तय कीजिये कि यह हाल भाजपा या संघ परिवार की राजनीति के कारण है या हमारा समाज ऐसा ही था; चुनावी चिन्ता से अलग, चर्चा का विषय यह क्यों नहीं है? भ्रष्टाचार में मंत्रियों ‘को भी’ जेल भेजने का फायदा हुआ क्या?
संजय कुमार सिंह
आज के ज्यादातर अखबारों में नरेन्द्र मोदी के चुनाव प्रचार और चुनावी भाषणों को प्रमुखता दी गई है। लेवल प्लेइंग फील्ड की मांग या जरूरत पर प्रधानमंत्री का बनाया चुनाव आयोग क्या कर रहा है यह तो नहीं ही पता है, सरकारी एजेंसियां वैसे ही काम कर रही हैं जैसा पहले के चुनावों के दौरान कभी नहीं हुआ। इस बीच, अखबार सरकार के प्रचार में नजर आ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में सीएए से संबंधित याचिकाओं की खबर आज मेरे सात अखबारों में से एक, सिर्फ द हिन्दू में है। आप जानते हैं कि सरकार ने चुनाव से पहले जल्दबादी में सीएए लागू किया है । द हिन्दू के शीर्षक के अनुसार, याचिकाओं में कहा गया है कि सीएए नियम दोहरी नागरिकता की इजाजत देते हैं और यह 1955 के नागरिकता अधिनियम का सीधा उल्लंघन है। खबर के अनुसार भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वालों के लिए विदेशी नागरिकता छोड़ने की शर्त नहीं है। जो भी हो, मामला सुप्रीम कोर्ट में है पर खबर सिर्फ हिन्दू में लीड है।
दूसरे अखबारों ने तो यही बताया है कि प्रधानमंत्री के अनुसार कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप है। मुझे पता नहीं है कि प्रधानमंत्री को इसमें गलत क्या लगता है। या देश को वे क्या बताना चाहते हैं। वैसे तो वे खुद को मुस्लिम विरोधी बताने से संकोच नहीं करते हैं और आग लगाने वालों को कपड़ों से पहचानने का दावा कर चुके हैं। लेकिन मुस्लिम लीग के नाम से मुझे याद आता है कि मुस्लिम लीग ने अगर पाकिस्तान अलग बनवाया तो उसके नेता मोहम्मद अली जिन्ना का 1936 में मुंबई के मालाबार हिल्स में 2.5 एकड़ में उस समय दो लाख रुपये में बना बंगला भारत में ही रह गया था और कई साल पहले इसकी कीमत 2000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। विकीपीडिया के अनुसार, “ …. बीसवीं सदी में मुस्लिम लीग का एक प्रमुख नेता था, जिसे पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। ये मुस्लिम लीग का नेता था जो आगे चलकर पाकिस्तान का पहला गवर्नर जनरल बना।” कहने की जरूरत नहीं है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में मुस्लिम लीग की छाप देखने का प्रधानमंत्री का अपना उद्देश्य है और यह खबर तो है ही। पार्टी अध्यक्ष ने कहा होता तो शायद अलग बात होती।
कुल मिलाकर, आज के अखबारों की खबर यह है कि नरेन्द्र मोदी अपना काम, अपनी योजना बताने की बजाय विपक्ष की आलोचना पर कायम हैं, सरकारी एजेंसियां विपक्षी राज्यों में कार्रवाई कर रही हैं और विरोध का सामना कर रही हैं, विपक्षी दलों को चुनाव के समय कमजोर करने की सरकारी कार्रवाई का नया शिकार सीपीआई (एम) है। नवोदय टाइम्स की खबर के अनुसार पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने दावा किया है कि अब उनकी पार्टी का बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया है। चुनाव के समय पुराने मामलों की जांच देश भर में चल रही हैं और इसी क्रम में 2022 के बम विस्फोट की जांच के सिलसिले में गई पश्चिम बंगाल के मेदनीपुर जिले में एनआईए की टीम पर हमले की खबर है। नक्सली साजिश के मामले में यूपी, बिहार में भी छापे पड़े हैं। छत्तीसगढ़ में तीन और माओवादियों को मार दिये जाने की खबर है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने ग्रामीणों के हमले का बचाव किया है और कहा है कि 2022 में पटाखे फूटने की घटना पर एनआईए टीएम भोर में कई घरों में जबरन घुस गई थी और ग्रामीणों ने आत्म रक्षा में हमला किया है।
