लखनऊ पुलिस का ढीठ और घटिया चेहरा एक बार फिर उस समय देखने को मिला जब सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर अपने पति आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर की एक एफआईआर लिखवाने थाना हजरतगंज गयीं. अमिताभ ठाकुर और लखनऊ निवासी आशुतोष पाण्डेय पिछले लगभग एक माह से एक ऐसे गैंग के संपर्क में हैं जिसके सदस्य खुद को भारतीय बीमा नियामक प्राधिकरण (आईआरडीए) के अफसर बता कर तमाम लोगों को फोन करते हैं और उनसे बीमा सम्बन्धी किसी भी समस्या का निदान करने का आश्वासन देते हैं. इसी दौरान ये लोग सम्बंधित व्यक्ति से किसी ना किसी बहाने पैसे ले लेते हैं तथा इनके पैन कार्ड, बैंक अकाउंट जैसे महत्वपूर्ण अभिलेख प्राप्त कर लेते हैं, जैसा इन दोनों के साथ भी प्रयास किया गया.
इन दोनों लोगों ने पूरा प्रयास कर इस गैंग के तमाम लोगों के फ़ोन नंबर, उनके लखनऊ स्थित एक साथी का नाम और फोन नंबर और उनका दिल्ली स्थित पता ज्ञात कर थाना हजरतगंज के लिए एफआईआर दिया जो डॉ ठाकुर थाने पर ले गयीं. थाने पर इन्स्पेक्टर ने मीटिंग के नाम पर मिलने से मना कर दिया और उपनिरीक्षक श्याम चन्द्र त्रिपाठी और अजय कुमार द्विवेदी से बात करने को कहा. इन दोनों पुलिसवालों ने पहले तो बहुत देर तक डॉ ठाकुर को बैठाये रखा और उनसे तमाम सवाल पूछे. जब डॉ ठाकुर ने उनके सवालों का उत्तर दे दिया और यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रार्थनापत्र के अनुसार ना सिर्फ संज्ञेय अपराध बनता है बल्कि इसका घटनास्थल भी हजरतगंज है तो उन दोनों ने सीधे-सीधे बदतमीजी की भाषा में कहा कि किसी भी कीमत पर एफआईआर दर्ज नहीं की जायेगी. जब डॉ ठाकुर ने कम से कम प्रार्थनापत्र रिसीव करने को कहा तो उन दोनों उपनिरीक्षक ने इसके लिए भी साफ़ इनकार कर दिया. डॉ ठाकुर ने इन्स्पेक्टर से बात करने की कोशिश की पर उन्होंने भी बात करने से मना कर दिया.
अब उन्होंने इस पूरी घटना का उल्लेख करते हुए एसएसपी लखनऊ को पत्र लिखा है और एफआईआर दर्ज कराने के साथ गलत आचरण के लिए जिम्मेदार दोनों उपनिरीक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की भी मांग की है. उनका कहना है कि यदि एसएसपी ने मामले में कार्यवाही नहीं की तो यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण होगा.
इस पूरे प्रकरण पर आईपीएस अधिकारी Amitabh Thakur ने फेसबुक पर लिखा- ”हम सब मिल कर एक ऐसी व्यवस्था अवश्य बनाएंगे जिसमे थाने को प्रत्येक एफआईआर तो दर्ज करना ही पड़ेगा.”
Nutan Thakur फेसबुक पर लिखती हैं: ”यूपी के डीजीपी कहते हैं कि हर प्रार्थनापत्र रिसीव हो, हर एफआईआर दर्ज हो. प्रदेश के राजधानी के सबसे वीआईपी इलाके हजरतगंज के दो दरोगा ने मेरा एफआईआर नहीं लिखा, प्रार्थनापत्र तक लेने से मना किया, मैंने एसएसपी लखनऊ को शिकायत की है. देखती हूँ डीजीपी की बात सही साबित होती है या दरोगा की. अपने लिए नहीं पर एक नजीर के लिए जब तक मैं हजरतगंज के उन दो दरोगा श्याम चन्द्र त्रिपाठी और अजय कुमार द्विवेदी, जिन्होंने मेरा एफआईआर लेने तक से मना किया और इस प्रक्रिया में अभद्रता भी की, को नियम से दण्डित नहीं करा दूंगी तब तक मैं चैन से नहीं बैठूंगी. हजरतगंज थाने के जिन दो दरोगाओं ने मेरा प्रार्थनापत्र लेने से इनकार किया और मेरे साथ अकारण बदतमीजी की, यदि एसएसपी लखनऊ ने उनके खिलाफ एक सप्ताह में जांच कर कार्यवाही नहीं की तो मैं यह मानने को मजबूर हो जाउंगी कि इनके लिए एसएसपी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं.”
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