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कहां हो बीईए वाले एनके सिंह? देखो न, तुम्हारे न्यूज चैनल गंध फैलाए हैं!

कहां हो एनके सिंह… बीईए यानि ब्राडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन के नेता… सकारात्मक सोच रखने वाले पत्रकार… कहां हो गुरु… देखो न तुम्हारे महान न्यूज चैनल किस ‘रचनात्मक’ खेल में बिजी हैं… क्या गंध फैलाए हैं.. हम कहेंगे लिखेंगे तो कहोगे कि आठ साल से झेल रहे हो भड़ास को… नकारात्मक भड़ास को झेल रहे हो… भाई, अपने चिरकुट चैनल वालों को समझा लो कि वो देश में नकारात्मक माहौल न फैलाएं… ये साले तुम्हारे चैनल वाले असल में रीयल प्रेस्टीट्यूट्स हैं… उन्हें न देश की चिंता और न समाज की… उन्हें तो टीआरपी चाहिए… उन्हें तो बिजनेस देखना है… और, गुरु, बुरा न मानना तुम इन रीयल प्रेस्टीट्यूट्स के नेता हो… पूछना पड़ेगा कि तुम्हें कितना देते हैं ये सब ताकि उनका प्रवक्ता बन उनकी रक्षा के लिए हर जगह हर समय नए नए तर्क खोजते रहो…

मैं नहीं कहना चाहता था तुमसे कुछ… लेकिन तुम्हारे चरम पतन ने मुंह खोलने पर मजबूर कर दिया है… सच में, तुम कारपोरेट और बाजारू मीडिया के असल प्रवक्ता हो… यही कारण है कि तुम्हारे अलावा कोई कारपोरेट और बाजारू मीडिया का संपादक सामने नहीं आता क्योंकि उसके पास बोलने, सफाई देने के लिए कुछ होता नहीं… वह तुम्हीं को सबकी तरफ से आगे कर देता है और तुम हो कि उनकी रक्षा में अपने सारे करियर, अपने सारे सरोकार और अपनी सारी सोच को दांव पर लगा देते हो… हम जब इस पर कुछ सवाल उठाते हो तो कहते हो कि हम लोग बड़े उद्दंड हैं… हम लोग बड़े नकारात्मक हैं… हम लोग विध्वसंक हैं… देख लो, विध्वंस कौन फैला रहा है… तुम्हारे चैनल वाले या हम लोग…

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हम लोग तो तुम्हारे बेहया वेश्या चैनल वालों की कालर पकड़ कर बस औकात में रहने के लिए कह रहे हैं… और तुम हो कि हम लोगों की ऐसी बातों कामों से घबरा कर हमें ही सुधारने की बात करने लगते हो…. पहले अपने दल्ले और बिकाऊ न्यूज चैनल वालों को समझाओ, उनको पत्रकारिता सिखाओ, उनके मीडिया संस्थानों व स्कूलों में काम करने वाले, पढ़ने वाले बच्चों को पत्रकारिता का ककहरा सिखाओ, फिर आना बताना पढ़ाना हम लोगों को असल पत्रकारिता और सकारात्मक पत्रकारिता का पाठ… एनके सिंह जी, एक प्रेस रिलीज तो जारी कर दो, एक एडवाइजरी तो जारी कर दो चैनलों के लिए… कि युद्ध के पहले वे लोग युद्ध न कराएं…. फर्जी खबरों और घटिया ब्रेकिंग न्यूज से देशवासियों को न बहकाएं….

