उरी में सेना कैंप पर आतंकी हमला के बाद से हमारा पूरा परिवार टेंशन में है. ना-ना, गलत ना समझें, आतंकियों से डरकर नहीं. पाकिस्तान के डर से भी नहीं, न्यूज चैनलों के चलते हम लोग दहशत में हैं. उरी हमला के बाद जिस तरीके से न्यूज चैनल युद्ध में जुटे हुए हैं, उससे हमारा पूरा मोहल्ला डेराया हुआ है. बालक तो खैर टीवी खोलने से ही घबरा रहा है. उसका अब कार्टून देखने का भी मन नहीं कर रहा है. कल शाम से ही राफेल मंडराता देखने के लिए बालकनी में खड़ा होकर उपर ताक रहा है. आसमान में. जिस तरीके से टीवी चैनल गुस्साएं हुए हैं. एंकरों की बांहें फड़क लग रही हैं.
एंकरनियों की आंखें लाल हो रही हैं, हम तो डेरा रहे हैं कि कहीं चैनल वाले ही पाकिस्तान को घेर कर ना मार डालें. खबर तो इहां तक है कि चैनलों के डर से ही पाकिस्तान ने रात में अपने कई शहरों में एफ-16 उड़ाकर अपनी सुरक्षा पुख्ता की है. भारतीय चैनलों से पाकिस्तानी भी डरे हुए हैं. तीन लोगों को हार्ट अटैक हुआ है. सात घायल हो गए हैं. वैसे, राफेल तो 2019 में आएगा, लेकिन टीवी चैनलों ने कल शाम से ही राफेल लेकर पाकिस्तान पर जो हमला बोला है, उसके बाद से हमरा लौंडा राफेल देखने के लिए बालकनी में खड़ा है.
न्यूज चैनल खोलने पर ऐसा लग रहा है कि चैनलवा सब सेना से पहिलहीं पाकिस्तान पर हमला कर देगा. ये भी बता रहे हैं कि पीएम गुप्त बैठक कर रहे हैं, और ये भी कि इस बैठक में ये हो रहा है, वो हो रहा है. ससुरा जब गुप्त है तो तुमको सब खबर कइसे लग जा रही है. खैर, चैनलों का गुस्सा देखकर एक बार फिर Vijay भइया याद आ गए. याद आ गए मेरे एक सहयोगी रिपोर्टर भी. अभी भले ही चैनलों की पाकिस्तान से दुश्मनी है, लेकिन उस रिपोर्टर की चीन से दुश्मनी थी, ठीक मुलायम सिंह यादव की तरह. चीन से उनकी ऐसी खुन्नस थी कि जब मौका मिलता इंटरनेट से कुछ खोज खाज के निकाल लेते और बिना तथ्यों की जांच-पड़ताल ‘ड्रैगन की बुरी निगाह’ पर आधा घंटे का ‘पोरोगराम’ बना डालते थे. एकाध कथित सुरक्षा विशेषज्ञों की बाइट भी जुगाड़ लाते. कुछ को तो इन जैसे रिपोर्टरों ने बाइट ले-लेकर ही देश का आंतरिक और बाह्य सुरक्षा का स्वघोषित विशेषज्ञ बना दिया था.
खैर, असली बात पर लौटा जाए. तो जनाब स्क्रिप्ट और विजुअल के जुगाड़ से ऐसा ‘पोरोगराम’ बना डालते थे कि देखकर लगता था कि बस कल-परसों में चीन अब भारत पर हमला कर ही देगा या फिर भारत चीन पर रात-बिरात आक्रमण कर देगा. पूरा विजुअल धांय-धूंय, बूम-बड़ाम से भरा होता था. नौसेना से लेकर फाइटर प्लेन भी सांय-सांय उड़ने और गोले दागने लगते थे. टैंक गरजने लगते थे. देखकर लगने लगता था कि चीन ने भारत को चारो तरफ से घेर लिया है. संपादकजी भी समझाते की ऐसे ही ‘पोरोगराम’ से टीआरपी आएगी. मित्र Vijay Pandey तो इस तरह के ‘पोरोगरामों’ को देखकर एडिटिंग रूम में छिप जाते और बनाने वाले रिपोर्टर से कहते कि भाई लग रहा है चीन का हमला हो गया है और वह रजनीगंधा चौराहे तक आ पहुंचा है. जब ऑफिस आ रहा था तो वहां बड़ा शोर शराबा हो रहा था और जाम लगा हुआ था.
उनके इस मजाक पर रिपोर्टर महोदय बस दांत निपोर कर खिसियानी हंसी ही हंस पाते थे, लेकिन हमलोग जमकर ठहाके लगाते थे. चीन के हमले का इंतजार नोएडा के सेक्टर चार के पार्क में चाय पीते और सिगरेट का कस लगाते हुए करते रहते थे, पर साला चीन सालों रजनीगंधा चौराहा नहीं पहुंचा, लेकिन यह ‘पोरोगराम’ हर बीस-बाइस दिन पर थोड़ा बहुत अदल-बदल कर चलता रहता था और देखने वाले मेरी तरह ही टेंशन में आते रहते थे. खैर, वैसे हालात एक बार फिर बन गए हैं. पाकिस्तान को लेकर जइसा चैनल है वइसा ‘पोरोगराम’ चला रहा है. हई छूटेगा तो पाकिस्तागन बरबाद हो जाएगा, हउ छूटेगा तो आतंकवादी बरबाद हो जाएगा. कुछ नहीं छूटेगा तो हम सब बरबाद हो जाएंगे टाइप. मेरा लौंडा भी टेंशन में है कि कहीं न्यूज चैनल वाले बीईए के एनके सिंह के नेतृत्व में सकारात्मकता दिखाते हुए पाकिस्तान को इस्लामाबाद तक ना खदेड़ आएं. चीन को उसके घर में घुसकर ना मार दें. दो-चार दिन में फिल्म सिटी में गोला-बारुद जमा नजर आए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
इस व्यंग्य के लेखक Anil Singh इन दिनों लखनऊ से प्रकाशित पत्रिका दृष्टांत में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
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