सेव दि हिमालय फाउंडेशन के चंडीगढ़ चैप्टर ने जारी की जल संकट की चेतावनी, पर्यावरणविदों ने ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते प्रभावों पर चिंता व्यक्त की, लेह में आयोजित हुआ हिमालयी पर्यावरण पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
चंडीगढ़ : पर्यावरणविदों के एक वैश्विक समूह ने ग्लोबल वार्मिंग के चलते संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में जल संकट की गंभीर स्थिति की चेतावनी जारी की है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। यदि हालात में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, तो अगले 25-30 वर्षों में हिमालय के सभी ग्लेशियर पिघल कर समाप्त हो जायेंगे जाएंगे। इससे पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पानी का संकट खड़ा हो जायेगा और तापमान में भी भारी वृद्धि होगी, जो जीवन के लिए खतरनाक होगी।
‘हिमालय के पर्यावरण एवं इको-सिस्टम की समस्या पर लेह-लद्दाख में हाल ही में संपन्न एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में खतरे की खंटी बजा दी गयी, जब विशेषज्ञों ने 30 वर्षों में पानी समाप्त होने की चेतावनी जारी कर दी, ‘ सेव दि हिमालय फाउंडेशन (एसएचएफ-चंडीगढ़) के महासचिव नरविजय यादव ने कहा।
राजेश पटेल, निदेशक, गोल्डनमाइल्स लर्निंग, मुंबई, जो लद्दाख के ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, ने प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के प्रति संतुलित दृष्टिकोण रखने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘हमने प्राकृतिक संसाधनों को समाप्त कर दिया है और अब पृथ्वी को वो सब वापस देने का समय आ गया है जो धरती से हमने लेकर समाप्त भी कर दिया है।’
बिनोद चौधरी, जो नेपाल के एकमात्र अरबपति हैं और फोर्ब्स की दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हैं, ने हिमालय के पर्यावरण को बचाने की मुहिम को अपना पूर्ण समर्थन देने की पेशकश की। एसएचएफ के संरक्षक के रूप में, श्री चौधरी ने नवंबर 2020 में नेपाल में सेव दि हिमालय फाउंडेशन का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किये जाने की घोषणा की।
विशेषज्ञों ने पर्यावरण संकट की गति धीमी करने के तरीके भी सुझाए, जैसे कि आधी बाल्टी पानी से स्नान करने की आदत डाली जाये। भोजन, पानी और ऊर्जा का अपव्यय रोका जाये। इसी तरह, चीजों के दोबारा इस्तेमाल और रिसाइकल करने पर जोर दिया जाये।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की थीम थी- ‘विश्व शांति, गांधी की 150 वीं जयंती, और हिमालय की सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत का संरक्षण’ । विश्वविख्यात बौद्ध गुरु, भिक्खू संघसेना, संस्थापक अध्यक्ष, दि हिमालय फाउंडेशन, ने भी सभी लोगों से प्राकृतिक संसाधनों का बुद्धिमानी से और संतुलित उपयोग करने की अपील की।
उद्घाटन कार्यक्रम केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह के आचार्य नागार्जुन सभागार में आयोजित किया गया था। हालांकि, अगले दिन के तकनीकी सत्र महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर, चोगलामसार, लेह में आयोजित हुए।