न करेंगे और न किसी को करने देंगे, विधानभवन के प्रेस-रूम में पुरानी समिति की करतूतों पर पत्रकारों का आक्रोश, उप्र अगले महीने संपन्न होंगे उप्र मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव
लखनऊ : राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव पिछले तीन बरस से न होने से खफा पत्रकारों ने आज विधानभवन के प्रेस-रूम में एक बैठक कर अपना जमकर आक्रोश व्यक्त किया। विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रेस रूम में जुटे भारी तादात में मौजूद इन पत्रकारों ने तय किया कि चूंकि चूंकि मान्यता समिति पूरी तरह अवैध, असंवैधानिक और अराजक लोगों के हाथ की कठपुतली बन चुकी है, इसलिए अब जरूरी है कि इस समिति का तत्काल चुनाव करा लिया जाए ताकि समिति को सही और जायज लोगों के हाथों तक सौंपा जा सके। बहरहाल, इस बैठक में पांच सदस्यीय चुनाव समिति का गठन तय हो गया।
बाद में चुनाव समिति ने ऐलान किया कि उप्र मान्यताप्राप्त संवाददाता समिति का चुनाव अगले महीने के पहले सप्ताह तक संम्पन्न हो जाएंगे। समिति की आम सभा की बैठक में आज विधान भवन स्थिति प्रेस रूम कक्ष में हुई। पत्रकारों से खचाखच इस बैठक में सर्व-सम्मति से पांच सदस्यीय चुनाव समिति का गठन किया गया। इस समिति में शिवशंकर गोस्वामी, विजयशंकर पंकज, किशोर निगम, संजय राजन और मनोज छाबड़ा को सर्वसम्मति से नामित किया गया है।
चुनाव समिति की बैठक में तय किया गया की समिति की कार्यकारिणी का नया चुनाव अगले एक महीने के भीतर ही संम्पन्न करायेगी। हालांकि समिति की बैठक के ठीक बाद चुनाव समिति के विजय शंकर पंकज ने बताया कि यह समिति उप्र मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति क़ी कार्यकारिणीं का चुनाव सितम्बर-15 के पहले हफ्ते के भीतर ही संम्पन्न कर देगी। चयन समिति ने आज देर शाम तक समिति के नए चुनावों को लेकर गहन चर्चा और चुनाव संबंधी अनेक आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया। उधर जैसे ही प्रेस रूम में आयोजित उस बैठक की खबर हेमंत तिवारी और सिद्धार्थ कलहंस आदि को मिली, हेमंत-कलहंस ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए इस बैठक को निरस्त करार दे दिया।
कहने की जरूरत नहीं कि यह हेमंत-कलहंस का यह बयान आज हुई हंगामी बैठक से तिलमिलाते हुए ही जारी किया गया है। आपको बता दें कि समिति का कार्यकाल केवल दो साल का ही था, लेकिन अवैधानिक और गैरकानूनी तरीके से हेमन्त तिवारी और कलहंस ने उस समिति को जबरिया अपने कब्जे में रखने का हरचंद कोशिश की है। इस गुट का मानना है कि कैसे भी हो, इस चुनाव को लगातार टालते ही रखा जाए। जबकि इस हेमंत-कलहंस की जोड़ी की करतूतों को लेकर पत्रकार बुरी तरह भड़के और नाराज हैं। उनका कहना है कि हेमंत-कलहंस की यह करतूत आम पत्रकारों के गुस्से में घी डाल कर उसे भड़काने वाली है।
बहारहाल, हेमंत-कलहंस ने इस बयान में कहा है कि समिति का चुनाव कराने की यह कवायद एक फर्जी और भ्रामक सूचना है। जिसमे उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति का एक फर्जी ई-मेल आईडी का भी इस्तेमाल किया गया है। ऐसी कोई बैठक समिति की ओर से बुलाई ही नहीं गयी थी और न ही चुनाव के लिए किसी को अधिकृत किया गया है। केवल मुट्ठी भर लोगों के साथ बैठ कर कोई ऐलान कर देना आम सभा का अपमान है. हैरत की बात है कि तीन साल होने जाने के बावजूद चुनाव न करके हेमंत-कलहंस जोड़ी अब खुद को चुनी गयी समिति चुनाव और नयी कार्यकारिणी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर आम सभा के सभी लोगों और खास कर नए सदस्यों की राय जानना चाहने का पाखंड कर रही है।
केवल दलाली के बल पर आकण्ठ में डूबी इस जुगुलबंदी का दावा है कि समिति की कार्यकारिणी के 12 सदस्य इस मामले में अनौपचारिक बैठक कर पत्रकारों के हितों के लिए हो रहे कामों की समीक्षा व प्रगति पर चर्चा कर चुके हैं. समिति के प्रयासों से सभी मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए मेडिकल बीमा, दुर्घटना बीमा, समूह बीमा व पेंशन जैसे महत्वपूर्ण काम प्रदेश शासन में परिक्षण का स्तर पूरा कर चुके हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इसकी स्वीकृत मिल जाएगी. राज्य के मान्यता प्राप्त पत्रकार देश के सात राज्यों की तरह इस तरह की सुविधा पहली बार पा सकेंगे. हैरत की बात है कि बिलकुल दलाली और निरकुंश बन चुकी अवैध समिति की हेमंत-कलहंस की जोड़ी अब उन पत्रकारों पर लांछन डाल रही है, जो इस अवैध समिति को खारिज कर नये तरीके से एक जिम्मेदार समिति का चुनाव कराने की पैरवी कर रहे हैं।
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार कुमार सौवीर के फेसबुक वॉल से.
