जयपुर : चुनाव हारने के बाद कॉंग्रेसी विधायकों और गहलोत के कोर ग्रुप में यह आमधारणा है कि गहलोत की चुनावी हार में एक बहुत बड़ा कारण उनके पाउरफुल OSD शशिकांत शर्मा का रहा है।
बड़ी संख्या में काँग्रेस के हारे हुए विधायकों ने गहलोत तक यह बात पहुंचाई है कि शशिकांत ने कभी उन लोगों को गहलोत से मिलने नहीं दिया और विधानसभा क्षेत्रों का सही फीडबैक गहलोत तक नहीं पहुँचाने दिया।
गौरतलब है कि गहलोत सरकार के 5 वर्षों में शशिकांत ही गहलोत के सर्वेसर्वा थे। उनकी बिना इजाजत के विधायक, उधयोगपति या बड़ा पत्रकार गहलोत से नहीं मिल सकता था। शशिकांत ने हमेशा दिल्ली के पत्रकारों को प्राथमिकता दी, उन्हें करोड़ों रुपये बांटे और राजस्थान के पत्रकारों की पूरे तौर पर उपेक्षा की।
सूत्रों के अनुसार एक बड़ी संख्या में काँग्रेस विधायकों और गहलोत के करीबी लोगों ने गहलोत को यह सलाह दी है कि वे इन्हें यहाँ से हटा कर वापस दिल्ली भिजवा दें। सूत्रों के अनुसार गहलोत खुद भी अब इस प्रस्ताव पर गंभीरता पूर्वक विचार कर रहे हैं। दूसरी ओर चुनावी चंदे को लेकर शशिकांत पहले से ही ED के राडार पर चल रहे हैं।
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार करीब एक माह पहले ईडी को शशिकांत हस्तलिखित एक पर्ची हाथ लगी। इस पर्ची में 45.15 करोड़ के लेनदेन का विस्तृत ब्यौरा अंकित है। इस पर्ची में प्रमुख रूप से दो व्यक्तियों से लेनदेन का उल्लेख है। एक आरके मार्बल के अशोक पाटनी और दूसरा खान मंत्री प्रमोद जैन भाया।
ईडी सूत्रों के मुताबिक शशिकांत ने पर्ची में दर्ज किया है कि इन दोनों के अलावा कुछ अन्य लोगो से चंदे के रूप में 45.15 करोड़ रुपये नकद प्राप्त किये जो सीएम अशोक गहलोत को दिए गए है।