शोभित जायसवाल-
यायावर लोगों में यह ख़ास क्षमता होती है कि वे परंपरा को नए स्वरुप में ढाल ले जाएं और बेजान ढर्रे पर चल रही चीज़ों में नया रंग भर दें। मेरे परिवार से कल ही जुड़े नए सदस्य रजत अग्रवाल शौकिया बाइकर हैं और खूब जम के यायावरी करते हैं। उनके इस शौक के बारे में हम लोगों को पता भी था।

कल जब परिवार की बिटिया मेघा की विदाई का वक्त आया तो सब लोग प्रतीक्षा करने लगे कि सजी संवरी कार आयेगी और विदा कार्यक्रम संपन्न होगा। ऐसा चलता आया है और सब ऐसा देखने के लिए कंडीशंड भी होते हैं।
यहीं पर रजत ने वो कर दिखाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। रजत कार के बजाय अपनी बाइकर गैंग वाली बाइक ले आए और अपनी पत्नी को पीछे बैठा लिया। फिर रजत घूमते घुमाते अपने घर तक बाइक से ही गए।

मुझे लगा कि इससे घर के बुजुर्ग नाराज होंगे लेकिन मेरा डर उस समय निकल गया जब सबने एक सुर में वाहवाही की।
मुझे बहुत अचरज हुआ कि परंपराओं से डेविएट होने की बात सपने में भी नहीं सोचने वाला परिवार रजत को इतना सपोर्ट भी करेगा।
बहरहाल, रजत के नएपन को अपनाने की बधाई और शादी के बेहिसाब खर्चों को कम करते हुए, अपने शौक के साथ जोड़ लेने की अद्भुत क्षमता की भी बधाई। ऐसे नवजवान ही बदलाव की उम्मीदें कायम रखते हैं। नई बात सबको हजम नहीं होती। ये बाद समझने की जरूरत है कि परंपरा को नया स्वरुप देने से ही उन्हें बचाए रखा जा सकता है।