मेरे सात में से छह अखबारों में कांग्रेस के घोषणापत्र की खबर पहले पन्ने पर है, पांच में यह लीड या लीड का भाग है, अमर उजाला अपवाद है, सरकारी खर्च वाले प्रमुख प्रचारकों की चुनावी सक्रियता का असर भी दिख रहा है
संजय कुमार सिंह
आज के अखबारों से नरेन्द्र मोदी की हताशा (भाजपा पढ़ें) और अखबारों के बदले रुख का पता चलता है। आज मेरे सात में से छह अखबारों में कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किये जाने की खबर पहले पन्ने पर है। अमर उजाला अपवाद है और छह में से पांच अखबारों में यह लीड या लीड का भाग है। सिर्फ इंडियन एक्सप्रेस में यह लीड नहीं है। राहुल गांधी की न्याय यात्रा को पहले पन्ने पर नहीं छापने वाले अखबार अगर कांग्रेस के चुनाव घोषणा पत्र को इतना महत्व दे रहे हैं तो मैं इसे अखबारों का बदला रुख ही कहूंगा। आप चाहें तो कांग्रेस के घोषणा पत्र की खासियत कह सकते हैं। दोनों स्थितियों में यह भाजपा के 400 पार या कांग्रेस की घोषणा का सच तो है ही। बेशक, दो महीने से ज्यादा चलने वाले चुनाव में ऐसे कई उतार और शायद चढ़ाव भी आयेंगे पर अभी तो यही लगता है और इसकी पुष्टि दो खबरों से होती है। एक तो द टेलीग्राफ में लीड है और दूसरी अखबारों में दिखी नहीं। चुनाव की दृष्टि से एक और महत्वपूर्ण खबर सुप्रीम कोर्ट से है। अमर उजाला में यह लीड है। मुझे लगता है कि इस खबर से मतदाताओं को समझ में आ जायेगा कि बुलडोजर सरकार की मनमानी बेलगाम नहीं हो सकती है और नियंत्रण उसपर भी है।
आज की ये खबरें हैं ऐसी हैं जिससे भविष्य में सरकार की स्थिति कमजोर हो सकती है। अगर ऐसा हुआ और भाजपा संभल नहीं पायी तो संभव है इस चुनाव में लुढ़क जाये। हालांकि, अभी ऐसा कहना जल्दबाजी होगी और जो स्थितियां हैं उसमें भाजपा कुछ न खोज या कर पाये तो आश्चर्य होगा। फिलहाल तो आप आज की खबरें देखिये।
1. भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तारी के पांच साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने शोमा सेन को जमानत दी।
2. लद्दाख में आंदोलन जारी है और प्रशासन ने इंटरनेट काट दिया है या स्पीड कम की है।
3. आबकारी मामले में कविता से पूछताछ करने के लिये सीबीआई को सहमति।
4. दूरदर्शन कश्मीर में केरला स्टोरी फिल्म का प्रसारण कर रहा है, राजनीतिक विवाद, कांग्रेस-माकपा नाराज। 5. गाजा में तत्काल युद्ध विराम के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर मतदान से अलग रहने वाले 13 देशों में भारत एक है। इसमें पहले, इजराइल को हथियार देने पर रोक लगाने की भी मांग है।
6. मुख्यमंत्री को जेल से सरकार चलाने के लिए विशेष सुविधायें नहीं दी जा सकती हैं : ईडी।
7. मराठा कोटा के लिए पैनल ने मंच तैयार कर दिया, सरकारी नौकरियों में हिस्सा कम हो रहा है, बाल विवाह में वृद्धि
8. यह लोकतंत्र के लिए करो या मरो का युद्ध है, भारत की आत्मा का बचाव कर रहा हूं : स्टालिन
9. कांग्रेस का एमएसपी गारंटी का वादा
10. केंद्र सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए 50% कोटा, जमानत कानून को आसान किया जायेगा।
अमर उजाला में लीड का शीर्षक है, यूपी मदरसा कानून निरस्त करने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम रोक। उपशीर्षक है, शीर्ष कोर्ट ने कहा, कानून धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता नहीं दिखता है, राज्य सरकार को नोटिस। टाइम्स ऑफ इंडिया में इस खबर का शीर्षक है, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा अधिनियम को ‘असंवैधानिक’ घोषित करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को स्टे किया। 17 लाख छात्रों और 10 हजार शिक्षकों को फिलहाल राहत मिलेगी। आप कह सकते हैं कि इससे मदरसे में पढ़ने वालों को मुख्यधारा की शिक्षा नहीं मिलेगी। कल ही हमने पढ़ा था कि मुख्यधारा की शिक्षा का पाठ्यक्रम बदला गया है और इस सरकार ने तो पाठ्यक्रम से कहानियां तक हटा दी हैं। वह अलग मुद्दा है।
चुनावी नजरिये से आज एक और महत्वपूर्ण खबर है। अमर उजाला ने फोटो के साथ पहले पन्ने पर लीड के बराबर में छापा है – चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामला, पूर्व पीठासीन अधिकारी मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी। बाबा रामदेव के माफी मांगने की खबर तो पहले पन्ने पर समझ में आती है लेकिन कुल 36 वोट में से आठ वोट को अवैध घोषित करके भाजपा के पक्ष में फैसला देने वाले पीठासीन पदाधिकारी का माफीनामा भी ‘बड़ी खबर’ हो गई है। शायद इसलिए भी उनकी ओर से पेश हुए वकील हैं, मुकुल रोहतगी। अमर उजाला को कांग्रेस का घोषणापत्र पहले पन्ने लायक नहीं लगा यह भी खबर ही है पर भाजपा की हालत पतली है। इसका पता इससे लगता है कि प्रधानमंत्री (भाजपा पढ़ें) फिर आतंकवाद और रामनाम पर आ गई है (द टेलीग्राफ का शीर्षक) ।
जांचे-परखे चुनावी मिसाइल
द टेलीग्राफ के अनुसार नरेन्द्र मोदी ने (चुनाव जीतने के लिए) जांचे-परखे मिसाइल दागे हैं, विरोधियों को इसमें लोकतंत्र का बड़ा दुश्मन नजर आ रहा है। मुख्य शीर्षक है, आतंकवाद के बाद राम-नाम। इस खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने नेताओं को राम मंदिर पर “अपने होंठ बंद रखने” का निर्देश दिया है और चेतावनी दी है कि देश “हमारी आस्था का यह गंभीर अपमान” बर्दाश्त नहीं करेगा। कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने तुरंत इस आरोप का खंडन किया। मोदी पर “काल्पनिक दुनिया में रहने” और “ध्यान भटकाने की राजनीति करने” का आरोप लगाया। मोदी का दावा सीधे तौर पर चुनाव अभियान में धर्म घुसेड़ देता है। इसके एक दिन पहले उन्होंने एक अन्य चुनावी मंच से “छोटे देशों से आतंक” का आह्वान किया था।
मोदी ने राजस्थान के चुरू में एक रैली में कहा, ”एक पत्रकार ने अभी मुझे बताया कि कांग्रेस ने एक एडवाइजरी जारी की है और पार्टी इकाइयों से कहा है कि अगर अयोध्या में राम मंदिर पर कोई चर्चा होती है, तो उन्हें अपने होंठ सिल लेने चाहिए और कुछ नहीं कहना चाहिए। उन्हें लगने लगा है अगर राम का नाम लिया, पता नहीं कब राम-राम हो जाए।” अखबार ने इसके बराबर जवाब में जो खबर छापी है वह हिन्दी में इस तरह होगी। ”कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि इस चुनाव में लोगों को “स्वतंत्रता और भय” में से एक को चुनना है न कि भिन्न राजनीतिक दलों में से किसी एक को। इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि मीडिया जो बता रहा है उसके मुकाबले बहुत करीबी टक्कर है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का “400 पार” का नारा जमीनी हकीकत के यथार्थवादी मूल्यांकन की तुलना में डर और संदेह को बढ़ावा देता है। कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन को एक मुश्किल चुनौती के रूप में चित्रित किया और कहा कि यह जीतने के लिए तैयार है। देश में लोकतंत्र को बचाने के लिए पार्टी ने मतदाताओं से एक अपील जारी की। इसमें उसने कहा कि देश में लोकतंत्र को “एक खाली खोल में बदल दिया गया है”। शुक्रवार को जारी कांग्रेस के घोषणापत्र में कहा गया, “लोग सर्वांगीण विकास, समानता, समता, स्वतंत्रता और न्याय की राह पर चलने के लिए तरस रहे हैं।” कल मैंने लिखा था कि प्रधानमंत्री के भाषण से ज्यादा महत्व संदेशखाली पर हाईकोर्ट की टिप्पणी को दिया गया था। पर वह भाजपा की खबर थी। आज प्रधानमंत्री के आरोपों से ज्यादा महत्व कांग्रेस के घोषणा पत्र को दिया गया है।
