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पेगासस से जासूसी के लिए भारत के ‘दबाव’ में ऐप्पल ने हैकिंग अलर्ट के शब्द बदले

ऐप्पल अब ‘राज्य प्रायोजित हमलावरों’ को ‘मर्सिनरी’ हैकर कह रहा है। ऐमनेस्टी इंटरनेशनल ने अलर्ट प्राप्त करने वालों के लिए डिजिटल सिक्यूरिटी हेल्पलाइन शुरू की है। अपने लिये इलेक्टोरल बांड और पीएम केयर्स बनाने वाली सरकार ने एक दशक में जनहित के काम करने वाले 20,693 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द किये हैं। दो वित्त वर्षों में इन्हें जनसेवा के लिए करीब 56,000 करोड़ रुपये मिले थे, अब रोजगार नहीं है फिर भी सरकार बेपरवाह है।

संजय कुमार सिंह

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आज मेरे सभी अखबारों की लीड अलग है। इस तथ्य के बावजूद कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कल ऋषिकेश में रैली की और कहा कि सरकार कमजोर हो तो आतंकवाद फैलता है, मोदी सरकार आतंकवादियों के घरों में घुसकर मार डालती है। मुझे नहीं पता मोदी सरकार ने किस आतंकवादी को घर में घुस कर कब मारा है। अगर वे उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बुलडोजर चलाने की बात कर रहे हों तो अलग बात है। हालांकि उन्हें आतंकवादी कौन मानता है और आतंकवादी तो वो थे जो पुलवामा कर गये और उनका पता भी नहीं चला। बुलडोजर न्याय को बहुत कम लोग सही मानते हैं।

मुझे यह जरूर याद है कि मुंबई हमले के दोषी कसाब को जिन्दा पकड़ लिया गया था और उसे बाकायदा मुकदमा चलाकर मौत की सजा दी गई थी। भले देश में ही यह प्रचार किया गया कि उसे बिरयानी खिलाई जा रही है। लेकिन भारत ने जो किया वह नियमानुसार किया और किसी देश ने उसपर टिप्पणी नहीं की। न ही सरकार को दूसरे देशों के प्रतिनिधियों को बुलाकर कहना पड़ा था कि वह आंतरिक मामलों में दखल न दे। फिर भी प्रधानमंत्री ने कहा है तो खबर है ही और ऐसी खबरें लीड बनती रही हैं। आज भी यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर लीड के बराबर, टॉप पर है, नवोदय टाइम्स में लीड है। लेकिन अमर उजाला में पहले पन्ने पर भी नहीं है। प्रधानमंत्री ऋषिकेश में गरजें, इंडियन एक्सप्रेस और नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर खबर हो और अमर उजाला में खबर ही न हो तो मुझे लगता है कि यह भी खबर है। 

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आज की खबरों की चर्चा से पहले आइये आज के अखबारों की लीड देख लें

1. इंडियन एक्सप्रेस

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स्विटजरलैंड ने जून में बैठक की योजना बनाई, रूस की उपस्थिति देर-सेबर होगी – यूक्रेन। संभव है, पहले दिन नहीं हो पर रूस को शामिल होना है, स्विटजरलैंड के विदेश मंत्री ने कहा। (उपशीर्षक)

सरकार कमजोर हो तो आतंकवाद फैलता है, मोदी सरकार आतंकवादियों के घरों में घुसकर मार डालती है।(सेकेंड लीड)

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2. हिन्दुस्तान टाइम्स

भ्रष्टाचार का नुकसान सबको होता है, एजेंसियों की कार्रवाई नहीं रुकेगी : मोदी।

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प्रधानमंत्री का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू हिन्दुस्तान (हिन्दी) के संपादक शशि शेखर ने किया है और यही लीड है।   

3. टाइम्स ऑफ इंडिया

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ईडी के बाद सीबीआई ने कविता को एक्साइज मामले में गिरफ्तार किया। 6 अप्रैल को जेल में पूछताछ के बाद की गई कार्रवाई।

4. द हिन्दू

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एडीबी ने 2024-25 में भारत के जीडीपी में सात प्रतिशत विकास का अनुमान लगाया।

5. द टेलीग्राफ

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खिलाफत के पालना से लेकर वोट खेंचू तक – ईद पर ऐशबाग ईदगाह के फिरंगी महल में राजनेताओं की भीड़  

6. अमर उजाला

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मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़, 45 फीसदी डॉक्टर लिख रहे अधूरा परचा

7. नवोदय टाइम्स

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युद्ध क्षेत्र में तिरंगा भी सुरक्षा की गारंटी : मोदी। इसके बराबर में छोटे फौन्ट में छपा शीर्षक है, रोजगार मांग रहा युवा, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं : राहुल। बोले, यह संविधान और लोकतंत्र को बचाने का चुनाव (उपशीर्षक)। 

