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‘दृष्टांत’ मैग्जीन के सम्पादक अनूप गुप्ता को अपनी हत्या की आशंका

मैं पिछले लगभग डेढ़ दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़कर दस्तावेजों के साथ भ्रष्टाचार की पोल खोलता आ रहा हूं। पिछले कुछ समय से मैंने तथाकथित भ्रष्ट नौकरशाही से लेकर लखनऊ की भ्रष्ट पत्रकारिता के खिलाफ अभियान सा चला रखा है। परिणामस्वरूप मेरी मिशन पत्रकारिता को चोट पहुंचाने की गरज से विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित करने का दौर जारी है। किसी ने मुझे जान से मारने की धमकी दी तो किसी ने मेरी पत्रकारिता को चुनौती देने की कोशिश की। हास्यासपद पहलू यह है कि मुझे चुनौती देने वाले वे पत्रकार हैं जिनका लेखन कार्य से दूर-दूर का रिश्ता नहीं रह गया है। अभी हाल ही में मेरी पत्रिका के ‘शीर्षक’ को भी चुनौती दी गयी। 

मैं पिछले लगभग डेढ़ दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़कर दस्तावेजों के साथ भ्रष्टाचार की पोल खोलता आ रहा हूं। पिछले कुछ समय से मैंने तथाकथित भ्रष्ट नौकरशाही से लेकर लखनऊ की भ्रष्ट पत्रकारिता के खिलाफ अभियान सा चला रखा है। परिणामस्वरूप मेरी मिशन पत्रकारिता को चोट पहुंचाने की गरज से विभिन्न तरीकों से प्रताड़ित करने का दौर जारी है। किसी ने मुझे जान से मारने की धमकी दी तो किसी ने मेरी पत्रकारिता को चुनौती देने की कोशिश की। हास्यासपद पहलू यह है कि मुझे चुनौती देने वाले वे पत्रकार हैं जिनका लेखन कार्य से दूर-दूर का रिश्ता नहीं रह गया है। अभी हाल ही में मेरी पत्रिका के ‘शीर्षक’ को भी चुनौती दी गयी। 

मैं यहां पर यह बताना जरूरी समझूंगा कि मायावती शासन के दौरान जिस तरह से नवनीत सहगल ने पूरे उत्तर प्रदेश को लूटा है और आज भी लूट रहा है, उसके खिलाफ जब मैंने दस्तावेज सहित खुलासे किये तो नवनीत सहगल मुझे रौंदने पर उतारू हो गया और मेरे मैगजीन के टाईटल को कैंसिल कराने पर उतारू हो गया। दूसरी तरफ लखनऊ की पत्रकारिता में नवनीत सहगल के टुकड़ों पर पलने वाले तथाकथित पत्रकारों ने भी मेरे खिलाफ एक अभियान सा चला रखा है। आश्चर्य तब होता है जब वे पत्रकार मेरी खिलाफत में नजर आते हैं जो कभी मेरे साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने की कसमें खाया करते थे। इसे पत्रकारिता जगत का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या कहा जायेगा। पत्रकारों की यह लॉबी अपने कथित आका के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की गरज से मुझे चुनौती दे रहे हैं। मैं अब डंके की चोट पर कहता हूँ की नवनीत सहगल के द्वारा जो उत्तर प्रदेश को बेरहमी से लूटा गया है उसकी परत दर परत खुलासे करता रहूँगा। इसके लिए मुझे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। मैं इसके लिए मानसिक रूप से तैयार भी हूँ। मैं किसी भी कीमत पर मिशन पत्रकारिता की आबरू नहीं लुटने दूंगा। ये मेरा दृढ संकल्प है। मैं एक कथित लुटेरे नौकरशाह के सामने मिशन पत्रकारिता को झुकने नहीं दूंगा।

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साथियों सत्य के इस संघर्ष में यदि मेरी हत्या होती है, जैसा कि मुझे आशंका है। इसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ नवनीत सहगल होंगे। साथियों यदि मेरी हत्या होती है तो मेरी इस मेल को एफ.आई.आर. माना जाए। साथियों इस सन्दर्भ में मैंने अपनी हत्या की आशंका से सम्बन्धित एक शिकायती पत्र यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित समस्त जिम्मेदार अधिकारियों को पहले ही भेज दिया है। इसकी प्रतिलिपि मैंने मुख्य सचिव (उत्तर प्रदेश शासन), गृह विभाग (उत्तर प्रदेश शासन), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (लखनऊ) सहित प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री कार्यालय भी भेज दिया है।

अनूप गुप्ता
सम्पादक
‘दृष्टांत’
दिनांक: 30 मार्च 2015
समय 12 बजकर 20 मिनट

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