जो भी हो, इन खबरों से पता चलता है कि देश कैसे चल रहा है या चलाया जा रहा है और जाहिर है इसमें सारी खबरें नहीं हैं। दिल्ली के निर्वाचित उपमुख्यमंत्री और देश के तमाम जनप्रतिनिधियों में सबसे अच्छा काम कर रहे, पूर्व पत्रकार और गिनती के पढ़े-लिखे राजनेताओं में एक मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका फिर खारिज हो गयी क्योंकि ईडी ने इसका विरोध किया और दलील दी कि ट्रायल में देरी अभियोजन के कारण नहीं हो रही है बल्कि अभियुक्तों के कारण। इससे पहले ईडी ने किन मामलों में जमानत का विरोध नहीं किया उसकी खबरें सार्वजनिक हैं। मुझे नहीं पता कि जेल में रहकर भी अभियुक्त अगर जांच में देरी कर सकते हैं तो जेल में रखने की जरूरत ही क्या है? वैसे भी अभियुक्त कोई दुर्दांत अपराधी नहीं है, निर्वाचित जन प्रतिनिधि हैं और छोड़ दिया जाये तो जन सेवा ही करेगा और भाग जाने की आशंका नहीं के बराबर है। बाहर रहते हुए अच्छा काम कर रहे थे, उनपर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, सबूत नहीं है और मामला साबित तो नहीं ही हुआ है। तब यह दशा है, चुनाव के समय और जाहिर है यह सत्तारूढ़ पक्ष के इस दावे को मजबूत करता है कि वही ईमानदार हैं और दूसरे सब भ्रष्ट जबकि इलेक्टोरल बांड के जरिये वसूली और तमाम भ्रष्टाचारियों को पार्टी में शामिल करके उनके खिलाफ जांच रोक देने या ठंडे बस्ते में डाल दिये जाने के मामले अखबारों में छप चुके हैं।
ऐसे में टाइम्स ऑफ इंडिया का आज का शीर्षक सटीक है, ईडी का दावा सिसोदिया ट्रायल में देरी कर रहे हैं, हिरासत बढ़ाई गई। जाहिर है, व्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार का समर्थन कर रहा है या उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। कम से कम वैसी तो नहीं ही है जैसी विपक्षी नेताओं के खिलाफ हो रही है। अपनी पार्टी के चुनाव प्रचारक के रूप में प्रधानमंत्री तो लगभग बेलगाम हैं। आप कह सकते हैं, पहले की तरह। कल मैंने लिखा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र की खबर मेरे सात अखबारों में एक को छोड़कर सभी में पहले पन्ने पर थी। कारण कांग्रेस की मजबूती न हो तो घोषणापत्र के तथ्य या मजबूती ही होगी। यह खबर इंडियन एक्सप्रेस में लीड नहीं थी लेकिन पहले पन्ने पर थी और अमर उजाला में थी ही नहीं। आज लगभग एक शीर्षक से दोनों अखबारों में यह लीड है क्योंकि नरेन्द्र मोदी ने उसकी आलोचना की है। कायदे से नरेन्द्र मोदी को अपनी पार्टी के घोषणा पत्र की बात करनी चाहिये उसे अच्छा बताना चाहिये पर नरेन्द्र मोदी ने कहा है और इन दोनों अखबारों में लीड है। शीर्षक है (इंडियन एक्सप्रेस) कांग्रेस मैनिफेस्टो में मुस्लिम लीग की छाप है, प्रत्येक पन्ना देश तोड़ने का संकेत देता है : मोदी।
अमर उजाला में शीर्षक है, कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाप, बचे- खुचे पर वामपंथी हावी : मोदी। पीएम ने कहा – कांग्रेस के पास न देशहित की नीतियां हैं, न देश निर्माण का विजन। