Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

छप्पन लाख में सौदा कर आखिर ढहा ही दिया केदार बाबू का घर

बांदा (उ.प्र.) : आखिरकार, जनकवि जनकवि बाबू केदारनाथ अग्रवाल का मकान ढहा ही दिया गया, और इसी के साथ इस घर से जुड़ी ऐतिहासिक यादें मलबें में बिखर गईं। घर का 56. 64 लाख रुपये में सौदा हो चुका था। जिले के साहित्यकारों ने केदार बाबू की पुत्रवधू की ओर से किया गया सौदे का रजिस्टर्ड इकरारनामा हासिल कर लिया है। उन्होंने मीडिया को इकरारनामे की फोटोकॉपी उपलब्ध करा दी है।

बांदा (उ.प्र.) : आखिरकार, जनकवि जनकवि बाबू केदारनाथ अग्रवाल का मकान ढहा ही दिया गया, और इसी के साथ इस घर से जुड़ी ऐतिहासिक यादें मलबें में बिखर गईं। घर का 56. 64 लाख रुपये में सौदा हो चुका था। जिले के साहित्यकारों ने केदार बाबू की पुत्रवधू की ओर से किया गया सौदे का रजिस्टर्ड इकरारनामा हासिल कर लिया है। उन्होंने मीडिया को इकरारनामे की फोटोकॉपी उपलब्ध करा दी है।

सिविल लाइन स्थित जनकवि केदारनाथ अग्रवाल के खपरैलदार मकान के संबंध में उनकी पुत्रवधू ज्योति अग्रवाल ने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में 15 जून 2015 को आवास बेचने के लिए स्वराज कालोनी निवासी मंजुला सिंह को 56.64 हजार रुपये में बेचने का इकरारनामा किया था। नौ लाख रुपये बयाने के तौर पर लिए गए थे। 350 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से सौदा तय हुआ था। इकरारनामे में विक्रेता पुत्रवधू ने कहा था कि बाउंड्री का निर्माण कराकर मकान के वास्तविक नाप के बाद अंतिम बैनामा होगा। हालांकि दो दिन पूर्व ज्योति अग्रवाल ने मीडिया से कहा था कि वह बाउंड्री बनवा रही हैं। बेच नहीं रहीं। 

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब बिक्री का इकरारनामा सामने आने के बाद रविवार को ज्योति अग्रवाल ने कहा कि कुछ हिस्सा बेचकर जो धन संग्रह होगा, उससे म्यूजियम बनवाएंगी। उधर, डीसीडीएफ के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने बताया कि शुक्रवार को इलाहाबाद में जुटे देश के साहित्यकारों की ओर से सामूहिक हस्ताक्षर कर एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया। कहा गया कि विश्व प्रसिद्ध कवि केदारबाबू वर्ष 1935 से 2000 तक इसी मकान में रहे। देश के महान रचनाकारों का यहां आना-जाना रहा। 1972 में बांदा में आयोजित साहित्य सम्मेलन में भी यही घर केंद्र रहा। केदारबाबू के निजी संग्रह की लगभग 7 दशकों की दुर्लभ पत्र-पत्रिकाएं और हजारों पुस्तकें यहीं रखी हुई हैं। 18 जून की शाम ढेर सारी निर्माण सामग्री इस मकान के बाहर इकट्ठी करके निर्माण शुरू करा दिया गया। साहित्यकारों ने प्रदेश सरकार से इस साहित्यिक धरोहर को संरक्षित करने की अपील की।

अपील करने वालों में ज्ञान पीठ से सम्मानित केदारनाथ सिंह (दिल्ली), ज्ञानेंद्र पति (वाराणसी), ए अरविंदाक्षन (कुलपति हिंदी विश्वविद्यालय), राजेंद्र कुमार (पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय), हरिश्चंद्र पांडेय (इलाहाबाद), दूधनाथ सिंह, कुमार अंबुज व मदन कश्यप (भोपाल), अनामिका (दिल्ली), राजेश जोशी, प्रो.अली अहमद फात्मी (इलाहाबाद), प्रीति चौधरी (लखनऊ), संतोष चतुर्वेदी (इलाहाबाद), चंद्रकांत पाटिल (मुंबई), लीलाधर मंडलोई (महानिदेशक, दूरदर्शन), रघुवंश मणि (फैजाबाद) आदि शामिल हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

संबंधित खबर : बांदा में जनकवि केदारनाथ अग्रवाल का घर ढहाने का विरोध, जलेस ने संरक्षण की मांग उठाई

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement