दिल्ली : भास्कर की धोखेबाजी को अंजाम तक पहुंचाने के लिए उसके वकील सचिन गुप्ता ने गत दिनो एक नायाब चाल चली। उसने एक ऐसे पेपर मीडियाकर्मियों से हस्ताक्षर कराने का प्रयास किया, जिसमें कर्मचारियों को उद्धृत किया गया था कि उन्हें मजीठिया वेतनमान मिल चुका है। षड्यंत्र की भनक लगते ही सभी कर्मचारियों ने एकजुट होकर वकील को खरी-खोटी सुनाते हुए दफ्तर से बैरंग लौटा दिया।
सूत्रों के मुताबिक गत दिवस भास्कर के वकील सचिन गुप्ता दबे पांव सुनियोजित तरीके से अखबार के दफ्तर पहुंचे। उनके पास कुछ ऐसे पेपर थे, जिन पर भास्कर कर्मी यदि गुप्ता की योजना के मुताबिक साइन कर देते तो कोर्ट में दिखाने के लिए ये पेपर एक बड़ा हथियार बन जाते। ये हस्ताक्षरित पेपर अदालत में इस बात की चुगली करने में कामयाब हो जाते कि भास्कर कर्मियों को तो मजीठिया वेतनमान मिल चुका है। देखिए, इन पेपरों पर उन्होंने इसकी हामी भी भर दी है, यानी उन्होंने मजीठिया वेतनमान मिल जाने की आत्मस्वीकृति भी जता दी है।
बताया जाता है कि वकील गुप्ता की ओर से प्रस्तुत हथकंडे वाले इस पेपर पर सबसे पहले दिल्ली भास्कर के संपादक ने हस्ताक्षर किया, ताकि इसके बाद अन्य कर्मी खुद दबाव में, अपने सीनियर का लिहाज करते हुए फटाफट हस्ताक्षर कर देंगे और फिर तो पक्का साजिश परवान चढ़ जाएगी। साजिश करने वालों की समझ का स्तर तो देखिए। पता नहीं वैसे कैसे मान बैठे कि पढ़े-लिखे कर्मचारी ऐसे आत्मघात के लिए तैयार हो जाएंगे। संपादक ने तो साइन कर दिया लेकिन प्रबंधन की ये नादानी भरी कोशिश उस समय फुस्स हो गई, जब कर्मचारियों ने एकजुट होकर प्रस्ताव टके से जवाब के साथ ठुकरा दिया।
कर्मचारियों का कहना था कि वे जिंदा मक्खी कभी निगल सकते हैं। प्रबंधन चाहे जितने तरह के दुष्प्रयास कर डाले। वे निष्कासन, न तबादलों के उत्पीड़न से अब डरने वाले हैं। जब मजीठिया वेतनमान मिला ही नहीं, तो वे इन पेपरों पर साइन क्यों करें? बताया जाता है कि वकील और संपादक ने कर्मचारियों को नौकरी ले लेने की धमकी तक दे डाली। आखिरकार मुंह लटकाकर वकील को अपनी टीम के साथ बैरंग लौटना पड़ा।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित