दैनिक भास्कर ने दीवाली पर अपने कर्मचारियों को निराश कर दिया. मजाक बना दिया, ये कहना बेहतर होगा. इस बार दीवाली के उपहार के रूप में दैनिक भास्कर ने अपने डिजिटल प्रिंट के कर्मचारियों को 4 तौलिए दिए हैं.
प्रिंट के लोगों को तौलिया देना समझ भी आता है। मगर डिजिटल के कामगारों पर वर्क लोड इतना है कि उन्हें तो नहाने की फुर्सत नहीं तो कंपनी के लिए 4 तौलियों से पोछेंगे क्या, यही सोचकर सबका हाल बुरा है। कंपनी की एक और विशेषता है कर्मचारियों को उनकी तन्ख्वाह से ही काटकर बोनस देती है। वो भी जितना कटा, उतना मिला या नहीं, इसका संशय बना रहता है।
इन सब के बाद दीवाली पर उपहार के रूप में सोनपापड़ी और तौलिया दिया गया है। कहा जाता है जब हम किसी के उपहार में कुछ देते हैं तो दी जाने वाली चीज से हम ये भी बता देते हैं कि उस व्यक्ति की हमारे जीवन में क्या अहमियत है। तौलिया देकर दैनिक भास्कर ने अपने कर्मचारियों की उसी स्थिति को बयां कर दिया है।
खास बात ये है कि इस साल कर्मचारियों को क्या दें, ये सोचने के लिए भी कुछ लोगों को कंपनी तनख्वाह देती है, वो लोग एमबीए किए हुए प्राणी होते हैं। अब तौलिया मिलने के बाद कर्मचारी उन सभी महानुभावों का कोटिश धन्यवाद कर रहे हैं।
हर साल की तरह दैनिक भास्कर गुजरात के उस सराफा कारोबारी की खबर भी प्रमुखता से प्रकाशित करेगा जो अपने कर्मचारियों को दीवाली पर तोहफे में कारें और घर देता है। तौलिया लिए हुए दैनिक भास्कर के कर्मचारी उस खबर को पढ़कर अपने आंसू और गुस्से से आने वाला पसीना पोंछ लेंगे।
समाचार भेजने वाले का नाम पहचान जानकारी गुप्त रखी जाएगी, ऐसी उम्मीद है।
एक भास्कर कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.