Connect with us

Hi, what are you looking for?

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में चैनलगेट के आगे पानी भरता दिखाई देता है वेबगेट

मध्यप्रदेश में इन दिनों न्यूज वेबसाईट को दिये विज्ञापनों पर हंगामा जारी है। इसे बकायदा वेबगेट घोटाला कहा जा रहा है। लेकिन अगर सूची पर नजर डालें और प्रमुख सचि के हालिया आदेश पर नजर डालें तो वेबगेट के आगे चैनल गेट कहीं नहीं लगता। आंकड़े तो यही बता रहे हैं कि वेबगेट घोटाला यानी वेबसाईटों का विज्ञापन घोटाला चैनल विज्ञापन घोटाले के आगे पानी भरता नजर आ रहा है। पिछले एक महीने से मचे हंगामे और उठा—पटक के बीच वेबसाईट्स के विज्ञापन बंद कर दिये गये हैं।  सूची के अनुसार गड़बड़ है तो गड़बड़ियों को पकड़ने के बजाय मध्यप्रदेश की बदनामी कराने से क्या मिला?

<p>मध्यप्रदेश में इन दिनों न्यूज वेबसाईट को दिये विज्ञापनों पर हंगामा जारी है। इसे बकायदा वेबगेट घोटाला कहा जा रहा है। लेकिन अगर सूची पर नजर डालें और प्रमुख सचि के हालिया आदेश पर नजर डालें तो वेबगेट के आगे चैनल गेट कहीं नहीं लगता। आंकड़े तो यही बता रहे हैं कि वेबगेट घोटाला यानी वेबसाईटों का विज्ञापन घोटाला चैनल विज्ञापन घोटाले के आगे पानी भरता नजर आ रहा है। पिछले एक महीने से मचे हंगामे और उठा—पटक के बीच वेबसाईट्स के विज्ञापन बंद कर दिये गये हैं।  सूची के अनुसार गड़बड़ है तो गड़बड़ियों को पकड़ने के बजाय मध्यप्रदेश की बदनामी कराने से क्या मिला?</p>

मध्यप्रदेश में इन दिनों न्यूज वेबसाईट को दिये विज्ञापनों पर हंगामा जारी है। इसे बकायदा वेबगेट घोटाला कहा जा रहा है। लेकिन अगर सूची पर नजर डालें और प्रमुख सचि के हालिया आदेश पर नजर डालें तो वेबगेट के आगे चैनल गेट कहीं नहीं लगता। आंकड़े तो यही बता रहे हैं कि वेबगेट घोटाला यानी वेबसाईटों का विज्ञापन घोटाला चैनल विज्ञापन घोटाले के आगे पानी भरता नजर आ रहा है। पिछले एक महीने से मचे हंगामे और उठा—पटक के बीच वेबसाईट्स के विज्ञापन बंद कर दिये गये हैं।  सूची के अनुसार गड़बड़ है तो गड़बड़ियों को पकड़ने के बजाय मध्यप्रदेश की बदनामी कराने से क्या मिला?

ई-गर्वननेंस के पुरस्कारों के आवेदन मंगाने वाली सरकार वेबमीडिया के साथ ये कैसा बर्ताव कर रही है। एक तरफ जहां प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक वालों को उदार हाथों से खजाना लुटाया जा रहा है वहीं वेबसाइट्स के साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है। यहां तक कई आपराधिक रिकार्ड वाले चैनल संचालकों को भी विज्ञापन बांट दिये गये। एक चैनल तो अभी अस्तित्व में ही आने वाला है उसे एक लाख रुपये दे दिये गये एडवांस में। इस खबर में आ रहे आंकड़ों पर नजर डालिये समझ आ जायेगा वेबगेट क्यों नहीं लगता चैनलगेट के आगे कुछ—

Advertisement. Scroll to continue reading.

मध्यप्रदेश में इन दिनों बड़ा चैनल घोटाला चर्चा में है जिसकी अंतर्कथा व्यापम से जोड़कर देखी जा रही है। खबर यह है की वर्ष 2012 से उन चैनलस पर मेहरबानी की जो अधिकांश जीरो टीआरपी पर हैं या बंद पड़ी हैं जबकि बड़ी चैनल्स अपने प्राइम टाइम के समाचरों के विज्ञापन के लिए तरस रहीं हैं यहाँ तक की प्रधानमंत्री मोदी की पसंद दूरदर्शन को छ अंकों की राशि में भी शामिल नहीं किया गया है ,कुल 100 करोड़ के इस घोटाले में उन चैनल मालिकों की पौ बारह हो गयी है जो या तो जेल में बंद हैं या उन पर आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं।

दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा में 8 दिसम्बर 2015 को कांग्रेस के विधायक बालबच्चन ने ताराकित प्रश्न क्रमांक 288 के माध्यम से सरकार से यह जानकारी मांगी तब से मध्यप्रदेश के राजनैतिक और प्रशासनिक हलकों में मीडिया मैनेजमेंट और चैनल घोटाले के चर्चों को पर लग गए हैं मध्यप्रेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव् एस के मिश्रा ने आज मंत्रालय में इस घोटाले की जाँच के आदेश दिए हैं दूसरी और कांग्रेस इस मुद्दे को व्यापम से जोड़कर भुनाने चाहती है कांग्रेस के नेताओं ने इसे मीडिया मैनजमेंट में जनधन लुटाने का आरोप लगते हुए इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को खरीदने का सीधा सीधा आरोप सरकार पर लगाया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मध्य्रपदेश के सहारा समय को 12 करोड 50 लाख रुपये की राशि दी गयी है वहीँ ई टीवी मध्यप्रदेश को 13 करोड़ और ई टी वी उर्दू को लगभग 1 करोड़ की राशि दी गए है, मध्यप्रदेश के स्थानीय चैनल बंसल न्यूज़ को 11 करोड़ 57 लाख , साधना न्यूज़ मध्यप्रदेश को 8 करोड 78 लाख रुपये की राशि विज्ञापनों के नाम पर बाँट दी गयी है. जबकि देश के प्रधानमंत्री की सर्वाधिक पसंद और शासकीय समाचारों की अधिकृत चैनल दूरदर्शन को मात्र 8 लाख में संतोष करना पड़ा है।

लोकल चैनल आपरेटर हाथवे इंदौर को 50 लाख, सुदर्शन न्यूज़ को 14 लाख, सिटी केबल को 84 लाख, टाइम्स नाउ को 1 करोड़ 39 लाख, एबीपी न्यूज़ को 12 करोड 76 लाख, ज़ी मीडिया को 6 करोड़ 10 लाख, सीएनबीसी आवाज को 6 करोड़ 50 लाख, इंडिया न्यूज़ को 8 करोड 68 लाख, एनडीटीवी को 12 लाख 84 हजार, न्यूज़ वर्ल्ड को 1 करोड 28 लाख रुपये, भास्कर मल्टीनेट के मालिक सुधीर अग्रवाल को 6 लाख 95 हजार, सेंट्रल इंडिया डिजिटल नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को १ करोड़ ४१ लाख की राशि लुटाई गयी है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अपराधिक छवि वाले संचालकों पर कृपा

सरकार का जनसम्पर्क महकमा मध्यप्रदेश की जनता का पैसा लुटाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है ,जिन चैनल्स को विज्ञापनों के नाम पर करोड़ों रुपये दिए गए हैं उनमें से अधिकांश चैनल के मालिक जेलों में बंद हैं या उनके विरुद्ध वारंट निकले हुए हैं मसलन पी 7 के संचालक केसर सिंह पर आर्थिक अपराध के कई मामले चल रहे हैं। उनके बंद पड़े चैनल को सरकारी खजाने से 76  लाख रुपये की राशि दी गई है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

चिटफंड कंपनी साईं प्रसाद मीडिया लिमिटेड के चैनल को 23 करोड़ 33 लाख रुपये दिए गए हैं जिसमें कंपनी ने दो बार कंपनी और चैनल का नाम बदला , सूत्र बताते हैं की चैनल के मालिक भापकर मुंबई जेल में बंद हैं। खबर भारती, भारत समाचार और स्टेट न्यूज़ को क्रमश 9 करोड़, 45 लाख और 1 करोड़ से नवाजा गया है जबकि जो चैनल गर्भ में ही हैं दबंग डी लाइव को 1 लाख अग्रिम रूप से दे दिए गए हैं, बात यहीं खत्म नहीं होती प्रोडक्शन हाउस निकिता फिल्म्स को चैनल की आड़ में 61 लाख रुपये की रेवाड़ी बांटी गयी है। कई नेशनल चैनल्स के स्टेट ब्यूरो भी इस घोटाले की आड़ में भरी भरकम राशि ले कर उपकृत हुए हैं , इस घोटाले की सूची बहुत लम्बी है किन्तु स्थानाभाव के कारन चुनिंदा नाम ही यहाँ दिए गए हैं।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा ने पूरे मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा है कि ” देश की आजादी में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ यानि मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी लेकिन लोकतंत्र के मूल्यों को भभ्रष्टाचार से बचाने का प्रतिबिम्ब मीडिया भी शिवराज सिंह चौहान के बदनाम चेहरे को बचाने में इस्तेमाल हो गया है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने पहले डम्पर कांड फिर व्यापम घोटाल के कलंक को धोने के लिए लोकतंत्र के महत्वपूर्ण आधार स्तम्भ की प्रतिमा और प्रतिभा को खंडित करने का दुस्साहसास सरकारी खजाने से धन लूटा कर किया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

मध्यप्रदेश शासन के जनसम्पर्क विभाग के प्रमुख सचिव एस के मिश्रा ने राज्य में हुए चैनल घोटाले के उजागर होने का बाद अब जाकर संपूर्ण मामले की जाँच करवाने के आदेश दिए हैं। कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की राजनीती में एक बार फिर व्यापम घोटाले को मैनेज करने के लिए चैनल घोटाला सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसे में सरकार की छवि बनाने वाले विभाग जनसम्पर्क और राज्य के मुखिया मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़ गई है।

लेखिका ममता यादव मल्हार मीडिया की संस्थापक और संपादक हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement