जिंदगी के कैसे-कैसे रंग दिखाती है यह कमबख्त फेसबुक। अभी थोड़ी देर पहले विदेश में रहने वाले फेसबुक मित्र राजीव जजवालिया का संदेशा आया। कैसे आरा शहर की एक लड़की अपने सपनों को पूरा करने के वास्ते शहर का रुख करती है। महुआ टीवी में नौकरी मिलती है..ख्वाबों को पर लग जाते हैं..। उगते परों को पहचान शातिर पत्रकार करीब आता है..दोस्त बन सहलाता है। फिर ले उड़ता है। दो साल तक यह लड़की बहेलिए पत्रकार की बाहों में झूलती हुई कुछेक भोजपुरी फिल्मों में छोटे मोटे काम भी करती है। रंगीन दुनिया में अपने वजूद को तलाशती हुई बेफिक्र रहती है..क्योंकि हमदर्द बहेलिया जो साथ था..
फिर एक रोज..सच्चाई सामने आती है। यह बहेलिया तो शादीशुदा है। देह को नोंच लड़की को चट्टानों पर फेंक शातिर बहेलिया निकल पड़ता है, अगले शिकार के लिए। टीवी और ग्लैमर की दुनिया में….जहां भरपूर शिकार हैं.. और वो लड़की कोलकाता में किराए का एक कमरा लेकर फिर खुद को बांध रही है। अब टॉलीवुड में रोज तो काम मिलता नहीं..जिंदगी का संघर्ष अब ख्वाबों की राह पर नहीं, पेट भरने की कीमत पर आ टिका है। फोन पर बात की तो.. रोटी बना रही थी। आखिर पेट भी तो भरना है ना…?
आखिर यह लड़की नाइंसाफी के खिलाफ क्यों नहीं जंग लड़ती..? वही मां-बाप-भाई सभी एकजुट होकर चेतावनी दे रहे हैं, ल़़ड़ी तो हम साथ ना देंगे और हमारी बदनामी हुई तो कोई वास्ता ना रखेंगे। सच बड़ा कठिन वक्त होता है. जब छले हुए इंसान का साया भी साथ छोड़ देता है… दोस्त ने कहा था. आप आवाज उठाएं और मैं कहता हूं कि आवाज उठाया भी तो क्या..? फिर वही द्रोपदी का कथन, जो वो सब पुत्रों के मृत्यु पर कृष्ण से पूछती है.. “औरत सब की होती है.उसका कोई क्यों नहीं होता..?” हे भारत की नारियों.. आने वाली पीढ़ियों को सिखाओ कि कैसे खेला जाता है पुरुषों के साथ… अब मत सिखाओ वो नैतिकता के पाठ.. मत बताओ कि टिकी है धरती तुम पर..
सुमंत भट्टाचार्य के एफबी वाल से
Nauthanii
July 25, 2015 at 6:56 pm
IBN men bhi ek senior abhi ladki ke sath bathroom men pakda gaya. Yahan channel ko chamkane aaya tha