लक्ष्मी नारायण तिवारी-
दैनिक भास्कर भोपाल से प्रकाशित 07 अप्रैल 2024 के एडिशन की यह खबर हैरान कर रही है। किसी पॉलिटिकल रिपोर्टर ने यह खबर लिखी है। तथ्यात्मक रूप से इतनी बड़ी गलती की उम्मीद न तो एक राजनीतिक संवाददाता से की जा सकती है और ना ही डेस्क के सीनियर एडिटोरियल मेंबर्स से, कि उनकी आंखों के सामने से ऐसी खबर कैसे पेज पर छपने के लिए रिलीज हो गई?
खजुराहो लोकसभा सीट से एक महिला ही नहीं बल्कि दो-दो महिलाएं यहां से चुनकर संसद में पहुंच चुकी हैं और ये एक बार नहीं, बल्कि दो या उससे अधिक बार चुनी गईं हैं। खजुराहो सीट से कांग्रेस की सांसद रह चुकी स्वर्गीय विद्यावती जी और बीजेपी की उमा भारती कितनी बार चुनी गईं हैं, यह भी देखने लायक है।
सागर से भी दो बार महिला एमपी लोकसभा में चुनकर पहुंची हैं। भिंड से संध्या राय अभी निवर्तमान सांसद हैं।
मैं यह भी मानता हूं कि खबरों की आपधापी और अधिक वर्कलोड में वर्तनी, शब्द और वाक्यविन्यास में गलतियां होना स्वाभाविक है और इन्हें नजरंदाज किया जाना तक तो ठीकठाक है, क्योंकि आजकल अखबारों में काम के अनुपात में मैनपावर काफी कम हो गया है, पर ऐसी तथ्यात्मक रूप से भयंकर गलत खबर को दैनिक भास्कर जैसे अखबार में जाना समझ से परे है।
मुझे दुख इस बात का है कि मैं भी भोपाल में दैनिक भास्कर की संपादकीय टीम का हिस्सा रहा हूं और मुझे याद है कि कितना खून पसीना और संघर्ष करते थे, यह तो साथ के लोग ही जानते हैं। भले यह संस्थान मेरे लिए भूतपूर्व हो चुका है।
कई आलोचनाओं के बावजूद अखबार में संपादकीय और रिपोर्टिंग टीम के सदस्य बहुत कड़ा परिश्रम करते हैं। बहुत अच्छा कंटेंट भी देते हैं। अखबार एक टीमवर्क का उत्पाद है। किसी एक सदस्य की गलती होती है तो दूसरा आगे आकर उसे रुकवाता है भले ही निजी और व्यक्तिगत मतभेद भी हों। मुझे उम्मीद है किसी की नौकरी पर संकट न आए, भूलचूक मानवीय जीवन का हिस्सा है। लोग अधिक सतर्कता के साथ काम करें।