प्रवर्तन निदेशालय ने पर्ल ग्रुप के मालिक निर्मल सिंह भंगू की 472 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी जब्त कर ली है. सीबीआई ने 45,000 करोड़ के घोटाले में पर्ल्स ग्रुप के चेयरमैन भंगू सहित चार को गिरफ्तार किया है. ईडी ने भंगू सिंह की ये प्रॉपर्टी मनी लॉन्ड्रिग के मामले में जब्त की है. इसमें ऑस्ट्रेलिया के दो होटल्स और जमीनों को जब्त किया गया है. भंगू सिंह पर आरोप है कि उसने ये प्रॉपर्टी पौंजी स्कीम्स से इकट्ठा की है. भंगू ने लोगों से हजारों करोड़ रुपये इकट्ठा करके विदेशों में लगाया.
इस मामले में सीबीआई पहले ही निर्मल सिंह को गिरफ्तार कर चुकी है. करीब एक हजार करोड़ की प्रापर्टी को पहले ही जब्त कर चुकी है. निर्मल सिंह के भारत में भी हजारों एकड़ जमीन और सौ से ज्यादा बैंक खाते सीज कर चुकी है. यह मामला देशभर में 5.5 करोड़ निवेशकों से करीब 45,000 करोड़ रुपये जुटाने का था. सीबीआई ने भंगू के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) तथा 420 (धोखाधड़ी) की धाराओं में मामला किया है. निवेशकों को भारी रिटर्न का लालच देकर उनसे धन जुटाया गया था.
इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) ने पर्ल एग्रोटेक निगम लिमिटेड (पी.ए.सी.एल.) द्वारा किए गए हजारों करोड़ के फर्जीवाड़े में अपनी हवाला जांच के अंतर्गत पी.ए.सी.एल. के मालिक निर्मल सिंह भंगू की आस्ट्रेलिया में 472 करोड़ रुपए की जायदाद को जब्त कर लिया है. जब्त की गई सम्पतियों में आस्ट्रेलिया में मी. रिजोर्ट ग्रुप-1प्राईवेट लिमटिड और सैंकचुरी कोव की जायदाद भी शामिल है. पी.जी.एफ. और पी.ए.सी.एल. ने सामूहिक निवेश योजना के जरिए पूरे देश में से निवेशकों से खेती भूमि की बिक्री और विकास की आड़ में पैसा इकट्ठा किया है. पी.ए.सी.एल. मामलों की जांच कई एजेंसियों की तरफ से जा रही है. दिसंबर 2015 में बाजार रैगूलेटर सेबी ने निवेशकों का पैसा वापस करने में असफल रहने पर पी.ए.सी.एल. और इसके 9 प्रमोटरों और निदेशकों की जायदाद जब्त करन का आदेश दिया था।
निर्मल सिंह भंगू की कुंडली जानें… पर्ल्स ग्रुप का मालिक निर्मल सिंह भंगू पंजाब के बरनाला जिले का है। वह युवावस्था में अपने भाई के साथ साइकिल से दूध बेचता था। इसी दौरान उसने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। नौकरी की तलाश में वह कोलकाता गया। वहां उसने एक इनवेस्टमेंट कंपनी पियरलेस में कुछ साल काम किया। उसके बाद इन्वेस्टर्स से करोड़ों की ठगी करने वाली हरियाणा की कंपनी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड में काम किया। इस कंपनी बंद होने के बाद निर्मल सिंह भंगू बेरोजगार हो गया। तब तक वह ठगी का काफी कुछ ज्ञान ले चुका था। उसने पर्ल्स गोल्डन फॉरेस्ट (पीजीएफ) नामक खुद की कंपनी बनाई। यह कंपनी भी गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड की तर्ज पर लोगों से सागौन जैसे पेड़ों के प्लांटेशन पर निवेश कर कुछ वक्त बाद अच्छा मुनाफा लौटाने का वादा करती थी। 1996 तक इससे उसने करोड़ों की रकम जुटा ली। इस दौरान इनकम टैक्स और दूसरी जांचों के चलते इस कंपनी को बंद कर दिया।
इसके बाद उसने पंजाब के बरनाला से नई कंपनी पीएसीएल यानी पर्ल्स एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड की शुरू की। ये एक चेन मार्केटिंग सिस्टम स्कीम्स वाली कंपनी थी। कंपनी के दिखाए बड़े मुनाफे के सपनों में फंसकर पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें पैसा लगा दिया। लोगों से हर महीने मामूली रकम जमा करवाई जाती थी। इसी स्कीम में करीब पांच करोड़ से ज्यादा लोगों से जुटाई गई छोटी-छोटी रकम से उसने देश-विदेश में पर्ल्स का एम्पायर खड़ा कर लिया। इन करोड़ों की रकम को भंगू ने अलग-अलग तरह के कई कारोबार में इन्वेस्ट किया। जब इन्वेस्टर्स को बड़ा मुनाफा नहीं मिला तो कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज होनी शुरू हो गई। जालसाजी का आरोपी निर्मल सिंह भंगू फिलहाल सीबीआई की गिरफ्त में है।
पर्ल्स ग्रुप की प्रॉपर्टी देश के करीब हर छोटे और बड़े शहर में है। राजधानी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चंडीगढ़, मोहाली समेत टॉप सिटीज इसमें शामिल हैं। दिल्ली के कनॉट प्लेस में ही पर्ल्स ग्रुप की करीब 61 प्रॉपर्टीज हैं, जिनकी कीमत अरबों में है। इसके अलावा दिल्ली में ही पर्लग्रुप की अरबों की जमीन भी है। मोहाली में तो पर्ल्स ग्रुप के हाउसिंग सोसायटी से लेकर हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज तक हैं।