आज के अखबारों में कुछ और खबरें व शीर्षक हैं जो मेरी राय में समय पर ध्यान नहीं दिये जाने के कारण हैं। समय पर इन मामलों में ध्यान दिया गया होता तो शायद ये खबरें आज अखबारों में नहीं होतीं। उदाहरण के लिए, सोशल मीडया का दुरुपयोग जिन्ता का विषय है : सुप्रीम कोर्ट (2) एसबीआई का चुनावी बांड की जानकारी देने से इनकार (3) प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर चीन ने दी प्रतिक्रिया – मजबूत और स्थिर संबंध साझा हितों को पूरा करते हैं। 4) बिना फिटनेस के स्कूल बस पेड़ से टकराई , छह बच्चों की जान गई, ड्राइवर नशे में था 5) भारतीय उच्चायोग पर प्रदर्शन मामले में  एनआईए ने गलत पहचान के कारण तीन नोटिस वापस लिये

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आप देख सकते हैं कि ज्यादार अखबारों ने प्रधानमंत्री की रैली की खबर को लीड नहीं बनाया है। यहां तक कि अमर उजाला ने भी नहीं। दूसरी ओर, राहुल गांधी ने जो कहा वह कम महत्वपूर्ण नहीं है। चुनाव के समय जब सरकार और भाजपा के पक्ष में काफी कुछ है और लेवल प्लेइंग फील्ड की बात हो रही है तो राहुल गांधी के कहे को भी समान महत्व मिलना चाहिये। नवोदय टाइम्स ने भले ऐसा किया है पर दूसरे अखबारों ने नहीं किया है वह स्पष्ट है। प्रधानमंत्री वैसे भी लीड बनते रहे हैं पर आज जब खबर नहीं है तो उनके कहे को लीड नहीं बनाने का मतलब है और उम्मीद है कि जिन्हें समझना चाहिये वे समझेंगे और नोट करेंगे।

इसके साथ ही आज यह भी खबर है कि देश की राजनीति का जो होना था वह हो चुका है और सरकार नहीं बदली या भाजपा की ही सरकार फिर बन गई तो इलेक्टोरल बांड से लेकर पुलवामा तक इस सरकार के तमाम घपलों-घोटालों की जांच नहीं होगी और राजनीति का जो हाल है उसमें कंगना रनौत जैसे लोग आते रहेंगे। अमर उजाला की एक खबर के अनुसार, पंजाब की आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सेवा से इस्तीफा देकर गुरुवार को पति गुरप्रीत सिंह मलूका के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई। इस्तीफा देते भाजपा में शामिल होने का मतलब है, बातचीत या सौदेबाजी पहले से चल रही होगी और नियमानुसार यह गलत है। जब एक गलती को बुरा नहीं माना गया और जज साब को टिकट भी मिल गया तो खबर है कि इस्तीफा मंजूर नहीं होने के बाद भी वे पार्टी से जुड़ गये हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान ने कहा है कि इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। जाहिर है वे जो कर रहे हैं वह राजनीति है और आईएएस अफसर जज आदि नौकरी-नौकरी खेल रहे हैं। भाजपा अपनी ईमानदारी और योग्यता के झंडे गाड़ रही है जबकि राहुल गांधी बेरोजगारों की चिन्ता करके सत्ता पाने की कोशिश में लगे हैं। मीडिया जो कर रहा है वह मैं बताता ही रहता हूं।

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इसी खेल के भाग के रूप में कल आपने पढ़ा था कि दिल्ली के मंत्री राज कुमार आनंद ने इस्तीफा दे दिया था। आज द हिन्दू में प्रकाशित खबर के अनुसार दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में अभी इस्तीफा नहीं पहुंचा है। अब पता नहीं उन्होंने इस्तीफा कहां, किसे और किसलिये दिया है तथा खबरें कैसे छप गईं। इन और ऐसी खबरों के बीच आज एक खबर है, आईफोन में पेगासस जैसे हमले का अलर्ट। अमर उजाला में यह खबर बॉटम स्प्रेड है और उप शीर्षक है,  एपल यूजर्स सावधान …. भारत सहित 92 देशों में साइबर हमले का खतरा। इस खबर के साथ एक बॉक्स है, अलर्ट अहम : इस साल 60 देशों में चुनाव। यह खबर आज द हिन्दू में तीन कॉलम में है। यहां इसका शीर्षक है, भारत के ‘दबाव’ के  बाद ऐप्पल ने हैकिंग अलर्ट के शब्द बदले। इस आशय की खबर पहले भी आई थी। इस बार लिखा है, ऐप्पल अब राज्य प्रायोजित हमलावरों को ‘मर्सिनरी’ हैकर कह रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर इसी शीर्षक से है, ऐप्पल ने ‘मर्सिनरी स्पाईवेयर’ हमलों की चेतावनी दी। इंडियन एक्सप्रेस में यह दो कॉलम में और कुछ अखबारों में यह सिंगल कॉलम की खबर है। इसके मुकाबले ऐमनेस्टी इंटरनेशनल की पेशकश और एनजीओ के प्रति सरकारी रवैया खबर है जो किसी की दिलचस्पी नहीं है। मामला सरकार द्वारा पेगासस खरीदने से संबंधित है। सरकार ने अभी तक ना तो पेगासस खरीदना स्वीकार किया है और ना इससे इनकार किया है। बिना इजाजत टेलीफोन सुनना अनैतिक और गैरकानूनी है पर भाजपा सरकार ऐसा कर रही प्रतीत होती है। इसलिए यह मामला महत्वपूर्ण है। पर अखबारों ने इस खबर को वैसे नहीं छापा है जैसा मामला है।       

