लेखन और रचनाधर्मिता के साथ संपादन का दायित्व निभाने वाले लोगों की संख्या कम होती जा रही है। कई दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय कुमार अतुल अमरउजाला अलीगढ़ के संपादक हैं। वह ऐसे बिरले लोगों में हैं जो संपादन के साथ ही लगातार रचनाकर्म में लगे रहते हैं।
पोल डांस शीर्षक से उनका ताजा काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ है। सियासत की विसंगतियों पर इसमें करारा व्यंग्य किया गया है। मौजूदा समय में जब पूरा देश चुनावी ज्वर की गिरफ्त में है, उनकी यह पुस्तक बेहद प्रासंगिक हो चली है। इसमें मारक दोहे और व्यंग्य को समेटे कविताएं हैं।
कुछ दोहों की बानगी देखिए- परदेसी घर आ गया जनता कहे पुकार… पांच साल के बाद फिर उमड़ पड़ा है प्यार। एक दिखाए बॉटली , एक दिखाए नोट… असमंजस में हम पड़े डालें किसको वोट। दारू की दरिया बही, वादों की बरसात… लतखोरी जी खा रहे दो मुर्गों की लात। राजपुत्र राजा बने…. बने चोर का चोर, नेतासुत नेता बने इसमें कैसा शोर। देश भक्ति दिल में लिए मन में लिए जुनून…हम बापू के शिष्य हैं तोड़ें हर कानून।
तंज समेटे ऐसे अनेक दोहों का यह संग्रह बेहद पठनीय है। 150 रुपये की कीमत वाला उनका यह संग्रह शीघ्र ही अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध होगा।
यह भी उल्लेखनीय है कि मेट्रोपॉलिटन संस्कृति की संवेदनहीनता और उसके विद्रूप की पोल खोलता उनका काव्य संग्रह महानगर खासा चर्चित रहा था। नामवर सिंह से लेकर राम दरश मिश्र जैसे मूर्धन्य साहित्यकारों ने इसकी खूब प्रशंसा की थी। इसकी समीक्षा देश भर के अखबारों और पत्रिकाओं ने की थी। इसके अलावा कुमार अतुल ने सोनिया गांधी की बॉ़योग्राफी भी लिखी थी जिसका डिजिटल संस्करण उपलब्ध है।
कुमार अतुल आकाशवाणी के लिए लगभग एक दशक स्क्रिप्ट राइटिंग भी कर चुके हैं। विविध विषयों पर उनके सैकड़ों लेख, कहानियां, गज़लें, कविताएं देश के चोटी के अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। मतदाता जागरूकता पर कुमार अतुल लिखित नाटिका का मंचन आईआईटी रुड़की, और आईएमएस यूनिसन देहरादून जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्यार्थी कर चुके हैं।