लुटेरी मोबाइल कंपनियां सोची समझी साजिश के तहत बना रहीं कस्टमर्स पर दबाव!

Mamta Yadav : क्या 4जी के हल्ले के बीच हम मोबाइल कंपनियों की चालाकी समझ पा रहे हैं? सिर्फ अपने अनुभव से नहीं लिख रही हूं और भी कई लोगों से बात की तो एक ही बात सामने आ रही है। जो 2 जीबी का 3जी मोबाइल डाटा पूरे महीने चलता था अब 10 दिन भी नहीं चल पा रहा है। स्पीड खराब हुई है वह अलग। 3 जी महंगा कर दिया गया है 4जी सस्ता है।

‘ममता’ का “मल्हार” करेगा दिव्यान्गों का सत्कार

सैकड़ों अखबार, हजारों पत्रकार। सबकी अपनी सोच, सबका अलग ख्याल। सन्स्थान के लिए समर्पित भाव से काम करने वाले इन कलमकारो को कभी इस बात का विचार मन नहीं आता कि किसी का सम्मान कर सके। कारण बहुत सारे हैं, आर्थिक, समयाभाव, संस्थान की अनुमति। सबसे बड़ा ख्याल यह कि यह सब कर उसे फायदा क्या? लेकिन जब संस्थागत बेड़ियों से आजादी मिलती है तो क्रिएशन और कुछ अलग कर गुजरने का जज्बा खुद ब खुद प्रबल हो जाता है।

मध्य प्रदेश में चैनलगेट के आगे पानी भरता दिखाई देता है वेबगेट

मध्यप्रदेश में इन दिनों न्यूज वेबसाईट को दिये विज्ञापनों पर हंगामा जारी है। इसे बकायदा वेबगेट घोटाला कहा जा रहा है। लेकिन अगर सूची पर नजर डालें और प्रमुख सचि के हालिया आदेश पर नजर डालें तो वेबगेट के आगे चैनल गेट कहीं नहीं लगता। आंकड़े तो यही बता रहे हैं कि वेबगेट घोटाला यानी वेबसाईटों का विज्ञापन घोटाला चैनल विज्ञापन घोटाले के आगे पानी भरता नजर आ रहा है। पिछले एक महीने से मचे हंगामे और उठा—पटक के बीच वेबसाईट्स के विज्ञापन बंद कर दिये गये हैं।  सूची के अनुसार गड़बड़ है तो गड़बड़ियों को पकड़ने के बजाय मध्यप्रदेश की बदनामी कराने से क्या मिला?

वेब मीडिया को विज्ञापनों पर हंगामा क्यों? दूसरा पहलू भी आये सामने

सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिये अपनी ही बिरादरी के लोगों को नीचा दिखाने पर उतारू न हो जायें। मध्यप्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र तो सामान्य हंगामेदार रहा लेकिन असली हंगामे की एक जड़ छोड़ गया भोपाली मीडिया में। इस बहाने कांग्रेस विधायक बाला बच्चन भी अच्छे—खासे चर्चा में आ गये हैं। उन्होंने सवाल ही कुछ ऐसा पूछ डाला। इसके कारण एक और काम सबसे अच्छा हुआ है कि सबकी असली मानसिकता और असली चेहरे सामने आ गये। सोशल मीडिया में ये बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म मिला है कि लोगों के असली चेहरे और उनकी असली मानसिकता जल्दी सामने आ जाती है।

मल्टी टैलेंटेड विजुअली चैलेंज्ड मोनिका-अंकिता पर कोई मां-पिता क्यों न करे गर्व…

मोनिका और अंकिता के साथ करीब 4 घंटे का समय बिताने का मौका मिला और उस समय उनसे बातचीत कर अहसास हुआ कि हम जैसे रोशन आंखों वालों की दुनिया से कहीं ज्यादा रोशनी है उनकी दुनिया में। मासूमियत, सच्चाई, इंसानियत की रोशनी। ये हमसे कहीं ज्यादा संवेदनशील हैं समाज के प्रति, इंसानियत के प्रति। हम लोग हर दर्जे में इनसे कमतर हैं। पढिय़े मोनिका और अंकिता की रोचक, सुरीली और साहसी कहानी मध्य प्रदेश की पत्रकार ममता यादव की जुबानी….