द हिन्दू की खबर में कहा गया है, गये नवंबर में ऐप्पल और केंद्र सरकार ने भ्रमित करते हुए यह दावा किया था कि 150 देशों में हैकिंग के ऐसे अलर्ट मिले हैं जबकि सिर्फ भारत में उपयोगकर्ताओं ने ऐसे अलर्ट प्राप्त होने की खबर दी थी। पूर्व में भारत में ऐप्पल का अलर्ट प्राप्त करने वाले तीन लोगों ने हिन्दू से कहा है कि उन्हें इस बार (पिछले दिनों) ऐप्पल का अलर्ट नहीं मिला है। ऐमनेस्टी इंटरनेशनल ने अलर्ट प्राप्त करने वालों के लिए डिजिटल सिक्यूरिटी हेल्पलाइन शुरू की है। 29 सितंबर 2020 की बीबीसी की एक खबर थी, एमनेस्टी पर भारत सरकार ने कहा, मानवाधिकार की आड़ लेकर क़ानून नहीं तोड़ा जा सकता। इस खबर के अनुसार, एमनेस्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी रजत खोसला ने बीबीसी से कहा, हम भारत में एक अभूतपूर्व परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। हमें सरकार की ओर से एक व्यवस्थित तरीक़े से लगातार हमलों, दादागिरी और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और ये केवल इसलिए हो रहा है कि हम मानवाधिकार से जुड़े काम कर रहे हैं और सरकार हमारे उठाए सवालों का जवाब नहीं देना चाह रही है, वो चाहे दिल्ली दंगों को लेकर हमारी पड़ताल हो या जम्मू-कश्मीर में लोगों की आवाज़ों को ख़ामोश करना।”

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कुल मिलाकर, मामला सरकार द्वारा जासूसी कराये जाने का लगता है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे सामान्य खबर की तरह छापा है जबकि द हिन्दू ने विवरण दिया है और ऐमनेस्टी इंटरनेशनल की खबर से लगता है कि सरकार अपने नागरिकों को अपने हमलों से राहत पाने का कोई उपाय भी नहीं करने देना चाहती है। भारत में यह राहत कम ही लोग दे सकते हैं। इसके लिए पैसे मिलना तो मुश्किल है ही। सरकार विदेशी चंदे पर वैसे ही सख्ती बरत रही है और विदेशी संस्थानों के तो काम करने की भी सीमा है। हाल की खबरों के अनुसार पांच साल में 6,600 से अधिक एनजीओ के लाइसेंस निरस्त हो चुके हैं। कुल मिलाकर, बीते दशक में 20,693 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द किये गये हैं। इसमें यह दिलचस्प है कि जो विदेशी एजेंसियां पैसे देती हैं उन्हें खर्च को लेकर शिकायत नहीं होती है और उनसे यहां जनहित व समाजसेवा के तमाम काम होते हैं। हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ था। उन्हीं पैसों के दुरुपयोग के आरोप पर सरकार विदेशी दान लेने का उनका लाइसेंस रद कर देती है। पिछले साल संसद में बताए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019-2020 और 2021-2022 के दो वित्तीय वर्षों के बीच 13,520 एफसीआरए-पंजीकृत संघों या गैर सरकारी संगठनों द्वारा विदेशी योगदान में 55,741.51 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

भाजपा की सरकार ने अपने (और दूसरे राजनीतिक दलों के लिए भी) लिए इलेक्टोरल बांड का नियम ले आई थी। अपने लिये पीएम केयर्स भी है। इनमें इलेक्टोरल बांड को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक करार दे चुका है और पीएम केयर्स के पास अरबों रुपये पड़े हैं।  

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