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इंदौर में मजीठिया के समस्त प्रकरण 17 (2) में हो जा रहे हैं ट्रांसफर!

माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकार के तहत मजीठिया वेज बोर्ड के मामलों की सुनवाई कर रहे मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित श्रमायुक्त कार्यालय में  सहायक श्रमायुक्त श्री एल पी पाठक की कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की मांग कर रहे पत्रकार साथियों के करीब 150 से 200 प्रकरण विचाराधीन है। इन समस्त प्रकरणों में सुनवाई और बहस निरन्तर जारी है। किन्तु बहस के दौरान ए.एल.सी श्री पाठक का रुख़ पीड़ित पत्रकार साथियों की तरफ न होकर अख़बार प्रबंधन की और ज्यादा सकारत्मक दिखाई पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण अभी अभी देखने में आया है कि इंदौर और आसपास के शहरों से अनेक पीड़ित कर्मचारियों ने अख़बार मालिकों के विरूद्ध केस लगा रखे है जिनकी सुनवाई ए.एल.सी.श्री पाठक की कोर्ट में निरन्तर चल रही है।

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माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदत्त विशेषाधिकार के तहत मजीठिया वेज बोर्ड के मामलों की सुनवाई कर रहे मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित श्रमायुक्त कार्यालय में  सहायक श्रमायुक्त श्री एल पी पाठक की कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की मांग कर रहे पत्रकार साथियों के करीब 150 से 200 प्रकरण विचाराधीन है। इन समस्त प्रकरणों में सुनवाई और बहस निरन्तर जारी है। किन्तु बहस के दौरान ए.एल.सी श्री पाठक का रुख़ पीड़ित पत्रकार साथियों की तरफ न होकर अख़बार प्रबंधन की और ज्यादा सकारत्मक दिखाई पड़ रहा है। इसका ताजा उदाहरण अभी अभी देखने में आया है कि इंदौर और आसपास के शहरों से अनेक पीड़ित कर्मचारियों ने अख़बार मालिकों के विरूद्ध केस लगा रखे है जिनकी सुनवाई ए.एल.सी.श्री पाठक की कोर्ट में निरन्तर चल रही है।

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बहस और सुनवाई के दौरान पत्रकार साथियों द्वारा जो रिकवरी क्लेम अख़बार प्रबंधन के विरुद्ध लगाये है उन्हें प्रबन्धन के वकीलों द्वारा अस्वीकार कर उन पर असहमति जाहिर की जा रही है। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों ने अपने वकील के द्वारा बहस के दौरान क्लेम से सम्बंधित समस्त कागजात श्री पाठक को देते हुए यह कहा भी कि प्रबंधन द्वारा कही गयी बातें सरासर झूठ है और दिए गए समस्त दस्तावेज यह सिद्ध करते है कि जो क्लेम राशि हमारे द्वारा मांगी जा रही है वह सही है, और इन आधारों पर कृपया आर.आर.सी. जारी करने के निर्देश प्रदान करें। ऐसे में श्री पाठक ने अनेक प्रकरणों में फैसले को अपने पास सुरक्षित रखते हुए करीब दो माह तक लम्बित रखा और बाद में केस को यह कहते हुए 17 (2) में ट्रांसफर कर दिया कि मेरे पास साक्ष्य की सुनवाई के अधिकार नही है और आपके द्वारा जो भी रिकवरी के क्लेम लगाये गए है उन पर प्रबन्धन की आपत्ति है और यह सभी डिस्प्यूटेड है, ऐसे में आर.आर.सी. जारी की जाना सम्भव नहीं है, अतः आपके प्रकरण को हमने राज्य शासन के पास भेज दिया है और आप लेबर कोर्ट से इसका निराकरण करवाएं।

श्री पाठक के इस रुख़ को देखते हुए ऐसी आशंका भी जाहिर की जा रही है कि भविष्य में भी समस्त प्रकरण इसी प्रकार से 17 (2) में ट्रांसफर कर दिए जाने वाले है और इसीलिए प्रकरणों में दूसरी तीसरी तारीखों में ही बहस कराये जाने हेतु कर्मचारियों एवं उनके वकीलों को कहा जाने लगा है ताकि उन समस्त प्रकरणों को भी शीघ्रता से 17 (2) में ट्रांसफर कर अख़बार मालिकों को राहत पहुंचाई जा सके। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट के विशेष निर्देशों पर ही श्रमायुक्त कार्यालय मध्यप्रदेश में मजीठिया मामलों की सुनवाई हेतु श्री पाठक को यह दायित्व सौपा गया है जिसके तहत उन्हें साक्ष्य की सुनवाई के विशेष अधिकार भी प्राप्त है। इसी कार्यालय के एक और ए.एल.सी श्री यादव द्वारा चार माह पूर्व ही पत्रिका प्रबंधन के विरूद्ध करीब 21 लाख रुपये की आर.आर.सी जारी की जा चुकी है जो कि मजीठिया का ही एक सामान्य प्रकरण था, इसी के सदृश्य ऐसे अनेक प्रकरण श्री पाठक की कोर्ट में भी विचाराधीन है जिन्हें 17 (2) में ट्रांसफर कर दिया गया है।

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ऐसी स्थिति में इतने सारे प्रकरणों की सुनवाई में सारे ही प्रकरण 17 (2) में ट्रांसफर हो जाये और एक भी आर.आर.सी जारी नही होना, सन्देह को जन्म देने वाली बात है। हाल ही में भोपाल से भी मजीठिया प्रकरणों में करीब 24 आर.आर.सी जारी की गयी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस सन्दर्भ में पत्रकारों का एक दल माननीय श्रमायुक्त महोदय से मिलकर प्रकरणों की समस्त स्थितियों से शीघ्र ही अवगत कराने वाला है। वहीँ कुछ पत्रकार साथीयो द्वारा इसकी जानकारी माननीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और रजिस्ट्रार को भी भेजी जा रही है।

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एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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