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युवा आलोचक निशांत को मिला वर्ष 2023 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान!

र्ष 2023 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान युवा आलोचक निशांत को उनकी आलोचना पुस्तक ‘कविता पाठक आलोचना’ के लिए प्रदान किया गया। देवीशंकर अवस्थी के जन्मदिन के अवसर पर 5 अप्रैल, 2024 को नई दिल्ली के साहित्य अकादेमी सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में सुप्रसिद्ध कथाकार श्रीमती मृदुला गर्ग ने प्रशस्तिपत्र, स्मृति चिह्न और पच्चीस हजार रुपये की राशि प्रदान कर श्री निशांत को सम्मानित किया। इस वर्ष की सम्मान चयन समिति में मृदुला गर्ग, अशोक वाजपेयी, सुधीर चन्द्र, पुरुषोत्तम अग्रवाल और श्रीमती कमलेश अवस्थी शामिल थे। समिति की ओर से अशोक वाजपेयी ने प्रशस्ति वाचन किया।

पुरस्कृत आलोचक निशांत ने अपने वक्तव्य में कहा कि सम्मान ग्रहण करके मैं कृतज्ञता और भार महसूस कर रहा हूँ। उन्होंने हज़ारीप्रसाद द्विवेदी को अपना आदर्श बताते हुए कहा कि कविता से लेकर गद्य तक भाषा की सहजता को अपनाने की कोशिश कर रहा हूँ।

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इस अवसर पर आयोजित ‘आलोचना और पाठक’ विषयक विचार गोष्ठी में मृदुला गर्ग, देवी प्रसाद मिश्र, आशुतोष कुमार और रश्मि रावत ने व्याख्यान दिये।

वैभव सिंह ने विषय को स्पष्ट करते हुए कहा कि आज कोई भी विधा इस बात पर इतरा नहीं सकता कि हमारी लोकप्रियता सर्वाधिक है। आज की आलोचना “साहित्य क्या है?” पर बात नहीं करती। आलोचक को निष्कर्ष देने की हड़बड़ी से बचना चाहिए।

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रश्मि रावत ने कहा कि प्रगतिशील मूल्यों को वहन करने वाली सृजनधर्मी आलोचना ही असल आलोचना है। हर आलोचक एक पाठक होता है और हर पाठक एक आलोचक होता है।

वरिष्ठ कथाकार मृदुला गर्ग ने अपने वक्तव्य में कहा कि पाठक एक अलग शय होता है, उसपर आलोचक और रचनाकार दोनों काबिज होना चाहते हैं। पाठक स्वतंत्र आलोचक होता है, उसकी आलोचकीय दृष्टि ज़्यादा मानीखेज होती है। रचनाकार के लिए आलोचक ज़रूरी नहीं है लेकिन आलोचक के लिए रचनाकार ही ज़रूरी है। आलोचना के पीछे न भागकर रचना के पीछे भागें, वो आपकी सबसे अच्छी रचना होगी।

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आशुतोष कुमार ने कहा कि जिस रचना की आलोचना नहीं है वह सच में साहित्यिक परिवेश में नहीं है। रचना वही होती है जो अपने पाठक की खोज करती है और अपने पाठक को एक तरह से संस्कारित भी करती है।

आलोचना के क्षेत्र में दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार सुप्रसिद्ध आलोचक स्वर्गीय श्री देवीशंकर अवस्थी की स्मृति में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कमलेश अवस्थी द्वारा वर्ष 1995 में स्थापित किया गया। यह सम्मान अवस्थी जी के जन्मदिवस के अवसर पर प्रतिवर्ष 45 वर्ष तक की आयु के किसी युवा आलोचक को दिया जाता है। अब तक यह सम्मान सर्वश्री मदन सोनी, पुरुषोत्तम अग्रवाल, विजय कुमार, सुरेश शर्मा, शम्भुनाथ, वीरेन्द्र यादव, अजय तिवारी, पंकज चतुर्वेदी, अरविन्द त्रिपाठी, कृष्ण मोहन, अनिल त्रिपाठी, ज्योतिष जोशी, प्रणय कृष्ण, प्रमीला के.पी., संजीव कुमार, जितेन्द्र श्रीवास्तव, प्रियम अंकित, विनोद तिवारी, जितेन्द्र गुप्ता, वैभव सिंह, पंकज पराशर, अमिताभ राय, मृत्युंजय पाण्डेय, राहुल सिंह, आशुतोष भारद्वाज, अच्युतानंद मिश्र, सुश्री सुजाता को प्रदान किया जा चुका है।

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कार्यक्रम में दिल्ली स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के अध्यापक व छात्रों सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं संस्कृतिप्रेमी उपस्थित थे। स्वर्गीय देवीशंकर अवस्थी जी के बड़े सुपुत्र अनुराग अवस्थी ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों और मीडिया बंधुओं का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन युवा आलोचक वैभव सिंह ने किया।

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