दैनिक जागरण पंजाब में इन दिनों खौफ का माहौल है। बताया जा रहा है कि पिछले छह महीनों से पंजाब सरकार ने दैनिक जागरण को ब्लैकलिस्ट कर रखा है। दैनिक जागरण को पंजाब सरकार से एडवर्टाइजमेंट नहीं मिल रहा।
चर्चा है कि सरकारी विज्ञापन न मिलने से अब तक दैनिक जागरण समूह को एक करोड़ का नुकसान हो चुका है।
इसके पीछे कारण ठीक से स्पष्ट तो कुछ नहीं है लेकिन बताया जा रहा है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के एक सांसद की मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत जीवन पर किसी टिप्पणी की खबर को बढ़ा-चढाकर पेश किए जाने से सरकार नाराज है।
यह मुद्दा लगातार जागरण की अंदरुनी बैठकों में भी उठ रहा है।
पंजाब सरकार को मनाने की कोशिशें भी फेल हो चुकी हैं।
संपादकीय विभाग से लेकर मैनेजमेंट के लोग इसमें कामयाब नहीं हो सके।
दैनिक जागरण पंजाब के एक सीनियर पदाधिकारी सरकार से विज्ञापन न मिलने की बात जागरण के मालिकों के संज्ञान में होने की बात कहकर खुद का पल्ला झाड़ लिया।
विज्ञापन न मिलने को दिल्ली से लगी खबर को जिम्मेदार ठहरा कर पूरा खेल घुमा दिया है।
यह बड़ा नुकसान है क्योंकि लाकडाउन में पंजाब सरकार ने सभी छोटे-बड़े अखबारों को एडवर्टाइजमेंट दिया लेकिन जागरण समूह को फूटी-कौड़ी नहीं मिली।
अब कमाई नहीं हो रही तो बड़े स्तर के लोगों की गलती की सजा देने के लिए निचले स्तर पर कर्मचारियों की लिस्टें बनाने को कह दिया गया है।
बताया यह भी जा रहा है कि पंजाब के मालवा में दैनिक जागरण के सात दफ्तर बंद करने के आदेश हो चुके हैं। अच्छा काम कर रहे बठिंडा जैसे शहर के दफ्तर को भी खर्चा बचाने के लिए छोटा किया जा रहा है।
बठिंडा इसलिए भी निशाने पर है क्योंकि यह पंजाब के वित्त मंत्री यहीं से विधायक हैं। यहां की रिपोर्टिंग से खफा होने के चलते वो एडवर्टाइजमेंट शुरू कराने की मिन्नतें किए जाने पर जागरण समूह के मैनेजमेंट और संपादकीय अधिकारियों के आगे बोगस खबरें छापने की बात कहकर कई बार एतराज जता चुके हैं।
कर्मचारियों में इस बात की मायूसी है कि वो कोरोना वायरस के समय भी दैनिक जागरण को अपने स्तर से एडवर्टाइजमेंट दे रहे हैं फिर भी बड़े स्तर की कमजोरी से नुकसान की गाज कंपनी उनके ऊपर गिरा रही है।
यह भी चर्चा है कि जिन लोगों की छंटनी की जानी है, उनको अब बड़े संपादकीय प्रभारी रोजाना की बैठकों में भी जलील करने लगे हैं। जल्द ही दैनिक जागरण पंजाब में बड़े स्तर पर छंटनी हो सकती है।