ये कैसी पत्रकारिता… खबर में अधिकारियों का गुणगान… फरियादी की पीड़ा को स्थान नहीं…
रामजी मिश्र ‘मित्र’
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले की महोली तहसील का समाधान दिवस एक भद्दा मजाक बनकर सामने आया है। इस दिन महोली की पत्रकारिता का गिरता स्तर खुलकर सामने आया। एक तरफ मोदी और योगी जहाँ देश और प्रदेश को सुधारने में लगे हैं वहीं महोली उलटे रास्ते पर चलता जा रहा है। महोली में उपजिलाधिकारी अतुल प्रकाश श्रीवास्तव की दबंगई लोगों को दिन रात दर्द दे रही है। लेकिन यहां के अखबार हैं कि अधिकारियों के गुण गाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
पांच मई को महोली में समाधान दिवस का आयोजन किया गया। समाधान दिवस में अधिकारी नेता सब भाषण देकर जनता को मुग्ध करने में लग गए। इसी बीच एक फरियादी को देखते ही महोली तहसील के उपजिलाधिकारी अपना आपा खो बैठे। राजेश मिश्र निवाशी रिछोना पोस्ट तिहार थाना इमलिया सुल्तानपुर अपनी ज़मीन सम्बंधित शिकायत लेकर बड़ी उम्मीदों से समाधान मेले में आये थे। जब वो अपनी शिकायत लेकर जिलाधिकारी व विधायक महोदय की तरफ बढे तो एसडीएम महोली अतुल प्रकाश श्रीवास्तव ने पीड़ित को देखते ही उसकी तरफ बढ़कर उसके साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए उसको मंच से नीचे धक्का दे दिया। वहां मौजूद जिलाधिकारी महोदया ने तत्काल हस्तक्षेप करने के बजाय वहां से चुपचाप खिसकना उचित समझा।
वैसे एसडीएम महोदय के लिए ये कोई नई बात नहीं है। मीडिया हो या आम जनता या कोई कर्मचारी, बेइज्जती करना एसडीएम साहब की आदत में शुमार है। अतुल प्रकाश ने फरियादी का गिरेबान पकड़ लिया। उसे बेइज्जत किया जाता रहा। स्वयं जिलाधीकारी महोदया भी उक्त मामले में मूकदर्शक और तमाशबीन बनी रहीं। बौखलाए एसडीएम ने फरियादी के खिलाफ मुकदमा लिखवाने में जुट गए। फरियादी की मानें तो वह जिस फरियाद को लेकर आया था, उस मामले में एसडीएम महोली से पहले भी शिकायत कर चुका था। एस डी एम ने कहा था कि जब तक वह रहेंगे, उसका काम नहीं होने देंगे।
उपजिलाधिकारी उस पर मुकदमा भी दर्ज कराना चाह रहे थे लेकिन इस बात पर मौजूद विधायक शशांक त्रिवेदी ने हस्तक्षेप किया और फरियादी मुकदमा में फंसने से बच गया। मीडिया कर्मियों ने उस फरियादी से काफी पूछताछ की। लेकिन खबर में किसी ने इसका उल्लेख नहीं किया। 5 मई को हुआ यह समाधान दिवस 6 मई को तमाम अखबारों की सुर्खियाँ बना लेकिन अखबार अधिकारियों की प्रशंसा में रंगे थे। न तो उपजिलाधिकारी अतुल कुमार श्रीवास्तव का यह कोई नया रवैय्या है और न यहाँ के पत्रकारों का। इससे पहले भी अतुल कुमार श्रीवास्तव ने एक रिटायर फौजी को पीटा था और उन्होंने खुद स्वीकारा भी था लेकिन विडम्बना देखिये उस समय भी अखबारों की सुर्खियाँ थी- “महोली उपजिलाधिकारी पर अभद्रता का आरोप लगाकर काटा हंगामा।” यानि खबर उलटी छाप दी गई।
इससे पहले भी उक्त एसडीएम ने कई लोगों को मारापीटा और बेइज्जत किया है लेकिन महोली के कुछ पत्रकारों ने हमेशा अधिकारी की पूरी मदद दी। इनका खुले कंठ से खबरों द्वारा गुणगान किया। ताजी घटना ढेर सारे लोगों के सामने हुई इसलिए लोगों ने उसकी रिकार्डिंग कर ली थी। नतीजन कुछ टीवी चैनलों ने इसका प्रसारण कर दिया। इसके बाद खबर दबाने वाले पत्रकार मुंह लटका के रह गए। पूरी घटना पर डीएम ने अपने बिगड़ैल अधिकारी को हिदायत दी कि दुबारा ऐसा न करें। इस हिदायत को दैनिक जागरण ने अगले दिन छोटे से कॉलम में जगह दी। यह सनकी टाइप उपजिलाधिकारी हर प्रकरण पर सिवाय लीपा पोती के अब तक कुछ नहीं कर रहा। इसकी वजह स्थानीय कुछ पत्रकार हैं। पता चला है कि उपजिलाधिकारी की तरफ हो चुके पत्रकार अब फरियादी के खिलाफ खबर लिखकर अपनी निष्ठा दिखाने की फिराक में हैं। देखें वीडियो…
सीतापुर से रामजी मिश्र ‘मित्र’ की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]