मुंगेर। विश्वबैंक की नज़र गंगा की कमाई पर है, जबकि गंगा माई किसानों, मछुआरों के साथ गंगा तट पर बसे लोगों की जीविका का आधार है। गंगा के नाम पर वोट तो बटोरे गये, लेकिन सत्ता के गलियारें में पहुंचते ही वोट मांगने वाले गंगा को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले करने पर अमादा हैं। आज जिस तरह प्राकृतिक संसाधनों पर से आम लोगों का हक छिनता जा रहा है, उस स्थिति में मीडिया एक्टिविस्ट की भूमिका अदा करनी होगी। ये उद्गार मैग्सेसे एवार्ड से सम्मानित राजेन्द्र सिंह ने सूचना भवन, मुंगेर में मुंगेर पत्रकार समूह द्वारा ‘प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को रोकने में मीडिया की भूमिका’ पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि गंगा पर बैराज बनाने के लिये विश्व बैंक की मदद से 300 करोड़ का डीपीआर बनाने की घोषणा की गई है। यह अच्छा है या खराब? उन्होंने कहा कि फरक्का पर बैराज बनने का हश्र क्या हुआ, इससे सब वाकिफ हैं। जब 16 बैराज बनेंगे तो स्थिति और खराब होगी। गंगा को लेकर सरकार की दो योजनाएं हैं। 3900 करोड़ की नमामि गंगा योजना और 5900 करोड़ की गंगा यातायात योजना। उन्होंने कहा कि गंगा में बड़े पोत चलाना किसी भी कीमत पर लाभकारी नहीं है।
उन्होंने मुंगेर के जिले के अधिकारियों और पत्रकारों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि मुंगेर में गंगा से जुड़े तीन अहम् सवाल हैं। यहां गंगा का क्षेत्र 16 किलोमीटर लंबा है। जिला पदाधिकारी गंगा के तट पर हो रहे अतिक्रमण को रोकें। मीडिया राज और समाज को जोड़ने की कड़ी है। मीडिया का दायित्व है कि विस्थापन कैसे रूके, इसके लिये लोगों को जागरूक करे। आंकड़ों की जुबानी उन्होनं कहा कि आजादी के समय देश के 232 गांवों में पानी नहीं था, लेकिन आज 2 लाख 56 हजार गांवों में पानी नहीं है। देश को खाद्य सुरक्षा से ज्यादा जल सुरक्षा की जरूरत है। शहर का गंदा पानी गंगा में नहीं जाए, गंगा को लक्ष्य बनाकर गंगा की अविरलता के लिये काम करें।
संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मुंगेर के जिलाधिकारी अमरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि आम जनमानस को जागृत करने में मीडिया की अह्म भूमिका है। प्रकृति के शोषण ने पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ दिया है, जिसके दुष्परिणाम दिखाई दे रहे हैं। जलपुरूष जैसे इस अभियान में लगे है, उसी तरह इसमें सबकी सहभागिता जरूरी है।
इसके पूर्व विषय प्रवेश कराते हुए वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन देश के करोड़ों लोगों की जीविका का आधार हैं। पूंजीपतियों और कारपोरेट द्वारा यह आधार भी छीना जा रहा है। गलत विकास नीति के कारण आज का मोल घट रहा है। गंगा का बेसिन 11 राज्यों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में 40 फीसदी आबादी रहती है। उत्तराखंड से लेकर फरक्का तक 600 बांध बन रहे हैं या बनने की योजना है। ये जहां गंगा की अविरलता को नष्ट कर रहे है, वहीं मौत की इबारत लिख रहे हैं।
मुंगेर कृषि वैज्ञानिक रामगोपाल शर्मा ने कहा कि बहुफसलीय प्रणाली की तकनीक अपना कर हम जल के दोहन को रोक सकते है। नबार्ड के जिला विकास प्रबंधक शीतांषु शेखर ने कहा कि जलपुरूष प्रेरणा स्त्रोत हैं। इसमें मीडिया को सकारात्मक भूमिका अदा करनी होगी।
संगोष्ठी को रामबिहारी सिंह, चंद्रशेखरम्, ग्रीन लेडी जया देवी, अवधेश कुमार, किशोर जायसवाल, नरेशचंद्र राय, इम्तियाज, अरूण कुमार शर्मा, सज्जन कुमार गर्ग, सुनील सोलंकी, रंजीत कुमार, सुनील कुमार सिंह, सुनील जख्मी, मनीश कुमार ने संबोधित किया।
संगोष्ठी का समापन करते हुए जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ज्ञानेश्वर प्रकाश ने कहा कि मीडिया के किया गया यह सार्थक पहल है। जनसंपर्क का मुख्यकाम संवाद कायम करना और कायम करने में मदद के साथ साथ जन सामान्य की प्रतिक्रिया से वाकिफ कराना है।
anuj kumar
November 30, 2014 at 7:35 am
aesa kam agr kisi bhi parti ya smuh ne ki to hm reporter khul kr birodh krenge.