एनके सिंह जी… जब कहिएगा, आमने सामने आपसे बहस के लिए तैयार हूं… अगर आपको कारपोरेट और करप्ट मुख्य धारा की मीडिया का प्रवक्ता साबित कर दिया तो आप पत्रकारिता से संन्यास ले लेना और आप अगर हमें नकारात्मक सोच रखने वाला पत्रकार साबित कर दें मैं भड़ास बंद कर दूंगा… लेकिन यह बहस उसी कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी जिसमें आपने अपने न्यूज चैनल वालों का बचाव कर उन पर सवाल उठाने वालों को नकारात्मक सोच रखने वाला करार दिया था.. उस बहस में देश भर के लोगों को बुलाया जाएगा… एनके सिंह साहब…. अब दौर लिहाज करने का नहीं रह गया है… देश और समाज के हालात ऐसे हैं कि सच को सच कहने के लिए अगर कुछ लोगों से रिश्ते खराब भी करने को मजबूर होना पड़े तो हम खुशी खुशी यह काम कर लेंगे… उम्मीद है आपका जवाब आएगा…

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ये लिंक एनके सिंह को पढ़ना चाहिए और सोचना चाहिए कि उनके प्यारे दुलारे बेचारे न्यूज चैनल आजकल कौन-सा गेम खेल खिला रहे हैं….

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http://www.bhadas4media.com/tv/10782-yuddh-se-pahle-yuddh

http://www.bhadas4media.com/tv/10779-hamid-meer

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http://www.bhadas4media.com/web-cinema/10778-the-quint-ki-jhoothi-khabar

http://www.bhadas4media.com/tv/10777-milind-ki-khabar

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ये लिंक है एनके सिंह को लेकर जिन्होंने मीडिया पर सवाल उठाने वालों को नकारात्मकता से भरा बताया था…

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http://www.bhadas4media.com/article-comment/10725-bhadas-aayojan

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आभार

यशवंत

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एडिटर, भड़ास4मीडिया  [email protected] 


फेसबुक पर डाले गए उपरोक्त स्टेटस पर आए कुछ प्रमुख कमेंट्स इस प्रकार हैं….

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Vivek Dutt Mathuria : भाई यही मैं भी सोच रहा था…. आखिर गीता सुनाई दी… जिसकी इस वक्त सख्त जरूरत है….. चैनल वाले बौराए हुए हैं….. हम कॉस्टीट्यूशन क्लब में यह बात समझ लिए कि एनके सिंह कॉरपोरेट मीडिया के पैरोकार हैं…. यही नहीं, एनके सिंह मीडिया में कालेधन के भी पैरोकार हैं।

Ashok Anurag : देश हित में रिश्तें जाये भांड़ में, इन गधो ने युद्ध और उसकी विभीषिका का दंश नहीं झेला है, छावनी में पला बढ़ा हूँ इसलिए जानता हूँ, तो महान चैनल के महान कर्ता धर्ता युद्ध टलती रहे तो बेहतर है..

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Saurabh Rajput : बहुत अच्छा धो डाला, मीडिया के किसी भी सही (सही करते नहीं) या गलत कामों का पक्ष रखने के लिए आगे आते हैं, वो भी बहुत ही अतार्किक और तथ्यों से पर रहते हैं

Pawan Lalchand : दम है बॉस…दम! सकारात्मक पत्रकारिता की चदरिया के भीतर के नकारात्मक गंध को सड़ांध को चिंदी चिंदी उधेड़ कर रख दिया है आपने….तभी तो अपन कहते हैं गुरु आदमी हैं Yashwant Singh जय हो भड़ासानंद.

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Dinesh Singh Rawat : Dear Yashwant Singh Live life as nature has made you, and if you will try to change then you will be nobody. Well done and carry on.

Hero Dubey : आपकी दाद देनी पड़ेगी सर ! इन चैनलों ने तो देश का बेड़ा ही गर्क कर दिया। पाकिस्तान की मीडिया कम से कम अपने देश को तो अच्छा दिखाती है। वहीं भारतीय मीडिया के कई चैनल उड़ी हमले को ही फर्जी बताने में लगे हुए हैं।

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Mamta Yadav : उनकी एक परेशानी यह भी है कि हम लोग चोर को चोर क्यों कहते हैं?उस पीढ़ी के बोये बीज आज असल पत्रकारों की राह के सबसे बड़े कान्टे हैं करें चैनल्स वाले और भुगते सब वेब मीडिया तो खैर है ही खराब लेकिन हम सच लिखते हैं इसलिये खराब है तो यही सही सच बोलना लिखना अगर गाली देना है तो हम बहुत बड़े गालीबाज हैं। फर्जी खबर चली 20 आतंकियो के मारने की वो किसके इशारे पर? क्यों नहीं कोई सीमा तय की जा रही इनकी?

