पुष्प रंजन-
“दाऊद के सहयोगी” से क्या अटल जी सचमुच सहानुभूति रखते थे? बृजभूषण शरण सिंह को लिखे इस पत्र को पब्लिक करने का मक़सद क्या रहा है?
अटल बिहारी वाजपेयी 16 मई से 1 जून 1996 तक पहली बार 13 दिनों के वास्ते प्रधानमंत्री बने थे, दूसरी बार 1998 से 1999 की अवधि में 13 महीनो के वास्ते, और फिर तीसरी दफा, 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। एक पत्र 30 मई 1996 को भारत के प्रधानमंत्री के लेटर हेड पर लिखा मिला है, जो बृजभूषण सिंह को प्रेषित है. यह पत्र अटल जी के पहले टर्म की समाप्ति के दो दिन पहले लिखा गया था.
हैरानी इसलिए कि उन दिनों टाडा में बंद दाऊद इब्राहिम के कथित सहयोगी बृजभूषण शरण सिंह को देश के लब्ध प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री ने पत्र लिखा है. भरोसा करना मुश्किल है, और पत्र के मकसद पर भी कई तरह के शक का होना लाजिमी है.
प्रथम दृष्टया यही लगता है कि अटल जी की छवि ख़राब करने वाले अभियान का शायद यह हिस्सा हो, जो उन्हीं के लोगों द्वारा प्लांट किया गया है. अटल बिहारी वाजपेयी ने क्या वास्तव में बृजभूषण शरण सिंह की “प्रतिभा” को पहचाना था और उन्हें आशीर्वाद दिया था ? टाडा से जितनी जल्दी पार पा गए बृजभूषण शरण सिंह, सवाल इस वजह से है. ऐसे केस में आमतौर पर जल्दी मुक्ति मिलती नहीं.
बृजभूषण पर टाडा की वजह 1992 में मुंबई के जेजे हॉस्पिटल का शूटआउट था. दाऊद इब्राहिम के बहनोई इब्राहिम कासकर को अरुण गवली गैंग के शूटर्स ने मार दिया था। बदले में डी-कंपनी के छोटा राजन, छोटा शकील, सुभाष सिंह ठाकुर और अन्य ने 22 सितम्बर 1992 को जेजे हॉस्पिटल शूटआउट में गवली के शूटर्स शैलेश हालदनकर और विपिन की हत्या कर दी थी। इस शूट आउट में मुंबई पुलिस के दो सिपाही भी मारे गए थे.
बृजभूषण और यूपी पुलिस के एक इन्स्पेक्टर वीरेंद्र राय पर आरोप लगा कि डॉन दाऊद इब्राहिम के शूटर्स को ठहरने का इंतज़ाम इन दोनों ने कराया था। बृजभूषण टाडा के तहत जेल में बंद रहे। टाडा मामले में अभियोग लगाए जाने के बाद बृज भूषण सिंह को टिकट से वंचित कर दिया गया था, तो उनकी पत्नी केकती देवी को भाजपा ने गोंडा से मैदान में उतारा था। और वह चुनाव जीत गईं।
30 मई 1996 को सिटिंग पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने बृजभूषण को पत्र लिखकर हिम्मत दी थी. उस पत्र में वाजपेयी जी ने बृजभूषण को आजन्म जेल की सजा काटनेवाले सावरकर जी का स्मरण करने को कहा था. उस पत्र से सत्ता के गलियारे में बृजभूषण के लम्बे हाथ का अंदाज़ा लगा सकते हैं. 1998 से 1999 के 13 महीनों के कालखंड में अटलजी दूसरी बार पीएम थे, बृजभूषण शरण सिंह टाडा से मुक्ति पा गए. अटल जी का वरदहस्त था, सीबीआई ने भी जांच में क्लीन चिट दे दी थी, और वह कोर्ट से भी “बाइज्जत” बरी हो गए थे. बाबरी विध्वंस केस से 2020 में बृजभूषण शरण सिंह को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिली थी.
पांच बार बीजेपी से, और एक बार समाजवादी पार्टी से सांसद रह चुके 66 साल के बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी इस समय टालने के पीछे 2024 का चुनाव है. ज़रा सी चाबी घुमाई, तो बीजेपी को बनारस, गोड्डा, गोरखपुर समेत पूर्वांचल की दस सीटों पर ज़ोर का झटका धीरे से लग सकता है.
नेपाल बॉर्डर से लेकर सरयू- घाघरा नदी तक के बेल्ट में बृजभूषण की तूती बोलती है। क्रिमिनल केस से सम्बंधित पचासों एफआईआर हो चुके हैं इस बाहुबली पर. जेल यात्रायें भी कई बार हुई हैं. मगर, इस समय बृजभूषण शरण सिंह को जेल भेजना बीजेपी के लिए गले की हड्डी बन गई है.