मीडिया को कंट्रोल में लेने के बाद केंद्र सरकार की नजरों में अब वो यूट्यूब चैनल खटक रहे हैं, जो उनकी हां में हां मिलाने की बजाए सवाल करते हैं या विपक्ष की आवाज बन रहे हैं. इस कड़ी में पहले बोलता हिंदुस्तान का चैनल बंद कराया गया और अब सूचना है कि नेशनल दस्तक नाम के चैनल को यूट्यूब ने नोटिस भेजा है. नेशनल दस्तक को यह नोटिस यूट्यूब को मिले सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा भेजे गए नोटिस के बाद भेजा गया है.
चैनल ने अपने एक्स हैंडल से पोस्ट कर लिखा है कि, “नेशनल दस्तक को बंद करवाना चाहती है सरकार. 3 अप्रैल को यूट्यूब ने नोटिस भेजा था. आर्टिकल 19 को भी नोटिस है. आचार संहिता में ये सब हो रहा है. लाखों अखबार टीवी न्यूज चैनल चल रहे. बहुजनों के नेशनल दस्तक से इतना डर.”
अजीत अंजुम ने लिखा है कि, “क्या मोदी सरकार अब ऐसे चैनलों को बंद कराना चाह रही है, जो उसके लिए तुरही नहीं बजाते हैं? सरकार के आदेश पर यूट्यूब ने BoltaHindustanYT को बंद कर दिया है. navinjournalist के आर्टिकल 19 को भी नोटिस मिला है. सरकार को अब इन आवाज़ों से इतनी दिक़्क़त है कि बंद कराने पर आमादा है?”
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार लिखते हैं, “चुनाव आयोग की प्रेस कांफ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ने बार-बार कहा था कि हमारा धर्म है लेवल प्लेइंग फील्ड सुनिश्चित करना. लगता है बस बोलने के लिए बोल गए. क्या उन्हें नहीं दिख रहा है कि किस तरह से लेवल प्लेइंग फील्ड ख़त्म की जा रही है. यहां तो प्रधानमंत्री अपने भाषण में फेक बातें बोल रहे हैं. कांग्रेस के मेनिफेस्टो को मुस्लीम लीग का बता रहे हैं. कोई कार्रवाई हुई? अरबों रुपये के गोदी चैनलों और एंकर काम नहीं आ रहे हैं क्या, जो इन आवाज़ों को बंद किया जा रहा है? नदी का पानी निकाल कर सूखे में तैरने की लड़ाई हो रही है. अख़बार चैनल सब बंद ही कर दीजिए। कुछ लोग भूखे भी मर जाएं. आजीविका पर प्रहार करने वाली ऐसी सरकार हमने देखी नहीं. आर्टिकल 19 को ही बंद करने का नोटिस आया है और नेशनल दस्तक को. इससे अच्छा होता कि हर वोटर के मुंह पर टेप लगा दिया जाता कि कोई बोले ही न.”