Pankaj Kumar : भड़ास बाबा सबसे पहले इन चैनलवालों को बॉर्डर पर सबसे आगे रखना चाहिए । दुश्मन की गोली जब चले तो इनके पीछे लगे और मरे नहीं सिर्फ घायल हो। तब पता चलेगा कि स्टुडिओ और बोर्डर में कितना फर्क है।  ये जो रोजाना शाम को चैनल पर भारत-पाकिस्तान की पंचायती करते है और देशवासियो के भावनाओं के साथ खेल रहे है।  अब तो रही सही कसर हमारे प्रिंट मीडिया वाले साथी पूरा कर दे रहे है। क्या झुठ बोलने का ठेका खोल रखा है। न्यूज़ चैनल और न्यूज़ पेपर खबर की जगह सास बहू और फ़िल्मी मेलोड्रामा ज्यादा दिखता है।  जय हो।।

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Divakar Singh : ज़ोरदार लिखा यशवंत भैया। वैसे एक बात है। क्विंट वालों ने यदि झूठी खबर फैलायी है तो क्या उनको इसके लिए जेल में डालने में सरकार को देर लगेगी? यदि उनकी पत्रकारिता झूठी है तो ये सबसे बड़ा केस बनेगा देश द्रोह का। कन्हैया कुमार से कहीं ज्यादा संगीन मामला। पर सरकार ने क्विंट पर कोई एक्शन नहीं लिया। वैसे आज नहीं तो कल शायद क्विंट को अपनी खबर वापस लेनी ही पड़ेगी। सच हो या झूठ, दोनों ही स्थितियों में ये खबर अपने आप में राष्ट्र सुरक्षा के लिए घातक है।

Arun Srivastava : आज पहली बार मेरे पेट में हो रही मरोड़ अपने साथियों के विचार पढ़कर समाप्त हुई। मैं जबसे भड़ास के कार्यक्रम से वापस आया हूं तबसे एनके सिंह की कही बातें परेशान कर रहीं थीं। मैं निर्णय नहीं कर पा रहा था कि ” क्या चाहते हैं एनके सिंह ” भड़ास को पोस्ट करूं या नहीं। लिख तो लिया था 11 की रात में बस अपनी भड़ास नहीं निकाल पा रहा था। यशवंत भाई ने और अन्य साथियों ने मुझे संबल प्रदान किया, सबके प्रति आभार।

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Ashok Das : और आपने उन्हीं एन.के सिंह से सरोकारी पत्रकारिता वाला अवार्ड दिलवा दिया भईया। 🙁 खैर यह पोस्ट लिखकर अच्छा किया आपने। मुझे भी उसी दिन से खटक रहा था। उन्होंने कहा कि हमारी हैसियत घर चलाने की नहीं है, वही सेठ हमें तनखा देते हैं। नहीं एन.के सिंह जी हमारी हैसियत घर चलाने की है। बिना दलाली किए, बिना किसा गलत करने वाले की डफली बजाए। भड़ास ने यह कर दिखाया है और प्रेरणा लेकर हमलोग भी कर रहे हैं।

Vishwanath Chaturvedi : एनके सिंह न के अलावा इन दलालों के पास कोई है भी नही जो इनका कवच-कुण्डल बनकर सामने खड़ा पायें।ये दलाल है ओर इनका रच्छा कवच बन गये है सिंह साहेब

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Anshuman Tripathi : भाई, टाइम्स नाऊ की फौज बलूचिस्तान तक, आजतक की फौज़ गिलगित तक पहुंच चुकी है, वही इंडिया टीवी इस्लामाबाद और एबीपी लाहौर तक बता रहे है लोग, आपके पास कोई अपडेट है क्या?

