भड़ास को हिंदुस्तान मीडिया के खिलाफ खबर छापने के मामले में कोर्ट की आदेश कॉपी प्राप्त हो गई है. पिछले महीने की 23 नवंबर 2023 को भड़ास के एडवोकेट व्योम रघुवंशी और मयूरी रघुवंशी ने भड़ास संपादक यशवंत को हिंदुस्तान टाइम्स के खिलाफ बड़ी लड़ाई में जीत मिलने की सूचना दी थी. जिसके बाद अब अदालत के उस फैसले की ऑर्डर कॉपी आने की खबर भी इन्हीं दोनों विद्वान जनों से प्राप्त हुई है.
अपने फैसले में माननीय श्रीमान जस्टिस जसमीत सिंह जी की कोर्ट ने कहा…
- यह एक अपील है जिसमें सीएस ओएस 332/2009 में विद्वान एडीजे-04, पटियाला हाउस कोर्ट, नई दिल्ली द्वारा पारित निर्णय और डिक्री दिनांक 03.09.2019 को चुनौती दी गई है, जिसका शीर्षक “मैसर्स एचटी मीडिया लिमिटेड और अन्य बनाम यशवंत” है। सिंह और अन्य”।
- उक्त निर्णय के अनुसार, अपीलकर्ता को अपनी वेबसाइट “भड़ास4मीडिया.कॉम” पर कोई भी समाचार सूचना या लेख प्रकाशित करने से रोक दिया गया था। या कोई अन्य वेबसाइट या माध्यम जो उत्तरदाताओं या उनके कर्मचारियों के लिए मानहानिकारक हो।
- पार्टियों ने अपने विवादों का निपटारा कर लिया है, जिसके अनुसार अपीलकर्ता ने एक हलफनामा दायर किया है, जिसमें अपीलकर्ता ने “भड़ास4मीडिया.कॉम” या किसी अन्य पर कोई भी समाचार सूचना/लेख प्रकाशित करने से पहले प्रतिवादी नंबर 1 और 2 का संस्करण लेने का वचन दिया है। वेबसाइट माध्यम जो प्रतिवादी क्रमांक 1 और 2 (एचटी मीडिया) के लिए मानहानिकारक है।
- आगे यह कहा गया है कि यदि प्रतिवादी संख्या 1 और 2 उचित समय (48 घंटे) के भीतर जवाब देने में विफल रहते हैं, तो अपीलकर्ता स्वतंत्र होगा..
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, हिंदुस्तान टाइम्स समूह के खिलाफ भड़ास संपादक की तरफ से एक केस किया गया था, लोवर कोर्ट के आदेश को चैलेंज करते हुए. पूरे मसले पर लोवर कोर्ट ने ये कहकर हाथ खड़े कर दिये थे कि, ‘हम हिंदुस्तान टाइम्स के खिलाफ कुछ छाप ही नहीं सकते.’ 14 साल पुराने मामले में 23 नवंबर को हाईकोर्ट ने भड़ास संपादक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि, ‘आप छाप सकते हैं, लेकिन पहले वर्जन लीजिए.’
इसके लिए एचटी वालों ने पिछले माह ही एक मेल आईडी मुहैया करा दिया था. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर 48 घंटे तक वे मेल का रिस्पांड नहीं करते हैं तो इसके बाद हम खबर छापने के लिए आजाद हैं. हालांकि मजबूत एचटी ग्रुप ने कमजोर भड़ास पर करोड़ों की मानहानि का केस जरूर कर दिया था. लेकिन सच्चाई की राह पर चलते यशवंत को लोवर कोर्ट ने इंसाफ दिया. भड़ास के वकीलों द्वारा पूरे एक रुपये का जुर्माना हाईकोर्ट में भरा गया था.
खैर, एडवोकेट मयूरी रघुवंशी और व्योम रघुवंशी ने भड़ास से बिना कोई फीस लिए हाईकोर्ट में मजबूती के साथ पक्ष रखा. मीडिया की आजादी के लिए वे लड़े और अंत तक अड़े रहे. आज के समय ऐसे वकील ही न्याय और इंसाफ की उम्मीद जगाते और जगाए रखे हैं.
(नीचे पढ़ें भड़ास CEO यशवंत की कलम से पिछला फैसला)