गुजरने की गति हैरान करती है! टीवी को घर से निकाले एक दशक पूरा हो गया! लेकिन लगता है कल की ही बात है। उस वक्त मैं अमर उजाला नोएडा में था, रात की ड्यूटी करके ढाई बजे रूम पर पहुँचता और बस फिर क्या, बिना कपड़े बदले कुर्सी पर पसर जाता और पौ फटने तक न्यूज़ चैनलों को अदालत बदलता रहता। वही एक जैसी बासी ख़बरें सब चैनलों पर देखता रहता। मेरी इस आदत के चलते पढ़ना लिखना एकदम रुक ही गया था। पूरा रूटीन डिस्टर्ब रहता। सुबह छह सात बजे सोता। 11-12 बजे उठता। नींद आधी अधूरी। शरीर की लय ताल बिगड़ी रहती। फिर सोने की कोशिश। लेकिन कोई फायदा नहीं। तब तक फिर ऑफिस जाने की तैयारी। सब कुछ गड़बड़। ऑफिस के अलावा मेरा अच्छा खासा वक्त टीवी देखने में जा रहा था। मेडिटेशन सिट्टिंग्स बंद हो चुकी थी। अब टीवी ध्यान दर्शन चल रहा था। एनएसडी की विजिट्स अब कम हो गई थी। वीकेंड मूवीज और आउटिंग भी बंद क्योंकि टीवी है ना! एलजी का यह नया गोल्डन आई अब मेरी आँखों में खटकने लगा था।
Mukesh Yadav : बाबा रामदेव को अगर हरियाणा सरकार ने कैबिनेट रैंक दे दिया है तो इस पर हंगामा क्यों है बरपा? रामदेव ने शायद ही कभी कोई साम्प्रदायिक बयान दिया हो? जबकि टुच्चे टुच्चे राजनेता हर रोज जहर उगल रहे हैं! रामदेव की तुलना दूसरे बाबाओ से नहीं की जा सकती ! रामदेव एक उद्यमी बाबा है। उन्होंने सिर्फ दान से इतना बड़ा विकल्प खड़ा नहीं किया बल्कि उद्यम किया है। योग को तो वर्ल्ड फेम किया ही।
(स्वामी मुकेश यादव)
Mukesh Yadav : सॉवैल्डी (Sovaldi) यानी Sofosbuvir (केमिकल नाम) को क्रोनिक हेपेटाइटिस सी (एचसीवी) के उपचार में चमत्कारिक दवा बताया जा रहा है। अमेरिका की दवा निर्माता कंपनी जिलैड साइंसेज ने यह दवा तैयार की है। इस दवा से एचसीवी (जेनोटाइप 1, 2, 3 और 4) पूरी तरह क्योरेबल बताया जा रहा है। एचसीवी का यह पहला, ऑरल ट्रीटमेंट रेजीम (सिर्फ खाने की दावा से इलाज) है; इंजेक्शन की ज़रूरत नहीं होगी! इसके तहत अमूमन रोगी को 12 सप्ताह (उपचार की अवधि इन्फेक्शन की इंटेंसिटी पर निर्भर करती है) तक बस एक टेबलेट रोज खानी होती है। अमेरिका में यह दवा पिछले साल ही बाजार में उपलब्ध हो गई थी। हालांकि दवा की कीमत वहां आश्चर्य जनक रूप से महंगी है। सॉवैल्डी की सिर्फ एक गोली $1000 यानी करीब 62 हजार की है! 12 सप्ताह का कोर्स $84000 है!
Mukesh Yadav : CIA Torture Report is American Shame! This torture report will be available in a book form soon! This brutal torture programme exposed American values and their double standards on human rights! CIA’s torture techniques leave dark stains on American history forever! It seems that CIA is America’s official ISIS!
Vinod Sharma : The NDA seems to be be running it’s black money narrative as a television serial. It cannot script a single shot show for the climax it promised the people is a long distance away. In communication terms, it is called the teasing effect. But can boomerang if overused. The downside of it is that you keep reminding people of your inability to meet your own deadlines.
वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा के फेसबुक वॉल से.
Mukesh Yadav : कौन करेगा इस न्यूज़ को ब्रेक? क्या कोई करेगा? ब्लैकमनी पर मोदी सरकार ने भी आज सुप्रीम कोर्ट में अपना कांग्रेसी चरित्र दिखा ही दिया!! सरकार कहती है कि काला धन रखने वालो के नाम उजागर नहीं कर सकते!! वही कांग्रेसी जवाब और वजह! हालांकि जांच एजेंसियों के रिकॉर्ड में इन धनपशुओं के नाम उपलब्ध होंगे!..इतना ही काफी होता; अगर मीडिया स्वतंत्र होता!! इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म शायद इन नामों को जनता तक पहुँचाने की जुर्रत करता! लेकिन आज ऐसा मीडिया समूह खोजना मुश्किल है, जो मोदी के नाम से खौफ न खाता हो? रही बात पत्रकारों की तो उनकी सीमाएं जग जाहिर हैं। नौकरी से निकाल दिए जाओगे- वाले जुमले का खौफ ही उनके लिए काफी है, नहीं? ऐसे में कौन जोखिम उठाए?
(File Photo Sanjay Kumar Singh)
Sanjaya Kumar Singh : कई मित्रों ने कहा कि राजदीप सरदेसाई की पिटाई पर मैंने नहीं लिखा। साथी Sumant ने कहा है, “…. हमारी खामोशी भी पत्रकारिता के गिरते स्तर की गुनहगार है संजय भाई …..।” सुमंत से असहमत होने का कोई कारण नहीं है। कैश फॉर वोट स्कैम और उसकी लापता सीडी का मामला आपको याद होगा। एक मामला मैं और याद दिलाता हूं। हर्षद मेहता ने एक कॉलम लिखना शुरू किया था और उसका हिन्दी अनुवाद मुझे हिन्दी के अखबारों में छपवाना था। उस समय कई संपादकों ने कहा था कि हर्षद मेहता का कॉलम नहीं छापेंगे। हर्षद मेहता होते तो आज अखबार या चैनल भी चला रहे होते और वो संपादक उनकी नौकरी बजा रहे होते। पर वो अलग मुद्दा है। उस समय इतनी नैतिकता तो थी इनमें।