Ashok Mishra : टीवी चैनल वाकई बहुत गैरजिम्मेदार हो चुके हैं जनता को इन्हें देखना बंद करना चाहिए। यशवंतजी बहुत बधाई कम से कम आपने एनके् सिंह को ललकारा।

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Pankaj Mishra : कुछ दिन बाद लडाई बार्डर पर नही होगी दिल्ली नोएडा के फिल्म सिटी से तोपे और गोले चलेगे… फेकू के कसीदे पढेगे

Ghanshyam Dubey : ये लोग पुराने घाघ हैं और घुटे हुए निर्लज्ज । यह हितोपदेश इन्हें छू भर जाये तो ये भांड चैनेल सड़ांध कम फैलाएंगे । आमीन।

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Sunayan Chaturvedi : यशवंत भाई धन पशुओं के भोपुओं की जिस अंदाज़ में धुलाई की है उस अंदाज़ को सलाम.

Anil Jain : आपने जमीर जगाने का प्रयास किया है लेकिन मैं दावे से कहता हूं कि नहीं जागेगा। सोया हुआ जमीर तो जाग सकता है जो जमीर मर चुका हो वह कैसे जागेगा? बहरहाल आपकी कोशिश को सलाम।

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Arun Khare : किनसे कह रहे हो यशवंत भाई। “अंधों के आगे रोना अपना दीदा खोना” वाली कहावत होगी यह तो।

Vikash Rishi : उस दिन बुरा तो बहुतो को लगा था मगर शायद कोई माहौल का स्वाद नहीं बिगाड़ना चाहता था।

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Anand Gkp : इसको कहते हैं यशवंतजी स्टाइल। बहुत बेहतर। फाड़ कर रख दिया।

Jawahar Goel : मीडिया के अंदर की बहस का समुंदर मंथन चलता रहना चाहिये । तभी तो देव और दानव, अमरीत और विष अलग साबित होगा।

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Kumar Narendra Singh : N. K. Singh to dekhane se hi dalal lagata jai aur jab munh chuniya ke bolta hai to tarawa ka lahar kapar par chadh jata hai

Shyam Singh Rawat : यशवंत जी, आपकी इस पोस्ट ने अपने नाम–भड़ास4मीडिया को सार्थक कर दिया। एकदम बेलौस। हार्दिक बधाई।

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Anil Singh : हां, एनके जैसे दोयम चेहरे वाले लोगों को इस तरह ही सम्मानित किया जाना चाहिए

Sharad Bajpai : Jai ho THAKUR JI KI, AAJ SACH ME JUTA MARA HAI…

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Vinay G. David : अब तक छप्पन उड़ा दिया भड़ास ने, और कौन का न लागी

Santosh Singh : char botal bodka —drama tera roj ka

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अहमद मतलूब : भइस के आगु बीन बजावे भईंस रहे पगुराई।

Affan Nomani अच्छा है भाई …..आईना दिखाते रहिए

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Virendra Rai बराबर है बास

Pankaj Chaturvedi धो डाला यार

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Kamal Kumar Singh सही नाप दिए

Nevil Clarke Very well written, congrats!!

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A.P. Soni Akash : जय हो भड़ास बाबा

Vandana Mittal : बेबाक

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Rajeev Ranjan Tiwari : जबरदस्त धुलाई.

Rajnikant Shukla : लगे रहो भाई बिन्दास…

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Mahendra Singh : अब यही बचे थे सर

Ravindra Sharma : Good very good

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आशीष सागर : सुन्दर और तीखा उत्तर

Dhyanendra Singh Chauhan : Jiyo dada jiyo ..

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Vinay Dwivedi : श्री Nawal Kishore Singh जी, एक प्रेस रिलीज तो जारी कर दो, एक एडवाइजरी तो जारी कर दो चैनलों के लिए… कि युद्ध के पहले वे लोग युद्ध न कराएं…. फर्जी खबरों और घटिया ब्रेकिंग न्यूज से देशवासियों को न बहकाएं….