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को इस स्तर पर नहीं उतरना चाहिये। उन्हें बताना चाहिये कि भाजपा के पास क्या था और उसका क्या फायदा हुआ। आगे के लिए क्या है और उससे क्या फायदा होगा। कांग्रेस के घोषणापत्र में या कांग्रेस में या भाजपा अथवा उनके परिवार में क्या है वह किससे छिपा हुआ है। जो भी हो, बोलेंगे तो अखबारों की मजबूरी है। वैसे भी, खबर तो है ही। अमर उजाला ने आज कांग्रेस का पक्ष भी पहले पन्ने पर रखा है और राजस्थान में कांग्रेस की रैली की छोटी सी खबर मल्लिकार्जुन खरगे और सोनिया गांधी की फोटो के साथ है। मुकाबले में में खरगे पर शाह का निशाना जैसी खबरें भी हैं। पर उसे रहने देता हूं। आज यह खबर लगभग इसी शीर्षक से टाइम्स ऑफ इंडिया में भी लीड है। इंडियन एक्सप्रेस में फ्लैग शीर्षक है, अल्पसंख्यकों के लिए विपक्षी दलों के वायदे को निशाने पर लिया। अयोध्या में मंदिर समारोह से अलग रहने के लिए कांग्रेस की आलोचना की : क्या यह सही है? द टेलीग्राफ और नवोदय टाइम्स की लीड बंगाल में एनआईए पर हमले की खबर है।
स्पष्ट है कि नरेन्द्र मोदी हिन्दू-मुसलमान ही कर रहे हैं। अयोध्या पर कांग्रेस और राहुल गांधी का स्पष्ट बयान था और भाजपा की राजनीति भी स्पष्ट है। समस्या या सहयोग मीडिया का है जो चीजों को अक्सर भाजपा के नजरिये से परोसता है। और यही मेरा मुद्दा है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सोनिया गांधी ने कहा है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार विपक्ष को डरा रही है, उन्हें भाजपा में शामिल होने के लिए मजबूर कर रही है ….. लोकतंत्र खतरे में है। मुझे लगता है कि दोनों दल जब आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं तो दोनों बराबर हैं और लेवल प्लेइंग फील्ड की मांग पर सुनवाई नहीं है। इसलिए, दोनों खबरें बराबर में होनी चाहिये थी पर यहां नरेन्द्र मोदी ने जो कहा उसे मुख्य शीर्षक बनाया गया है और सोनिया गांधी ने जो कहा वह उसी का हिस्सा जैसा छाप दिया गया है। अगर आरोप भी देखें तो जो पार्टी 10 साल से सत्ता में नहीं है वह सत्ता में आने के लिए जो कर रही है वह ज्यादा महत्वपूर्ण न हो तो उसकी आलोचना कैसे महत्वपूर्ण हो सकती है? वैसे भी पार्टी अपनी बात खुद बतायेगी, पूछने वाले पूछ लेंगे या नहीं जानेंगे आप उसकी आलोचना क्यों कर रहे हैं, अपनी प्रशंसा कीजिये।
इसके अलावा आज की खबरों में प्रमुख है, राजनाथ सिंह ने कहा है कि राहुल गांधी भारतीय राजनीति के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर हैं। नवोदय टाइम्स ने इसे पहले पन्ने पर छापा है लेकिन राजनाथ सिंह से ही संबंधित एक महत्वपूर्ण खबर द हिन्दू में है। इसके अनुसार पाकिस्तान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एलओसी पार करने वाली टिप्पणी की आलोचना की है। श्री सिंह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, इस्लामाबाद में विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी आक्रामकता के खिलाफ अपनी रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। जहां तक देश-समाज के हालात से संबंधित खबरों का सवाल है नरेन्द्र मोदी ने दावा किया है और हिन्दुस्तान टाइम्स ने लीड का शीर्षक लगाया है, मैं मिशन पर हूं, विपक्ष कमीशन के पीछे :मोदी। कहने की जरूरत नहीं है कि अखबारों ने इलेक्टोरल बांड की खबरें ठीक से छापी होतीं तो मोदी जी यह दावा करने की स्थिति में नहीं होते। यह अलग बात है कि कोई और प्रधानमंत्री इस खुलासे के बाद शायद ही ऐसा दावा कर पाता। खबरों के मामले में अखबारों का यह हाल सिर्फ राजनीतिक खबरों के लिए नहीं है, अस्पतालों और थानों से मिलने वाली आम खबरें भी समय पर नहीं छपती हैं।
हाल समाज और खबरों का
