अशोक पांडेय-
एंथनी हॉपकिंस बार-बार हैरान करते हैं.
तिरासी बरस की उम्र में साल 2020 के साल उन्होंने ‘द फादर’ में अल्जाइमर से जूझते बूढ़े बाप का किरदार निभाया और एक शानदार परफॉर्मेंस के लिए ऑस्कर हासिल किया और इस अवार्ड को जीतने वाले सबसे अधिक आयु के अभिनेता बने. 1990 की फिल्म ‘साइलेंस ऑफ़ द लैम्ब्स’ में भी सीरियल किलर बने एंथनी को ऑस्कर मिला था.
पिछले साल यानी 2023 में उनकी एक पिक्चर आई ‘फ्रायड्स लास्ट सेशन.’ दूसरा विश्वयुद्ध शुरू होने के ठीक दो दिन बाद मशहूर लेखक सी. एस. लुईस सिगमंड फ्रायड से मिलने जाते हैं. दोनों के बीच विज्ञान और ईश्वर जैसे गूढ़ विषय पर लम्बी बहस होती है. यह एक काल्पनिक मुलाक़ात है. सधी हुई पटकथा और एंथनी हॉपकिंस का अभिनय – ये दो चीजें देर तक याद रह जाती हैं.
आप अचरज करते हैं कि तीन साल बाद नब्बे का होने जा रहे इस अविश्वसनीय व्यक्ति को साइंस फिक्शन सीरीज करने में मज़ा आता है. उसे अपनी याददाश्त पर पूरा भरोसा है और वह पूरी शिद्दत से अपनी बायोग्राफी पर काम कर रहा है. उसकी पत्नी उसके जीवन पर एक डॉक्यूमेंट्री बना रही है. उसके दिन में आज भी आठ से दस घंटे काम के होते हैं.
उनके बारे में जहाँ जो कुछ मिलता है, बेचैनी और ईर्ष्या के साथ उसे पढ़ने-देखने-सुनने का कोई मौक़ा मैं नहीं छोड़ता.
उनका एक रूप को बहुत कम लोग जानते हैं. स्कूली दिनों से ही संगीत रचना कर रहे एंथनी ने ‘साइलेंस ऑफ़ द लैम्ब्स’ के रिलीज से पहले अपने गानों का ‘डिस्टेंट स्टार’ नाम से एक अल्बम जारी किया था जो साल 1986 में ब्रिटिश सुपरहिट चार्ट में 75वें नंबर तक पहुंचा. गीत के बोल और गाने की शैली कहीं-कहीं महान लेनर्ड कोहेन की याद दिलाते हैं.
लेकिन एंथनी का संगीतकार इसके कहीं आगे की चीज था. उन्होंने छब्बीस साल की आयु में वॉल्ज़ की सूरत में एक शानदार म्यूजिकल पीस भी लिखा था लेकिन फिल्मों में अभिनय करना शुरू करने के बाद संगीत के लिए समय नहीं बच पाता था.
कोई पचास साल बाद यानी 2011 में एंथनी ने हिम्मत जुटाई और मशहूर डच कंडक्टर और संगीतकार आंद्रे रियू को अपना वह पीस भेजा. उस बरस आंद्रे ने बीस संगीत-रचनाओं का एक नया अल्बम रिलीज किया – ‘एंड द वॉल्ज़ गोज़ ऑन.’ एंथनी हॉपकिंस का रचा वह पीस भी इसका हिस्सा था. अल्बम का नामकरण भी उन्हीं की रचना के नाम पर किया गया. उसका वीडियो लिंक कमेंट्स में देखा जा सकता है.
एंथनी ने जहाँ-जहां जिस-जिस से जो सीखा-पाया उसका हरसंभव कर्ज़ चुकाने की कोशिश भी की. अपने स्कूल की थियेटर-म्यूजिक विंग के लिए उसने बीस करोड़ रुपये दिए. दुनिया भर में पर्यावरण के लिए काम कर रही कितनी ही संस्थाओं को वे वित्तीय मदद करते रहे हैं. अपने प्रिय वेल्श अभिनेता टॉमी कूपर की याद में उन्होंने एक बड़ी संस्था बनाई है.
सोचता हूँ यह आदमी अपने यहाँ होता तो तेल और लूडो बेच रहा होता, दुनिया भर की एजेंसियां उसके पीछे पड़ी होतीं. हो सकता है स्विस बैंक का अकाउंट नंबर पाने के लिए उसका नारको टेस्ट करवाया जा चुका होता. जस-तस इस सब से बच भी गया होता तो आधे भगवान से कम खुद को क्या ही समझता.
कमरे में लगाने के लिए उसकी एक फोटो अभी-अभी फ्रेम कराने दे कर आ रहा हूँ.