Comments on “यूपी मान्यताप्राप्त पत्रकार समिति : तीन बरसों से कुंडली मारे बैठे हैं, विरोध हुआ तो भड़क गये हेमंत और कलहंस”
तीन बरसों से कुंडली मारे बैठी पुरानी उप्र मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति पर पत्रकारों का आक्रोश
लखनऊ : राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के चुनाव अगले महीने संम्पन्न होंगे। समिति की आम सभा की बैठक में आज विधान भवन स्थिति प्रेस रूम कक्ष में हुई। पत्रकारों से खचाखच इस बैठक में सर्व-सम्मति से पांच सदस्यीय चुनाव समिति का गठन किया गया। इस समिति में शिवशंकर गोस्वामी, विजयशंकर पंकज, किशोर निगम, संजय राजन और मनोज छाबड़ा को सर्वसम्मति से नामित किया गया है। चुनाव समिति की बैठक में तय किया गया की समिति की कार्यकारिणी का नया चुनाव अगले एक महीने के भीतर ही संम्पन्न करायेगी। हालांकि समिति की बैठक के ठीक बाद चुनाव समिति के विजय शंकर पंकज ने बताया कि यह समिति उप्र मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति क़ी कार्यकारिणीं का चुनाव सितम्बर-15 के पहले हफ्ते के भीतर ही संम्पन्न कर देगी।
चयन समिति ने आज देर शाम तक समिति के नए चुनावों को लेकर गहन चर्चा और चुनाव संबंधी अनेक आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया। लेकिन इसके बाद अभी हेमंत-कलहंस का एक बयान आया है।
श्री कुमार सौरव भाई जी ! कामरेड बिक्रमराव जी की अध्यक्षता में चल रहे आईएफडब्ल्यूजे पर भी तो चर्चा होनी चाहिए मित्र ।
election toh hona hi hain..isse koi rok nahi sakta ..acha hota khud hemant aur kalhans iska aelan kerte lekin bahut saathiyo ke aakrosh k karan yeh kadam uthana pada 600 journalist bhaiyon ke loktantrik aadhikaro ke liye ….prabhat tripathi senior journalism lucknow
http://www.samajwadkauday.com
mob.9450410050
सारे पत्रकारों का ठेका लेने वाली यह मान्यता प्राप्त संवादतता समिति कौन होती है ? सबसे पहले तो समिति को ही भंग कर देना चाहिये। राज्य मुख्यालय की मान्यता कैसे मिलती है यह अब सबको मालूम है। इसकी जगह गवर्नमेंट को सभी अखबारों के पत्रकारों की एक यूनियन बनाकर chunaoo करने चाहिये। जिसमे सभी रिपोर्टर्स को वोटिंग करने का मौका मिले। क्वालिटी के लिये एजुकेशनल क्वालिफिकेशन के मानक भी मान्यता के लिये तय किया जाये। तभी सही मायनों मे पत्रकारिता की स्तिथि सुधरेगी। तभी सही तरीके से पत्रकारों को सही प्रतिनिधित्वा मिल सकेगा। नहीं तो मान्यता प्राप्त पत्रकार की कथित यूनियन की आड़ के सहारे होने वाले खेल हमेशा होंगे। काम करने वाले पत्रकार हमेशा परेशान रहेंगे।
हेमंत तिवारी और सिद्धार्थ कलहंस, दो ऐसे दलाल पत्रकार हैं जिनको पत्रकार कहना ही पत्रकारिता का बलात्कार होगा। ये दोनों लंपट लोग, किसी काम के नहीं हैं। मुफ्त की दारूबाजी करना, यहां-वहां अड्डा जमाकर शेखी बघारना, जिसका लिया उसका कभी वापस ना करना, सरकार की दलाली करना और महिलाओं के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग करना। इन दोनों के ये कामन गुण है। पत्रकारों को चाहिए कि कुछ ‘पंडित’ पत्रकारों के स्वयंभू माई-बाप बने इन चाण्डालों को जमकर जुतियाएं और समिति से निकाल बाहर करें।
सूत्रों के हवाले से खबर मिल रही है कि दलाल शिरोमणि हेमंत तिवारी ने बम्बई के किसी सजातीय डाक्टर को फांस लिया है। वो डाक्टर भी तिवारी ही है और मोटा आसामी है। भाजपा माइंडेड डाक्टर तिवारी से हेमंत तिवारी ने चैनल खोलने के नाम पर 75 लाख रूपए भी झटक लिए हैं। उन्ही रूपयों की गरमी से आजकल हेमंत तिवारी भी खासे गरम हैं। हेमंत और सिद्धार्थ कलहंस के इस रैकेट में समाचार प्लस वाले उमेश शर्मा को भी खास जगह मिली है। ये तीनों लोग मिल कर डाक्टर तिवारी का शिकार करने के चक्कर मे लगे हुए हैं। ये तिकड़ी पिछले सप्ताह बांबे में डाक्टर के नए नवेले घर पर ही रुकी हुई थी। माना जा रहा है कि इन तीनों बड़े छोटे भाइयों ने मुर्गा फांस लिया है और बस झटका मारना बाकी है। वैसे हलाल करने के लिए इन लोगों के पास टाईम नहीं होगा।