Prateek Chaudhary : इतना कटु सत्य बोला है आपने की इसको पचा नही पाएंगे एन के सिंह

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संजय राय : देख लीजिए एन के सिंह जिनके साथ मेरी प्रोफाइल फोटो लगी का क्या बैंड बजाया यसवंत ने….. मैं सहमत हूँ….. फालतू का युद्ध करा रहे अपनी नाकामी दिखाने जो मोदी क्यों की कश्मीर शांत नहीं हुआ, राहुल की खाट सभा जोरो पे है, मुलायम का युद्ध शांत ही हो गया ये कारन भी हो सकते हैं

Hemant Jaiman : हौसले को प्रणाम करता हूँ। आज के दौर में जब कुछ न्यूज़ चैनलों, मीडिया संस्थानों ने चाटुकारिता की सारी हदें पार कर दी हैं। मीडिया इनके लिए देशवासियो की भावनाओं से खेलने का हथियार बन गया है। लेकिन इसके एकदम विपरीत बेबाक, बिंदास, कटु सत्य के साथ वास्तविकता का अहसास इस पोस्ट के माध्यम से करा दिया। जिस तरह से आलाकमान, मिडिया निगरानी कमेटी, बीईए (ब्रॉडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन) के नेता फर्जी खबरों, फर्जी न्यूज़ चैनलो पर पाबन्दी नहीं लगाकर देश की जनता के अरमानों और देशप्रेम की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे है। वही केंद्र सरकार के सूचना व् प्रसारण मंत्रालय के केबिनेट मंत्री वैंकया नायडू एवं मोदी सरकार के सबसे यश्यश्वी, तेजस्वी वर्तमान राज्य मंत्री कर्नल R S राठौड़ साहब के संपूर्ण देश में अवैध रूप से प्रसारित हो रहे “फर्जी न्यूज़ चैनलो” के खिलाफ आदेशो को ठेंगा दिखा कर जिला स्तरीय प्रशासन अपनी आँखे बंद करके बैठा है। आदेशो की खानापूर्ती की जा रही है। एक खास बात और है दिल्ली से आलाकमान 8 जुलाई 2016 को सख्त आदेश जारी करता है। लेकिन इन महत्वपूर्ण आदेशो की जिला स्तर पर खानापूर्ति कर दी जाती है। सब कुछ भ्रष्ट हो गया है। जो कहते है करते नहीं। देशवासियों को रिझाने के लिये आश्वासन, कागजी आदेश, और फर्जी कार्यवाही कर, फर्जियो के पक्ष में विधायक, नेता, अपने रुतबे का इस्तेमाल कर अनैतिक, अवैध न्यूज़ चैनलो, अवैधानिक, गैरकानूनी लोगोँ, संस्थाओं, को संरक्षण दे रहे है। ऐसे में लाजमी है भड़ास की भाषा में बात करने की।

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Neeraj : मैने तो इनको जितनी जगहो पर सुना या देखा सिर्फ सरकार की ओर से फसल बीमा का प्रचार करते हुए पाया. आपके भी कार्यक्रम के दौरान वही अपनी ढपली अपना राग शुरू किये. पर यशवंत भाई आपका कार्यक्रम था नही तो वही हम फसल बीमा पर चर्चा ज़रूर किया होता उनसे….

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0 Comments

  1. dilip bhati

    September 23, 2016 at 6:15 pm

    :):)
    सच में इसे कहते हैं पत्रकार की लेखनी मैंने दिल्ली वाले कार्यक्रम में एन के सिंह को सुना था। आपने तो लिखकर धो डाला सिंह साहेब को। आऔकात बता दी।

  2. आशीष मुकेश

    September 24, 2016 at 9:49 am

    अरे ये क्या लिख दिया यशवंत, एनके के बारे में। अभी अंदर छुपा सामंतवादी या भूमिहार जाग जाएगा। और फिर यह व्यक्ति वह नहीं रहेगा, जो दिखता है। यह व्यक्ति, अपने अधीनस्तों से इसी तरह का व्यवहार करना पसंद करता है। यह स्वयं तो पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले युवाओं से साक्षात्कारों में नागालैंड और मणिपुर का क्षेत्रफल पूछता है और उन्हें नौकरी नहीं देता लेकिन भड़ास को नए खून को ज्ञान देने की वकालत करता है। बाकी कम लिखा, ज्यादा समझना।

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