हिन्दुस्तान टाइम्स ने दो अप्रैल की खबर को आज (7 अप्रैल को) पहले पन्ने पर छापा है और इसका मतलब यही है कि दूसरे अखबारों में पहले नहीं छपी होगी। मेरे सात अखबारों में पहले पन्ने पर तो नहीं ही था। खबर के अनुसार 14 साल के एक स्कूली बच्चे के साथ स्कूल में उसी के साथियों ने ऐसी हिंसा की कि न सिर्फ उसके गुप्तांगों में जख्म है बल्कि मलद्वार से छड़ी घुसाये जाने के कारण उसकी आंत में भी जख्म है। यही नहीं अभियुक्त ने पीड़ित को धमकी दी थी कि अगर उसने यह सब किसी को बताया तो उसकी बहन को नुकसान पहूंचाया जायेगा। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे और सत्ता में रहने के 10 साल बाद राजधानी दिल्ली में यह स्थिति है और बच्चा यह नहीं जानता है कि कोई जख्मी होगा तो मां-बाप को या घर वालों को पता चल ही जायेगा, ज्यादा बीमार होगा तो अस्पताल भी जायेगा और फिर कोई कैसे किसी को नहीं बतायेगा और वह कैसे बच पायेगा। देश का दुर्भाग्य है कि ऐसी खबर दिल्ली में इतनी देर से छपी। बच्चे तकलीफ देने के लिए मलद्वार में छड़ी डालना सीख जाते हैं पर यह नहीं जानते कि ऐसे अत्याचार छिपाये नहीं जा सकते हैं।
मुझे लगता है कि संदेशखाली मामले में जैसे अत्याचार का प्रचार किया गया उसी से लोगों की हिम्मत होती है कि ऐसी घटनाएं छिपाई जा सकती हैं। धमका देने से पीड़ित किसी को नहीं बतायेगा और बता भी देगा तो कुछ नहीं होगा। बच्चे इतना ही समझते हैं। बड़ों की तरह यह नहीं समझते कि मौके पर शिकायत करने से चुनाव लड़ने का टिकट मिल सकता है और चुनाव जीतने की संभावना बन सकती है। प्रचार और फोटो तो बोनस है। यही है आज की राजनीति का हासिल – अच्छा हो या बुरा। इसके साथ यह बोनस कि जो बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए जाना गया वह जेल में है। जमानत कानून के अनुसार ही मिलेगी। कोई राहत मुरव्वत नहीं मिलती। कभी-कभी अपराधियों को छोड़ने की जल्दी और बचाने का नशा जरूर होता है। यह अलग बात है कि इसके लिए खास पार्टी या धर्म का होना होता है। गजब का समय है। हमलोगों की किस्मत में था तो देख लिया। चाचा नेहरू की आलोचना वह कर रहा है जो टूएबी को एक्सट्रा समझता है और नाली के गैस से चाय बना सकता है।
बेरोजगारों की ठगी
इंडियन एक्सप्रेस में कुछ और खबरें हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इन दिनों सरकार के खिलाफ खबरें कुछ ही मीडिया संस्थान प्रकाशित कर पा रहे हैं। पोर्टल और सोशल मीडिया को काबू में रखने के तमाम उपाय है। मुख्यधारा के मीडिया में ज्यादातर सरकार के साथ है और उनपर लगातार दबाव है। इस कारण अब खबरें तो छोड़िये, फॉलो अप भी नहीं होता। देश में जो हाल है उसका पता ही नहीं चलता या कई अखबारों में कभी-कभी कुछ खबरें मिल जाती हैं। जैसे आज की एक खबर के अनुसार रोजगार तलाशने वाले भारतीय युवाओं को ठगने-लूटने वाला गिरोह दुनिया भर में सक्रिय हैं और शीर्षक के अनुसार उड़ीशा से कंबोडिया वाया वियतनाम एजेंट और ठगने-लूटने वालेकाम कर रहे हैं।
नवजातों की तस्करी
दूसरी खबर बीबीसी की है। आपको याद होगा कि नरेन्द्र मोदी पर फिल्म आने के बाद बीबीसी पर सरकारी एजेंसियों की कार्रवाई हुई थी। जवाब में या बचाव में बीबीसी ने भारत में न्यूजरूम को अलग कर दिया है और भारतीयों की एक कंपनी बनाई है जिसमें 26 प्रतिशत हिस्सा रखने के लिए आवेदन किया है। यह बीबीसी के दुनिया भर के परिचालनों में पहला है। अमर उजाला की खबरों के अनुसार,नवजातों के देशव्यापी तस्करी गिरोह का पर्दाफाष हुआ है। सीबीआई ने दिल्ली-हरियाणा में सात ठिकानों पर छापा मारकर तीन शिशु मुक्त कराये हैं। यह गिरोह बच्चे को चार से पांच लाख में बेचता था।