देखना है सरकार अखबारों को नियंत्रित करने के लिए क्या करती है, कांग्रेस प्रधानमंत्री की शिकायत करती है या नहीं तथा चुनाव आयोग को यह सब दिख रहा है या नहीं। यह इस तथ्य के साथ है कि सरकारी खर्चे पर भाजपा का प्रचार कर रहे प्रधानमंत्री को भाजपा अध्यक्ष से अलग दिखना चाहिये। कांग्रेस के बारे में झूठ तो भाजपा अध्यक्ष को भी नहीं बोलना चाहिये। दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस की खबर के बाद आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी का आरोप स्वमेव सिद्ध लगता है फिर भी आज के अखबारों में खबर है कि करियर बचाने के लिए भाजपा में शामिल होने की पेशकश की खबर देने के लिए आतिशी को चुनाव आयोग से नोटिस मिला है। यह अलग बात है कि आतिशी के अनुसार भाजपा की शिकायत पर नोटिस की खबर टेलीविजन पर पहले चली उन्हें नोटिस बाद में मिला।
चुनाव को आतंकवाद और धर्म की तरफ मोड़ने की कोशिशें एक मार्च को रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट की खबर से शुरू हो गई लग रही थीं। आप जानते हैं कि पुलवामा 14 फरवरी 2019 को हुआ था। अभी तक उस मामले में आवश्यक खुलासे नहीं हुए हैं। की पोल नहीं खुली जबकि बैंगलोर के विस्फोट के तार भाजपा से जुड़े मिले हैं। खबर पहले पन्ने पर नहीं है सो अलग। कल प्रधानमंत्री का कहा छपा था कि भारत अब घुसकर मारता है आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हवाले से छपा है, भारत अब पाकिस्तान के अंदर भी आतंकवादियों पर हमला करता है। हालांकि आज नवोदय टाइम्स में एक खबर है, उरी में घुसपैठ की कोशिश, 2 आतंकी ढेर। प्रधानमंत्री कांग्रेस पर आरोप लगाने में ही लगे हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स में (दूसरे अखबारों में भी) खबर है, कांग्रेस ने सशस्त्र सेना का अपमान किया, आतंकवाद पर नरम है : मोदी ने रैली में कहा।
यही नहीं, राजनाथ सिंह वाली खबर के संबंध में द टेलीग्राफ ने लिखा है, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को द गार्जियन की एक रिपोर्ट की पुष्टि करते लगे कि नई दिल्ली (भारत) ने पाकिस्तान के अंदर आतंकवादियों को मार गिराया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत यहां हमले करने के बाद वहां शरण लेने वाले किसी भी आतंकवादी को मारने के लिए पड़ोसी देश में प्रवेश करेगा। राजनाथ सिंह का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक चुनावी रैली में यह कहे जाने के बाद आया है कि आज का भारत अपने दुश्मनों को “उनके घरों में घुसकर” मारता है। अखबार के अनुसार यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने पिछले आम चुनाव के दौरान भाजपा की मदद की थी। टेलीग्राफ ने लिखा है, सीएनएन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में, राजनाथ सिंह से द गार्जियन अखबार की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था। इसमें कहा गया था कि भारत ने हाल के वर्षों में पाकिस्तान के अंदर 20 आतंकवादियों को मार गिराया है।